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डोनाल्ड ट्रंप की सख्ती के बीच अमेरिका में पढ़ रहे अपने स्टूडेंट को भारत ने दी यह सलाह

अमेरिका ने एक भारतीय रिसर्चर को गिरफ्तार कर लिया है तो एक अन्य स्टूडेंट को खुद अमेरिका छोड़कर कनाडा निर्वासित होना पड़ा है. ऐसे में भारत सरकार ने अमेरिका में पढ़ रहे अपने नागरिकों को अमेरिकी कानूनों का पालन करने की सलाह दी है.

जॉर्जटाउन यूनिवर्सिटी के पोस्टडॉक्टरल फेलो बदर खान सूरी पर अमेरिकी अधिकारियों ने “हमास का प्रोपेगैंडा” फैलाने का आरोप लगाया है. जबकि कोलंबिया यूनिवर्सिटी की स्टूडेंट रंजिनी श्रीनिवासन का फिलिस्तीन समर्थक विरोध प्रदर्शन में भाग लेने के लिए वीजा रद्द कर दिया गया था.

भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जयसवाल ने कहा कि दोनों भारतीयों ने किसी मदद के लिए अमेरिका में स्थित भारतीय दूतावासों से संपर्क नहीं किया था.

बता दें कि अमेरिका के कॉलेजों में फिलिस्तीन समर्थक विरोध प्रदर्शनों में भाग ले रहे स्टूडेंट पर वहां की सरकार एक्शन ले रही है. बदर सूरी और रंजिनी श्रीनिवासन टारगेट पर लिए गए एकेडमिशियन में से लेटेस्ट हैं. राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ऐसे स्टूडेंट्स को “आतंकवादी समर्थक” कहा है. उन्होंने तमाम ऐसी यूनिवर्सिटी के फंड में कटौती करने और ऐसे स्टूडेंट को अमेरिका से बाहर करने की धमकी दी है.

भारत ने क्या कहा है?

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता जयसवाल ने शुक्रवार, 21 मार्च को कहा कि वीजा और आव्रजन मामले उस देश के संप्रभू अधिकार में आते हैं. उन्होंने सुझाव दिया कि अमेरिका को ऐसे आंतरिक मामलों पर निर्णय लेने का अधिकार है. 

उन्होंने कहा, “हम उम्मीद करते हैं कि जब विदेशी नागरिक भारत आते हैं, तो वे हमारे कानूनों और नियमों का पालन करेंगे. इसी तरह, हम उम्मीद करते हैं कि जब भारतीय नागरिक विदेश में होते हैं, तो उन्हें स्थानीय कानूनों और नियमों का भी पालन करना चाहिए.”

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साप्ताहिक ब्रीफिंग में बोलते हुए, उन्होंने छात्रों को यह भी आश्वासन दिया कि अगर उन्हें किसी भी कठिनाई का सामना करना पड़ता है तो अमेरिका में मौजूद भारतीय दूतावास उनकी मदद करेंगे. उन्होंने कहा कि बड़ी संख्या में भारतीय अमेरिकी यूनिवर्सिटीज में पढ़ रहे हैं और सरकार अमेरिका के साथ शैक्षणिक संबंधों को मजबूत करना चाहती है.

उन्होंने कहा, “अगर कोई भारतीय स्टूडेंट किसी समस्या का सामना कर रहा है, तो दूतावास उनकी भलाई (और) सुरक्षा में मदद करने के लिए मौजूद है. अगर कोई भारतीय स्टूडेंट मदद चाहता है तो हम इसे जारी रखेंगे.”

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