Exclusive : UCC में लिव-इन रिलेशन शामिल और जनजातियों को छूट क्यों? उत्तराखंड CM पुष्कर सिंह धामी ने बताई वजह
मुख्यमंत्री पुष्कर धामी से यह पूछने पर कि लिव-इन रिलेशनशिप से जुड़े नियमों के दायरे में जनजातियों शामिल क्यों नहीं की गईं? उन्होंने कहा कि, ”संविधान में ट्राइबल्स के लिए व्यवस्था की गई है. संविधान ने उनके पिछड़ेपन की वजह से, रहन-सहन की वजह से छूट दी गई है. जब हमारी कमेटी गई थी तो कमेटी के लोगों ने उन लोगों से बात की. उनके समूह से बात की.. तो उन्होंने कहा कि उन्हें इसमें, समान नागरिक संहिता में शामिल होने में कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन कुछ समय हमें दे दिया जाए. कमेटी की सिफारिश के आधार और संविधान की भावनाओं के आधार पर किया है.”
जो संविधान बनाते समय होना था, वह अब हो रहा
समान नागरिक संहिता महिलाओं के लिए अच्छा कानून बताया जा रहा है. बीजेपी और उत्तराखंड सरकार कह रही है कि यह प्रोग्रेसिव कानून है. इस कानून को लेकर धामी ने कहा कि, यूसीसी मातृशक्ति की सुरक्षा, बच्चों की सुरक्षा, संपत्ति में उत्तराधिकार, भरणपोषण को लेकर है. साथ में बुजुर्गों के लिए भी सहायता और सुरक्षा वाला कानून है. आजादी के वक्त से जो कुरीतियां हैं, बाबा भीमराव आंबेडकर… जिस संविधान सभा में संविधान बनाते समय इसे लागू करना चाहते था, उस समय लागू नहीं हुआ. लेकिन संविधान में इसकी व्यवस्था की थी. आज उत्तराखंड की विधानसभा को इसका सौभाग्य मिला. हमारे देश के यशस्वी पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में जब हम 2022 के विधानसभा चुनाव में गए थे तो राज्य की जनता के सामने संकल्प लिया था कि नई सरकार के गठन के साथ ही हम यूसीसी को लागू करेंगे. आज हमारा वह संकल्प पूरा हुआ, एक वादा पूरा हुआ. यह देवभूमि को सौभाग्य मिला, जो लंबे समय की मांग थी, वह विधेयक देवभूमि उत्तराखंड की विधानसभा ने पारित किया है.
लिव-इन-रिलेशनशिप के प्रावधान को लेकर चर्चा हो रही है. कई लोग इसे मोरल पुलिसिंग बताकर इसकी आलोचना कर रहे हैं? इस सवाल पर मुख्यमंत्री ने कहा कि, हमारे लिए बच्चों की सुरक्षा बहुत अहम है. हमने केवल उनके हितों के लिए, उनके मां-बाप की चिंता के लिए, उनकी सुरक्षा के लिए प्रावधान किया है. हम कई बार देखते हैं कि बच्चों के साथ घटनाएं हो जाती हैं. बाद में मां-बाप को भी उन कष्टों का सामना करना पड़ता है. बच्चों के साथ कोई अनहोनी ना हो और मां-बाप को उन कष्टों का सामना ना करना पड़े. उनकी सुरक्षा बनी रहनी चाहिए, इसलिए हमने यह किया है. हमने इसकी शुरुआत की है और भी निकट भविष्य में कानून में कुछ शामिल करना होगा तो वो भी हम करेंगे.
”हम चाहते हैं कि दूसरे प्रदेश भी UCC लागू करें”
कहा जा रहा है कि यह एक टेमप्लेट है, पूरे देश के लिए.. राजस्थान और असम से भी आवाज उठ रही है कि ऐसा ही कानून वहां पर लागू किया जाएगा. इस जिक्र पर पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि हम इसे लेकर देवभूमि की जनता के सामने चुनाव में गए. जनता ने हमें इस पर बहुमत दिया, आशीर्वाद दिया, सरकार में आने का मौका दिया. हमने एक कानून की दिशा में इसे विधानसभा में पारित किया. देवभूमि ने इसकी शुरुआत की है. इसके लिए हमने कमेटी बनाई थी. हमारी ड्राफ्ट कमेटी दो लाख से ज्यादा लोगों तक पहुंची.. 10 हजार लोगों से सीधा संवाद किया, 43 बैठकें की हैं, धर्म क्षेत्र के संगठनों से बात की है, उसके बाद ड्राफ्ट आया… विधेयक पारित हुआ. यह राष्ट्रपति तक जाएगा, उनकी भी स्वीकृति हमें मिलेगी. उसके बाद राज्य के अंदर इसे कानून के रूप में लागू करेंगे. जैसे यहां से अनेकों नदियां निकलकर पूरे देश को जल और जीवन देने का काम करती हैं, वैसे ही पीएम मोदी के नेतृत्व में हमने ‘श्रेष्ठ भारत’ की कल्पना को साकार करने के लिए यह कदम उठाया है. हम चाहते हैं कि दूसरे प्रदेश भी इसे लागू करें.
”देश में सांस्कृतिक पुनर्जागरण हो रहा”
भाजपा का एजेंडा राम मंदिर, धारा 370 हटाना और यूसीसी था. तो अब क्या माना जाए कि देवभूमि में राम राज्य आ गया? सवाल पर मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि, पूरे देश में हमारे पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में राम राज्य आया है. इतने लंबे कालखंड, इंतजार और लोगों के लंबे संघर्षों के बाद यह स्वप्न और संकल्प राम भक्तों का पूरा हुआ है. आज समान नागरिक संहिता विधेयक उत्तराखंड में पारित हुआ है. भगवान राम त्रेता युग में पैदा हुए थे और हमारे पीएम मोदी के नेतृत्व में हमें आज फिर से रामयुग में जीने का अवसर मिला है. हम पीएम मोदी का धन्यवाद करते हैं कि उनके नेतृत्व की वजह से भगवान राम का मंदिर बहुत कम समय में बनकर तैयार हुआ. लंबे समय से रुका हुआ काम शुरू हुआ. एक-एक करके, कश्मीर में धारा 370 हटना.. हमारे पुराने धार्मिक स्थलों का नवनिर्माण और पुनर्निमाण हो रहा है.. सांस्कृतिक पुनर्जागरण हो रहा है… यह सब काम पीएम मोदी के नेतृत्व में हुआ है. आदि कैलाश की यात्रा पर गए पीएम मोदी आजाद भारत के पहले पीएम हैं जो सीमांत क्षेत्रों में गए, 18 हजार फुट की ऊंचाई पर गए. उसके बाद यहां भी लोगों का आना शुरू हुआ है. लोगों का ध्यान इधर हो रहा है. निश्चित रूप से यही राम राज्य है.