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कैसे होती है वोटों की गिनती? काउंटिंग हॉल में किसको अनुमति? कैसे दिया जाता है जीत का सर्टिफिकेट? जानें पूरी प्रक्रिया

लोकसभा चुनाव 2024 (Lok Sabha Elections 2024) के सातों चरण के मतदान एक जून को खत्म हो गए, नतीजे बस चंद घंटों में ही आने वाले हैं. उम्मीदवारों की किस्मत जिस ईवीएम (EVM) में बंद है, वो कड़ी सुरक्षा के बीच स्ट्रांग रूम में रखे हैं. ऐसे में हर किसी के जेहन में ये सवाल आते हैं कि स्ट्रांग रूम का ताला कौन खोलता है? आखिर मतगणना होती कैसे है? वोटों की गिनती कौन करता है? मतगणना कक्ष के अंदर कौन-कौन जा सकता है? वोट गिने जाने के बाद उन लाखों ईवीएम का क्या होता है? तो आइए हम आपको इसके बारे में विस्तार से बताते हैं.

स्ट्रांग रूम का ताला कौन खोलता है?
जिस दिन मतगणना होती है, उस दिन सुबह 7 बजे के करीब चुनाव लड़ रहे सभी दलों के उम्मीदवारों या उनके प्रतिनिधियों की मौजूदगी में स्ट्रांग रूम का ताला खोला जाता है. इस दौरान रिटर्निंग ऑफिसर और चुनाव आयोग के स्पेशल ऑब्जर्वर भी मौजूद रहते हैं और वही ताला खोलते हैं. इस दौरान पूरी प्रक्रिया की वीडियोग्राफी कराई जाती है.

मतगणना कैसे होती है?
मतगणना के लिए ईवीएम की कंट्रोल यूनिट काउंटिंग वाली टेबल पर लाई जाती है. इसकी निगरानी सीसीटीवी कैमरों और वीडियोग्राफी से होती है. टेबल पर रखने के बाद हर एक कंट्रोल यूनिट की यूनिक आईडी और सील का मिलान किया जाता है, फिर इसे हर उम्मीदवार के पोलिंग एजेंट को भी दिखाया जाता है. इसके बाद कंट्रोल यूनिट में एक बटन दबाने के बाद हर उम्मीदवार का वोट EVM में उसके नाम के आगे दिखने लगता है.

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वोटों की गिनती कौन करता है?
हर एक मतगणना केंद्र के एक हॉल में कुल 15 टेबल लगी होती है. इसमें 14 टेबल काउंटिंग के लिए और एक टेबल रिटर्निंग ऑफिसर के लिए होती है, कौन सा कर्मचारी किस टेबल पर काउंटिंग करेगा, ये बहुत सीक्रेट रखा जाता है, जिस दिन मतगणना होती है, उस दिन सुबह हर जिले का निर्वाचन अधिकारी रैंडम तरीके से कर्मचारियों को हॉल और टेबल अलॉट करता है.

वोटों की गिनती सुबह 8 बजे शुरू होती है. सबसे पहले पोस्टल बैलेट और इलेक्ट्रॉनिक पोस्टल बैलट की गिनती होती है. इसके  तुरंत बाद ईवीएम के वोटों की गिनती शुरू होती है. करीब 1 घंटे बाद रुझान आने शुरू हो जाते हैं.

मतगणना कक्ष के अंदर कौन-कौन जा सकता है?
चुनाव आयोग के मुताबिक मतगणना केंद्र के प्रत्येक हॉल में हर टेबल पर उम्मीदवार की तरफ से एक एजेंट मौजूद रहता है. किसी एक हॉल में 15 से ज्यादा एजेंट नहीं हो सकते हैं. प्रत्येक उम्मीदवार अपने एजेंट का चयन खुद करता है और जिला निर्वाचन अधिकारी को उनका नाम, तस्वीर और आधार कार्ड शेयर करता है.

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इन लोगों को होती है अंदर जाने की इजाजत
मतगणना केंद्र के अंदर मतगणना कर्मचारी, रिटर्निंग ऑफिसर, सुरक्षा कर्मी और एजेंट ही जा सकते हैं. जब तक वोटों की गिनती पूरी नहीं हो जाती, तब तक किसी भी उम्मीदवार के एजेंट को बाहर जाने की इजाजत नहीं मिलती है. ड्यूटी पर तैनात लोगों के आलावा कोई भी मोबाइल अंदर नहीं ले सकता है. परिणाम की आधिकारिक घोषणा के बाद ही अगर एजेंट को गड़बड़ी की आशंका लगती है तो वो रिकाउंटिंग की मांग कर सकता है.

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रिटर्निंग ऑफिसर हर उम्मीदवार को मिले वोट का डाटा रिजल्ट शीट में डालते हैं और उसके बाद रिजल्ट की घोषणा करते हैं, जो उम्मीदवार जीतता है उसे जीत का सर्टिफिकेट देते हैं.
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वोट गिने जाने के बाद ईवीएम का क्या होता है?
मतगणना पूरी होने के बाद ईवीएम को दोबारा स्ट्रांग रूम में रख दिया जाता है. नियम के मुताबिक काउंटिंग के 45 दिनों तक ईवीएम को स्ट्रांग में रूम में ही रखना होता है, क्योंकि कोई भी उम्मीदवार रिकाउंटिंग की मांग करता है तो आधिकारिक आदेश के बाद वोटों की गिनती दोबारा की जा सके. इसके बाद ईवीएम को दूसरी जगह भेज दिया जाता है.


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