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प्लॉट देने के नाम पर पैसे जुटाए और शेल कंपनियों में लगाए…! WTC ग्रुप के प्रमोटर आशीष भल्ला गिरफ्तार


नई दिल्‍ली:

प्रवर्तन निदेशालय ने (ED) ने धन-शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) के प्रावधानों के तहत डब्ल्यूटीसी ग्रुप (WTC Group) के प्रमोटर आशीष भल्ला को रियल एस्टेट धोखाधड़ी के मामले में गिरफ्तार किया है. इस धोखाधड़ी में हजारों निवेशकों से योजनाबद्ध साजिश के तहत पैसे ऐंठे गए. जांच के दौरान यह सामने आया कि निवेशकों से प्लॉट और कमर्शियल स्पेस के बदले अश्योर्ड रिटर्न का वादा कर पैसे जमा करवाए गए, लेकिन इन पैसों को शेल कंपनियों के जरिए हेराफेरी करके कई जगहों पर जमीन खरीदने में लगा दिया गया. 

इसके अलावा, सैकड़ों करोड़ रुपये सिंगापुर की संदिग्ध संस्थाओं में भेजे गए, जिनके लाभकारी मालिक (Beneficial Owner) आशीष भल्ला के परिवार के सदस्य हैं. जांच में यह भी सामने आया कि डब्ल्यूटीसी ग्रुप ने हरियाणा, यूपी, चंडीगढ़, अहमदाबाद, पंजाब सहित कई राज्यों में निवेशकों से 3000 करोड़ रुपये से अधिक पैसे इकठ्ठा किए. 

इससे पहले ईडी ने 27 फरवरी 2024 को पीएमएलए के तहत तलाशी अभियान चलाया था, लेकिन उस दौरान आशीष भल्ला फरार रहे. और उन्होंने जांच में जुड़े कई लोगों को प्रभावित करने की कोशिश की. आशीष भल्ला को 6 मार्च 2025 को पीएमएलए के तहत गिरफ्तार किया गया. गुरुग्राम कोर्ट ने ईडी को 6 दिनों की कस्टडी दी है. इस मामले में जांच जारी है.

ईडी के गुरुग्राम जोनल कार्यालय ने 27 फरवरी को धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए), 2002 के प्रावधानों के तहत डब्ल्यूटीसी समूह और प्रमोटर आशीष भल्ला और भूटानी समूह और उसके प्रमोटर आशीष भूटानी के खिलाफ दिल्ली, फरीदाबाद और एनसीआर क्षेत्र में 12 स्थानों पर तलाशी अभियान चलाया था. एजेंसी ने दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू), पीएस बीपीटीपी फरीदाबाद और पीएस फरीदाबाद सेंट्रल द्वारा दर्ज दर्जनों एफआईआर के आधार पर जांच शुरू की, जो सैकड़ों घर खरीदारों और निवेशकों की शिकायतों के आधार पर डब्ल्यूटीसी ग्रुप और उसके प्रमोटरों और अन्य के खिलाफ धोखाधड़ी, आपराधिक विश्वासघात और आरोपी कंपनियों/व्यक्तियों द्वारा सैकड़ों घर खरीदारों के खिलाफ धोखाधड़ी के लिए दर्ज की गई थी.

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एफआईआर में आरोप लगाया गया है कि डब्ल्यूटीसी फरीदाबाद इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड और उसके प्रमोटरों ने लोगों को फरीदाबाद के सेक्टर 111-114 में अपनी परियोजना में निवेश करने का लालच दिया था. इसके बदले में आवासीय प्लॉट आवंटित किए जाने थे. ईडी के अनुसार, प्रमोटरों/निदेशकों ने एक आपराधिक साजिश रची और निर्धारित समय के भीतर परियोजना को पूरा नहीं करके और 10 साल से अधिक समय तक खरीदारों को प्लॉट्स की डिलीवरी न करके, उनकी मेहनत की कमाई को हड़प लिया.



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