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बीजेपी और आरएसएस ने शुरू की जेपी नड्डा के उत्तराधिकारी की तलाश, दौड़ में हैं ये नेता


नई दिल्ली:

भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के नए अध्यक्ष की तलाश तेज हो गई है. अध्यक्ष जेपी नड्डा को केंद्र में मंत्री बनाए जाने के बाद से ही उनके विकल्प की तलाश की रही है. इसके लिए सोमवार को बीजेपी और आरएसएस नेताओं ने पांच घंटे की मैराथन बैठक की. इस साल फरवरी में लोकसभा चुनाव से पहले जेपी नड्डा का कार्यकाल 30 जून तक के लिए बढ़ा दिया गया था. उनका बढ़ा हुआ कार्यकाल भी खत्म हो चुका है, लेकिन बीजेपी को अब तक नया अध्यक्ष नहीं मिला है. आइए जानते हैं कि कब तक हो सकता बीजेपी के नए अध्यक्ष के नाम का ऐलान और कौन-कौन से नेता हैं इस पद की दौड़ में.

बीजेपी और आरएसएस नेताओं की बैठक

सोमवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के आवास पर बीजेपी के नए अध्यक्ष के चुनाव के लिए नामों पर चर्चा हुई. यह बैठक करीब पांच घंटे तक चली. बैठक में अमित शाह, जेपी नड्डा, बीजेपी के संगठन महासचिव बीएल संतोष और आरएसएस की ओर से महासचिव दत्तात्रेय होसबोले और संयुक्त महासचिव अरुण कुमार शामिल हुए. इस बैठक में किसी नाम पर सहमति बन पाई है या नहीं अभी इसकी जानकारी सार्वजनिक नहीं हुई है.लेकिन चर्चा में कई नाम हैं. 

जेपी नड्डा का कार्यकाल इस साल फरवरी में 30 जून तक के बढ़ाया गया था,

बीजेपी के नए अध्यक्ष पद के नाम को लेकर मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री  मनोहर लाल खट्टर, महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फणडवीस, केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव आदि के नाम की चर्चा है. ये सभी लोग सरकार में किसी न किसी पद पर विराजमान हैं.शिवराज, खट्टर और भूपेंद्र नरेंद्र मोदी मंत्रिमंडल के वरिष्ठ सदस्य हैं. वहीं फडणवीस महाराष्ट्र सरकार में उपमुख्यमंत्री हैं.इसमें शिवराज का पड़ला भारी लग रहा है, क्योंकि उनके पास सरकार और संगठन का अनुभव सबसे ज्यादा है.कुछ राजनीतिक विश्लेषक उनके नाम को इस आधार प खारिज कर रहे हैं कि वो केंद्रीय मंत्री हैं. लेकिन यहां यह बात याद रखनी होगी कि राजनाथ सिंह और जेपी नड्डा को जब बीजेपी अध्यक्ष बनाया गया था तो वो भी केंद्रीय मंत्री ही थे.

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बीजेपी को लगा झटका

इस साल हुए लोकसभा चुनाव में बीजेपी को सबसे अधिक झटका उत्तर प्रदेश में लगा. जहां वह दूसरे नंबर की पार्टी बन गई है. वहां इंडिया गठबंधन ने 43 सीटें जीत ली हैं. इंडिया गठबंधन की यह जीत कितनी बड़ी थी, उसे इस तरह से समझ सकते हैं कि बीजेपी अकेले के दम पर बहुमत हासिल नहीं कर पाई, जबकि 2014 और 2019 में अपने दम पर बहुमत हासिल किया था. राजनीति के जानकारों का मानना है कि सपा और कांग्रेस के गठबंधन ने बीजेपी के अति पिछड़ा वर्ग और दलित मतदाताओं में पैठ बनाई. इस वजह से ये मतदाता बीजेपी से दूर हो गए. बीजेपी इन मतदाताओं को फिर अपनी ओर करना चाहती है. ऐसे में उसका जोर किसी ओबीसी को अध्यक्ष पद पर बिठाने पर हो सकता है.उनके  इसलिए शिवराज सिंह चौहान और भूपेंद्र यादव अध्यक्ष पद के प्रबल दावेदार हो सकते हैं.इसका दूसरा पक्ष यह है कि केंद्रीय मंत्रिमंडल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत कई वरिष्ठ मंत्री ओबीसी से समाज से हैं, ऐसे क्या बीजेपी का नया अध्यक्ष ओबीसी वर्ग से ही होगा या कोई सवर्ण.  इस मामले में फडणवीस का पड़ला भारी है.उनके पक्ष में उनका आरएसएस का करीबी होना और ब्राह्मण चेहरा होना है.

इस साल हरियाणा,महाराष्ट्र और झारखंड के साथ-साथ ही जम्मू-कश्मीर विधानसभा के भी चुनाव हो सकते हैं. ये चारों राज्य बीजेपी के लिए काफी महत्वपूर्ण हैं. महाराष्ट्र और हरियाणा में तो उसकी सरकार ही है. ऐसे में बीजेपी की कोशिश इन चुनावों से पहले ही नया अध्यक्ष लाने की है. केरल के पलक्कड़ में आरएसएस की समन्वय बैठक 31 अगस्त और दो सितंबर के बीच होनी है. ऐसे में चर्चा है कि इससे पहले बीजेपी को नया अध्यक्ष मिल सकता है. 

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