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चेन्नई के स्टार्ट-अप ने 5वीं कोशिश में रॉकेट लॉन्चिंग कर इतिहास रचा, पीएम मोदी ने की तारीफ

575 किलोग्राम वजन का 6.2 मीटर लंबा रॉकेट
आईआईटी-मद्रास में इनक्यूबेट किए गए इस स्टार्ट-अप की यह पहली परीक्षण उड़ान थी. इसकी स्थापना 2017 में दो युवा एयरोस्पेस इंजीनियरों ने “एक ऐसी जगह बनाने के सपने के साथ की थी जहां लोग फायर का इस्तेमाल करना सीखें.”

इस 575 किलोग्राम वजन के और 6.2 मीटर लंबे रॉकेट ने श्रीहरिकोटा से उड़ान भरी और फिर बंगाल की खाड़ी में गिरा.

अग्निकुल कॉसमॉस प्राइवेट लिमिटेड के को-फाउंडर मोइन एसपीएम ने कहा कि अग्निबाण एसओआरटीईडी एक अर्ध-क्रायोजेनिक इंजन द्वारा संचालित है. इसमें मुख्य रूप से व्यावसायिक रूप से उपलब्ध विमानन टरबाइन फ्यूल, केरोसिन और मेडिकल ग्रेड तरल ऑक्सीजन का उपयोग किया जाता है.

खास इंजन के उपयोग में चेन्नई का स्टार्ट अप नंबर वन 
इसरो ने उड़ान में कभी सेमी-क्रायोजेनिक इंजन का उपयोग नहीं किया है. इसरो 2000 kN थ्रस्ट सेमी-क्रायोजेनिक इंजन डेवलप कर रहा है और इसका पहला इग्नीशन ट्रायल दो मई को सफलतापूर्वक किया गया था. चेन्नई के इस स्टार्ट-अप ने वह हासिल किया है जो किसी अन्य भारतीय निजी फर्म को हासिल नहीं हो सका.

केंद्र के अंतरिक्ष विभाग के तहत इंडियन नेशनल स्रपेस प्रमोशन एंड अथराइजेशन सेंटर (IN-SPACe) के चेयरपर्सन और मैकेनिकल इंजीनियर डॉ पवन गोयनका कहते हैं कि अग्निकुल ने भारतीय निजी क्षेत्र द्वारा निर्मित पहला अर्ध-क्रायोजेनिक और 3डी प्रिंटेड इंजन पेश किया है. उन्होंने कहा कि, “जब भारत के स्टार्ट-अप द्वारा कामर्शियल लॉन्च शुरू किए जाएंगे, तो यह साहसिक इनवेशन एक महत्वपूर्ण अंतर पैदा कर सकता है.”

दुनिया का पहला सिंगल पीस 3डी प्रिंटेड इंजन
स्पेस स्टार्ट-अप के को-फाउंडर श्रीनाथ रविचंद्रन ने कहा, “यह लॉन्चिंग महत्वपूर्ण है क्योंकि यह निजी लॉन्चपैड से भारत का पहला प्रक्षेपण है और रॉकेट में दुनिया का पहला सिंगल पीस 3डी प्रिंटेड इंजन है, जिसे स्वदेशी रूप से डिजाइन और निर्मित किया गया है.” इसरो ने 9 मई को अपने पहले 3डी प्रिंटेड इंजन का जमीनी परीक्षण किया था.

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अग्निबाण का विशेष 3डी प्रिंटेड इंजन किस तरह गेम-चेंजर साबित हो सकता है, इस बारे में मोइन ने The Hindkeshariसे कहा कि, यह सिंगल-पीस इक्विपमेंट है और 3डी प्रिंटिंग तकनीक का उपयोग करके ऐसे इंजनों के लिए क्वालिटी टेस्टिंग का समय बहुत कम हो जाता है.

इंजन का फ्यूल आसानी से उपलब्ध
यह इंजन व्यावसायिक रूप से उपलब्ध एविएशन टरबाइन फ्यूल और लिक्विड ऑक्सीजन से संचालित होता है. उन्होंने कहा कि यह एक सस्ता और आसानी से उपलब्ध नॉन-कोरोसिव फ्यूल है जिसे आसानी से हासिल किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि इससे न्यूनतम सुविधाओं के साथ कई स्थानों से रॉकेट लॉन्च करना भी आसान होगा.

पहली बार यह भी हुआ कि अग्निकुल को श्रीहरिकोटा द्वीप पर समुद्र के पास एक विशेष लॉन्चपैड बनाने की इजाजत मिल गई है. इसमें उसका अपना कंट्रोल रूम होगा. यह इसरो की ओर से भारतीय अंतरिक्ष कंपनियों के लिए व्यापार करना आसान करने के लिए उपलब्ध कराई जा रही सुविधाओं का एक हिस्सा है.

भारतीय अंतरिक्ष कंपनी स्काईरूट एयरोस्पेस प्राइवेट लिमिटेड द्वारा किए गए पहले प्रक्षेपण के बाद अग्निकुल इस रास्ते पर आगे बढ़ा है. स्काईरूट ने 2022 में श्रीहरिकोटा से एक ठोस ईंधन वाला साउंडिंग रॉकेट उड़ाया था. अग्निबाण रॉकेट की सफलता के बाद अग्निकुल को उम्मीद है कि वह मांग के मुताबिक लॉन्चिंग कर सकेगा और 30 से 300 किलोग्राम वजनी सैटेलाइटों को अंतरिक्ष में लॉन्च कर सकेगा.


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