भारतीय भाषाओं में पढ़ाई के लिए सरकार ने बनाई यह योजना, इतनी किताबें लिखी जाएंगी
नई दिल्ली:
केंद्र सरकार 2020 में ‘नेशनल एजुकेशन पॉलिसी 2020’लेकर आई थी. इसमें शिक्षा को मातृभाषा में देने पर जोर दिया गया था. सरकार की इस मंशा पर अमल करते हुए शिक्षा मंत्रालय और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) एक पहल की है. इसके तहत 22 भारतीय भाषाओं में 22 हजार किताबें तैयार करने का लक्ष्य रखा गया है. यह काम पांच साल में पूरा करने की तैयारी है. इस परियोजना की शुरुआत दिल्ली में सोमवार को आयोजित कुलपतियों के सम्मेलन में हुई.
‘अस्मिता’ परियोजना
इस परियोजना का नाम रखा गया है ASMITA (Augmenting Study Materials in Indian Languages through Translation and Academic Writing). इसका लक्ष्य अनुवाद और अकादमिक लेखन के जरिए भारतीय भाषाओं में अध्ययन सामग्री को बढ़ाना देना है. यह उच्च शिक्षा मंत्रालय की भारतीय भाषा समिति और यूजीसी का साझा प्रयास है. भारतीय भाषा समिति उच्च शिक्षा मंत्रालय में उच्चाधिकार प्राप्त समिति है.
Launch of three landmark initiatives—ASMITA, Bahubhasha Shabdkosh and Real-time Translation Architecture, will give momentum to imparting learning in Bharatiya Bhashas, empowering learners in their academic pursuits and preserving & promoting India’s language traditions.
These… https://t.co/oDXwe7SFmC
— Dharmendra Pradhan (@dpradhanbjp) July 16, 2024
इस परियोजना की शुरुआत शिक्षा राज्य मंत्री डॉक्टर सुकांत मजूमदार ने भारतीय भाषाओं में किताबें लिखने के लिए आयोजित कुलपतियों के एक दिन के वर्कशाप में की.इसमें 150 से अधिक विश्वविद्यालयों के कुलपति शामिल हुए.इसका आयोजन यूजीसी और भारतीय भाषा समिति ने मिलकर किया था. इसमें अस्मिता के अलावा बहुभाषा शब्दकोशों और रियल टाइम ट्रांसलेशन आर्किट्रेक्चर की परियोजना की भी शुरुआत हुई.बहुभाषा शब्दकोशों की परियोजना सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ इंडियन लैंग्वेज और भारतीय भाषा समिति का साझा प्रयास होगा. वहीं रियल टाइम ट्रांसलेशन आर्किट्रेक्चर की परियोजना नेशनल एजुकेशनल टेक्नोलॉजी फोरम और भारतीय भाषा समिति का साझा प्रयास होगा.
पहले किन भाषाओं में तैयार होंगी किताबें
पहले 12 भारतीय भाषाओं में टेक्सटबुक तैयार करने पर जोर दिया गया है. ये भाषाएं हैं- पंजाबी, हिंदी, संस्कृत, बंगाली, उर्दू, गुजराती, कन्नड, मलयालम, मराठी, तमिल, तेलुगू और उड़िया. इसके लिए वर्कशाप में भाग लेने वाले कुलपतियों को 12 समूहों में बांट कर मंथन कराया गया.इस समूह का नेतृत्व नोडल यूनिवर्सिटी के कुलपति को बनाया गया था. परियोजना में 22 अधिसूचित भाषाओं में से हर एक भाषा में एक हजार किताबें तैयार करने का लक्ष्य है.इसके लिए पांच साल का समय तय किया गया है.
इस पहल पर केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने एक्स पर लिखा,”एनईपी के मुताबिक यह पहल 22 अनुसूचित भाषाओं में शैक्षणिक संसाधनों का एक व्यापक पूल बनाने, भाषाई विभाजन को पाटने, सामाजिक एकजुटता और एकता को बढ़ावा देने और हमारे युवाओं को सामाजिक रूप से जिम्मेदार वैश्विक नागरिकों में बदलने में मदद करेगी.”
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने क्या की है तैयारी
हर भाषा में किताब लिखने के लिए यूजीसी ने एक मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) भी बनाई है. इस एसओपी में नोडल अधिकारियों, लेखकों की पहचान, शीर्षक, विषय और कार्यक्रम का आवंटन, लेखन और संपादन,पांडुलिपि, समीक्षा और साहित्यिक चोरी की जांच, डिजाइनिंग, प्रूफरीडिंग और ई-प्रकाशन आदि शामिल हैं.
भारतीय भाषाओं में पाठ्य पुस्तकें तैयार करवाने के काम में यूजीसी बहुत पहले से लगा हुआ है.इस साल जनवरी में उसने कला, विज्ञान, वाणिज्य और सामाजिक विज्ञान विषय में स्नातक स्तर के पाठ्य पुस्तकें तैयार करने के लिए शिक्षकों, शिक्षाविदों और लेखकों से आवेदन मांगे थे.
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