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चुनावी बॉन्ड राजनीतिक दलों को कैसे मिला? किसी को कार्यालय में लिफाफा मिला तो किसी को डाक से

कई राजनीतिक दलों ने बताया है कि उन्हें चुनावी बॉन्ड कैसे मिले हैं.

नई दिल्ली:

कई राजनीतिक दलों ने विभिन्न कानूनी प्रावधानों का हवाला देते हुए चुनावी बॉन्ड देने वालों का विवरण साझा करने से इन्कार कर दिया है, जबकि कुछ दलों ने कहा कि उन्हें “ड्रॉप बॉक्स” या डाक के माध्यम से चंदा मिला है, जिन पर किसी का नाम नहीं था. एक लॉटरी कंपनी से अधिकांश चंदा हासिल करने वाली द्रविड़ मुन्नेत्र कषगम (द्रमुक) ने 2019 में उच्चतम न्यायालय के निर्देशानुसार चुनावी बॉन्ड का विवरण प्राप्त करने के लिए अपने दानकर्ताओं से संपर्क किया था.

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भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने चंदा देने वालों का खुलासा न करने के लिए जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 में संशोधन और भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम तथा आयकर अधिनियम के संबंधित पहलुओं का हवाला दिया. भाजपा ने निर्वाचन आयोग को लिखे अपने पत्र में कहा, ‘विधिवत प्रस्तुत किया जा चुका है कि चुनावी बॉन्ड योजना केवल राजनीतिक वित्तपोषण में धन का हिसाब-किताब रखने और दानदाताओं को किसी भी परिणाम से बचाने के उद्देश्य से पेश की गई थी.

कांग्रेस ने भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) को एक पत्र लिखकर चुनावी बॉन्ड दाताओं, धनराशि, तारीख और उस बैंक खाते का विवरण मांगा, जिसमें ये जमा किए गए थे. एसबीआई ने कांग्रेस को जवाब दिया कि चुनावी बॉन्ड का विवरण राजनीतिक दलों के पास उपलब्ध है और बैंक खाते की जानकारी आयोग के साथ साझा की गई है.

समाजवादी पार्टी ने 1 लाख रुपये और 10 लाख रुपये की अपेक्षाकृत छोटी राशि के बॉन्ड का विवरण साझा किया. पार्टी ने बताया कि उसे 1 करोड़ रुपये के 10 बॉन्ड बिना किसी नाम के डाक से प्राप्त हुए थे. लगभग 77 प्रतिशत चंदा ‘लॉटरी किंग’ कहे जाने वाले सेंटियागो मार्टिन की कंपनी फ्यूचर गेमिंग से हासिल करने वाली द्रमुक ने कहा कि उसने दान का विवरण हासिल करने के लिए दानदाताओं से संपर्क किया था.

द्रमुक ने कहा, ‘इस योजना के तहत दान लेने वाले को दानकर्ता का विवरण देने की भी आवश्यकता नहीं थी. फिर भी, सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों का पालन करते हुए, हमने अपने दानदाताओं से संपर्क करके विवरण हासिल किया.”

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तेलुगु देशम पार्टी (तेदेपा) ने दानदाताओं के नामों की जानकारी वाले कॉलम में ‘तत्काल उपलब्ध नहीं’ लिखा है. तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने कहा कि चुनावी बॉन्ड पार्टी कार्यालय में भेजे गए थे और उन्हें “ड्रॉप बॉक्स में डाल दिया गया” था. टीएमसी ने कहा कि पार्टी का समर्थन करने की इच्छा रखने वाले विभिन्न व्यक्तियों की ओर से दूतों के माध्यम से कुछ बॉन्ड भेजे गए थे, जिनमें से कई ने गुमनाम तरीके से दान किया.

शरद पवार के नेतृत्व वाली राकांपा ने बॉन्ड देने वालों का विवरण प्रस्तुत करने में असमर्थता व्यक्त की, क्योंकि पार्टी ने विवरण नहीं रखा था और न ही कोई रसीद जारी की थी. राकांपा ने चुनाव आयोग को लिखे पत्र में कहा कि उसके कई पदाधिकारी चुनाव प्रचार में व्यस्त हैं. राकांपा ने कहा, ‘जहां भी संभव हुआ, हमने उस व्यक्ति का नाम बताया है जिसके माध्यम से पार्टी को बॉन्ड प्राप्त हुए थे.’

कांग्रेस की गोवा इकाई ने पार्टी को मिले 30 लाख रुपये के चुनावी बॉन्ड का विवरण प्राप्त करने के लिए अपने दानदाता वी एम सालगांवकर एंड ब्रदर्स से संपर्क किया. राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने कहा कि 1.5 करोड़ रुपये के दान के बारे में विवरण आसानी से उपलब्ध नहीं है. नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली जनता दल (यूनाइटेड) ने आयोग को बताया है कि किसी ने 2019 में उसके कार्यालय में 10 करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड वाला एक लिफाफा दिया था, जिसे पार्टी ने भुना लिया.

 

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