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बिना कुंभ गए कैसे पाएं बराबर पुण्य, श्री श्री रविशंकर ने महाकुंभ संवाद में समझाया


नई दिल्ली:

The Hindkeshariके कार्यक्रम महाकुंभ संवाद में श्री श्री रविशंकर ने कहा, जीवन का एक महत्वपूर्ण अंग है अध्यात्म. हमारी आत्मचेतना अमरत्व को प्राप्त कराता है. हमारी चेतना ही अमर है. जीवन के हर क्षेत्र में हमें तनाव से मुक्त होना है. शांति और धैर्य से काम लेना है.

श्री श्री रविशंकर ने महाकुंभ संवाद में कई विषयों पर अपनी राय रखी है. उन्होंने बताया कि महाकुंभ का अनुभव कैसे आधुनिक जीवनशैली के तनावों से दूर रख सकता है. उन्होंने कहा धार्मिक विधि-विधियों का आत्मा है अध्यात्म. महाकुंभ पर श्री श्री रविशंकर ने कहा कि महाकुंभ सदियों से चली आ रही एक प्रथा है. इसमें साधु-संत आते हैं पावन डुबकी लगाते हैं. साथ ही साथ भक्तगण आकर इस पावन संगम पर आशीर्वाद पाते हैं और अध्यात्म का अनुभव करते हैं.

बिना कुंभ गए कैसे पाएं बराबर पुण्य, गुरुदेव श्री श्री रविशंकर ने समझाया

अगर कोई शख्स किसी कारण से कुंभ नहीं जा सका है तो उनके लिए श्री श्री रविशंकर ने बताया कि शरीर की सीमा हो सकती है, मन और विचार की कोई सीमा नहीं होती है. उन्होंने कहा, आप जहां हैं, वहीं से मां गंगा को ध्यान लगाएं. मन की संतुष्टि जरूरी है. 

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अगर महाकुंभ न जाएं तो कैसे मिलेगा पुण्य?

श्री श्री रविशंकर के मुताबिक, यदि आप महाकुंभ का हिस्सा नहीं बन पा रहे हैं तो अपने के भीतर की आत्मा को परमात्म से जोड़ लें. मन और चित्त को शांत बनाएं. खुद को ईश्वर के करीब पाएंगे. गुरुदेव श्री श्री रविशंकर ने बताया, ‘संगम का स्नान निश्चित दिनों पर करने से हमारे पूर्वज तक उस स्नान का फल पहुंचता है’



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