"जीवनसाथी चुनना किसी के जीवन की दिशा चुनने का एक अभिन्न अंग है" , समलैंगिक विवाह पर SC की कही 10 बड़ी बातें
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने समलैंगिक विवाह (Same Sex Marriage) को कानूनी मान्यता देने से इनकार कर दिया है.आज यानी मंगलवार को समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने की याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकारों को समलैंगिकों के लिए उचित कदम उठाने का आदेश दिया है. इस फैसले को सुनाने वाली पांच न्यायाधीशों वाली इस संविधान पीठ मेंचीफ जस्टिस चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति संजय किशन कौल, न्यायमूर्ति एस रवींद्र भट, न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा शामिल हैं.
मामले से जुड़ी अहम जानकारियां :
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CJI डी वाई चंद्रचूड़ ने समलैंगिक विवाह को कानूनी रूप से वैध ठहराए जाने का अनुरोध करने वाली 21 याचिकाओं पर फैसला सुनाते हुए कहा कि विशेष विवाह अधिनियम में बदलाव करना संसद का काम है. यह अदालत कानून नहीं बना सकती, वह केवल उसकी व्याख्या कर सकती है और उसे प्रभावी बना सकती है.
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प्रधान न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने कहा, ‘‘समलैंगिकता प्राकृतिक होती है जो सदियों से जानी जाती है, यह केवल शहरी अवधारणा नहीं है या समाज के उच्च वर्ग तक ही सीमित नहीं है.”
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प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘‘यह कल्पना करना कि समलैंगिकता केवल शहरी इलाकों में मौजूद है, उन्हें मिटाने जैसा होगा. किसी भी जाति या वर्ग का व्यक्ति समलैंगिक हो सकता है.”
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इसके आगे CJI ने कहा, ‘‘विशेष विवाह अधिनियम की व्यवस्था में बदलाव की आवश्यकता है या नहीं, इसका निर्णय संसद को करना है.”
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डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा, ‘‘यह कल्पना करना कि समलैंगिकता केवल शहरी इलाकों में मौजूद है, उन्हें मिटाने जैसा होगा. किसी भी जाति या वर्ग का व्यक्ति समलैंगिक हो सकता है.”
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समलैंगिक विवाह मामले में फैसला सुनाते हुए प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘‘इस मामले में चार अलग-अलग फैसले हैं. यह कहना गलत है कि विवाह एक स्थिर और अपरिवर्तनीय संस्था है.”
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जीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने समलैंगिक विवाह मामले में कहा कि केंद्र, राज्य और केंद्र शासित प्रदेश यह सुनिश्चित करें कि समलैंगिक समुदाय के साथ भेदभाव न हो.
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प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ ने पुलिस को समलैंगिक जोड़े के संबंधों को लेकर उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने से पहले प्रारंभिक जांच करने का निर्देश दिया.
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कोर्ट में सुनवाई को दौरान CJI डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा, राज्यों, केंद्रशासित प्रदेशों को यह सुनिश्चित करना होगा कि लिंग-परिवर्तन ऑपरेशन की अनुमति उस उम्र तक न दी जाए जब तक, इसके इच्छुक लोग इसके परिणाम को पूरी तरह समझने में सक्षम नहीं हों.
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सीजेआई ने कहा कि जीवन साथी चुनना किसी के जीवन की दिशा चुनने का एक अभिन्न अंग है. कुछ लोग इसे अपने जीवन का सबसे महत्वपूर्ण निर्णय मान सकते हैं. यह अधिकार अनुच्छेद 21 के तहत जीवन और स्वतंत्रता के अधिकार की जड़ तक जाता है.