"दर्शन हीरानंदानी का हलफनामा मिला": महुआ मोइत्रा मामले पर एथिक्स कमेटी के चेयरमैन
महुआ मोइत्रा पर जो आरोप लगाए जा रहे हैं, उन्हें एथिक्स कमिटी किस तरह से देखती है?
इस पर एथिक्स कमेटी के प्रमुख विनोद सोनकर ने कहा कि निश्चित रूस से महुआ मोइत्रा पर जो आरोप लगे हैं, वो बेहद गंभीर हैं. इन आरोपों को लेकर निशिकांत दुबे और वकील द्वारा स्पीकर महोदय को पत्र दिया गया है. लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने वो पत्र एथिक्स कमिटी को रेफर किया है. एथिक्स कमिटी ने दोनों को 26 अक्टूबर को सभी साक्ष्यों को लेकर उपस्थित रहने के लिए कहा है. साथ ही निशिकांत दुबे के बयान को दर्ज करने के भी निर्देश दिये गए हैं.
दर्शन हीरानंदानी ने अपना हलफनामा एथिक्स कमिटी को भेजा है. और कहा है कि उन्होंने महुआ मोइत्रा का लॉगिन आईडी और पासवर्ड यूज किया था अपना सवाल डालने के लिए, जो एक कॉरपोरेट कंपनी को टारगेट करते हुए है. इसे एथिक्स कमिटी किस तरह देखती है?
विनोद सोनकर: हीरानंदानी का हलफनामा भी एथिक्स कमिटी को प्राप्त हो चुका है. अब निशिकांत दुबे के बयान के बाद अगर जरूरत पड़ेगी, तो जो लोग भी पक्षकार हैं उनका बयान भी कमिटी के सामने दर्ज किया जाएगा. सभी लोगों के पक्ष सुनने के बाद ही कमिटी कोई निर्णय लेगी.
2005 में देखा गया था कि स्टिंग ऑपरेशन में जो-जो सांसद वीडियो में दिखे थे, उन पर कार्रवाई एक स्वतंत्र कमिटी ने की थी. कमिटी के अध्यक्ष पवन कुमार बंसल थे, फिर फैसला सदन में हुआ था. क्या महुआ मोइत्रा को भी बुलाया जाएगा, क्योंकि आपका कहना है कि दर्शन हीरानंदानी का हलफनामा कमिटी को मिल गया है?
विनोद सोनकर: देखिए, इसका निर्णय कमिटी मिलकर लेगी. पहले निशिकांत दुबे के पत्र की जांच की जाएगी. हीरानंदानी के हलफाने को परखेगी, और आवश्यकता पड़ी तो महुआ मोइत्रा को भी बुलाया जाएगा. इस दौरान महुआ मोइत्रा से पूछा जाएगा कि वह अपने बचाव में क्या कहती हैं. उनका पक्ष भी सुना जाएगा और इसके बाद ही कोई निर्णय कमिटी द्वारा लिया जाएगा.
क्या कमिटी किसी समय सीमा में रहकर इस मामले की जांच करेगी, क्योंकि 17वीं लोकसभा का समय कुछ ही महीनों में समाप्त हो जाएगा. 2024 में लोकसभा के चुनाव भी होने वाले हैं.
विनोद सोनकर: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी एक बात कहते हैं कि हम जो काम शुरू करते हैं, उसे खत्म भी करते हैं.
सांसदों को क्या करना है और क्या नहीं करना है, इसके नियम तय हैं. क्या इस मामले को देखकर लगता है कि महुआ मोइत्रा ने नियमों का उल्लंघन किया है?
विनोद सोनकर: अगर महुआ मोइत्रा के खिलाफ प्रथम दृष्टया मामला नहीं बनता, तो हम नोटिस ही जारी नहीं करते. अब मुझे लगता है कि मामला प्रथम दृष्टया से ऊपर चला गया है, क्योंकि दर्शन हीरानंदानी ने खुद हलफनामा देकर पूरा मामला साफ करने की कोशिश की है.
महुआ मोइत्रा ने दी ये सफाई
कारोबारी दर्शन हीरानंदानी के हलफ़नामे से जुड़े ख़ुलासे के बाद टीएमसी की लोकसभा सांसद महुआ मोइत्रा ने सोशल मीडिया X पर लिखित जवाब दिया है, जिसमें पीएमओ पर सवाल उठाए गए है… साथ ही हलफ़नामे को लेकर भी सांसद महुआ मोइत्रा ने कई सवाल भी उठाए हैं. उन्होंने कहा, “प्रधानमंत्री कार्यालय ने दर्शन हीरानंदानी से जबरन हलफ़नामा लिखवाया. एक सादे काग़ज़ पर लिखवाकर हीरानंदानी से हस्ताक्षर कराया गया. हीरानंदानी का हलफ़नामा जान-बूझकर प्रेस में लीक किया गया. हीरानंदानी CBI, किसी जांच एजेंसी या संसदीय आचार समिति से तलब नहीं किया. फिर हीरानंदानी ने ये हलफ़नामा किसे दिया है? हीरानंदानी ने अगर हलफ़नामा दिया, तो ये नोटरी पेपर या लेटरहेड पर क्यों नहीं? हीरानंदानी ने सोशल मीडिया पर हलफ़नामा पोस्ट नहीं किया. ये हलफ़नामा मीडिया के एक गिने-चुने वर्ग को लीक किया गया. ये एक Plea Bargain सेलेक्टिव लीक है. ये अदाणी समूह पर सवाल करने वाले राजनीतिक नेताओं के ख़िलाफ़ अभियान का हिस्सा है.
ये है पूरा मामला
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद निशिकांत दुबे ने रविवार को तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) की सांसद महुआ मोइत्रा पर संसद में सवाल पूछने के लिए एक व्यवसायी से धन लेने का आरोप लगाया और उनके खिलाफ आरोपों की जांच के लिए एक ‘जांच समिति’ गठित करने का लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से आग्रह किया. दुबे ने लोकसभाध्यक्ष को लिखे पत्र में कहा कि हाल तक लोकसभा में उनके (मोइत्रा) द्वारा पूछे गए 61 में से 50 प्रश्न अडाणी समूह पर केंद्रित थे, जिस पर टीएमसी सांसद ने अक्सर कदाचार का आरोप लगाया. दुबे ने बिरला से मोइत्रा के खिलाफ आरोपों की जांच के लिए एक ‘‘जांच समिति” गठित करने का आग्रह किया था.
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