भारत से विवाद के बाद जस्टिन ट्रूडो की साख अब तक के सबसे निचले स्तर पर : कनाडा में The Hindkeshariका पोल
The Hindkeshariने कनाडा में व्यापक स्तर पर ये सर्वे कराने के लिए Claster Consulting के साथ टाई-अप किया था. कनाडाई पीएम जस्टिन ट्रूडो ने पिछले महीने वहां की संसद में आरोप लगाया था कि जून में खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारत सरकार के एजेंटों की भूमिका थी. ट्रूडो ने बिना किसी सबूत के ऐसे संगीन आरोप लगाए थे, जिसके बाद भारत और कनाडा के बीच राजनीतिक संबंधों पर असर पड़ा है.
मेथोडोलॉजी
कनाडा में 2025 में आम चुनाव होने हैं. इससे पहले कराए गए सर्वे के नतीजे चौंकाते हैं. The Hindkeshariने 18 साल से ज्यादा की उम्र के 800 कनाडाई नागरिकों के बीच लिंग, आयु वर्ग, क्षेत्रों, धर्मों और जातियों के मिश्रण को कवर करते हुए सर्वे किया. सर्वे के लिए क्लैस्टर कंसल्टिंग के साथ टाई-अप किया गया. सर्वे पोल 1 अक्टूबर से 5 अक्टूबर के बीच किया गया. आंकड़ों में चूक की आशंका +/- 3.5 पर्सेंट पॉइंट है.
समस्याएं
The Hindkeshariसर्वे में पहला सवाल था ‘वे कौन से मुद्दे हैं, जो कनाडाई लोगों के लिए सबसे ज्यादा मायने रखते हैं?’ सर्वे के नतीजों से पता चलता है कि कॉस्ट ऑफ लिविंग यानी जिंदगी गुजारने का खर्चा और घर सबसे बड़े मुद्दे हैं, जो औसत कनाडाई के लिए महत्वपूर्ण हैं. इसके बाद हेल्थ केयर और पर्यावरण का नंबर आता है. जिंदगी गुजारने की लागत और महंगाई सबसे महत्वपूर्ण थी. सर्वे में शामिल 46% लोगों ने इसका जिक्र किया. उसके बाद 11% लोगों ने घर का जिक्र किया.
ट्रूडो का काम कैसा है?
सर्वे में दूसरा सवाल पूछा गया कि कनाडाई नागरिक पीएम ट्रूडो के काम और उनके प्रदर्शन के बारे में क्या राय रखते हैं? इस सवाल के जवाब में सर्वे में शामिल 54% लोगों ने कहा कि वे ट्रूडो सरकार के काम को अस्वीकार करते हैं. 2025 के चुनाव में चौथी बार पीएम निर्वाचित होने की उम्मीद कर रहे जस्टिन ट्रूडो के लिए ये चिंता की बात है कि 38% लोगों ने उनके प्रदर्शन को मजबूती के साथ अस्वीकार कर दिया है.
भारत-कनाडा के रिश्ते
सर्वे से संकेत मिलता है कि ज्यादातर नागरिक भारत के साथ कनाडा के संबंधों को महत्व देते हैं. सर्वे में पूछा गया कि भारत के साथ कनाडा के संबंधों को वो कैसे देखते हैं? इसके जवाब में 62% लोगों ने कहा कि भारत-कनाडा के रिश्ते बहुत या कुछ हद तक महत्वपूर्ण हैं. जबकि सिर्फ 21% लोगों ने कहा कि दोनों देशों के रिश्ते उतने अहम नहीं हैं.
भारत-कनाडा के रिश्ते क्या अब खराब हो गए हैं?
सर्वे में शामिल लोगों से ट्रूडो के बयान के बाद मौजूदा हालात के बीच भारत-कनाडा के रिश्ते को लेकर सवाल किया गया था. इसके जवाब में 65% लोगों ने कहा कि यह कुछ हद तक या बहुत खराब हो गया है. सर्वे में शामिल लोगों में से 15% ने कहा कि भारत-कनाडा के रिश्ते न तो बेहतर है और न ही बदतर है. सर्वे में शामिल 12% लोगों को इस बारे में जानकारी नहीं थी.
निज्जर के बारे जानते हैं ज्यादातर लोग
सर्वे में शामिल लोगों से पूछा गया कि क्या उन्होंने खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर के बारे में पीएम ट्रूडो के बयानों के बारे में सुना या पढ़ा है? सर्वे में शामिल 57% लोगों ने इस बारे में जानकारी होने की बात कही. 31% लोगों ने कहा कि उन्होंने निज्जर के बारे में नहीं पढ़ा है. जबकि 12 फीसदी लोगों ने ‘पता नहीं’ कॉलम को चुना.
क्या इसका असर ट्रूडो पर पड़ा है?
जिन लोगों ने खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर को लेकर पीएम ट्रूडो के आरोपों के बारे में सुना था, उनमें से 37% ने कहा कि इससे उन्हें ट्रूडो के प्रति कुछ हद तक या बहुत कम झुकाव हुआ. जबकि सर्वे में शामिल 25% ने कहा कि इस मुद्दे के बाद पीएम ट्रूडो के प्रति उनका झुकाव पहले से ज्यादा हुआ.
क्या मौजूदा हालात को सही तरीके से नहीं हैंडल किया गया?
सर्वे में लोगों से सवाल किया गया कि क्या पीएम ट्रूडो ने मौजूदा हालात को गलत तरीके से संभाला है और आरोप लगाकर भारत के साथ कनाडा के संबंधों को खतरे में डाल दिया है? इसके जवाब में सर्वे में शामिल 41% कनाडाई ने कहा कि उन्होंने हालात को ठीक से नहीं संभाला. जबकि 27% ने कहा कि उन्होंने इसे अच्छी तरह से संभाला था.
डायवर्जन?
ट्रूडो की रेटिंग अब तक के सबसे निचले स्तर पर होने के संदर्भ में लोगों से अगला सवाल किया गया. सर्वे में शामिल लोगों से पूछा गया कि क्या प्रधानमंत्री ट्रूडो ने खालिस्तानी मुद्दे को अपनी नाकामियों से ध्यान हटाने के लिए उठाया और ऐसा करके उन्होंने भारत के साथ अपने संबंधों को जोखिम में डाला? इसके सवाल पर 39% कनाडाई सहमत हुए. उन्होंने कहा कि यह ध्यान भटकाने वाली रणनीति है, जबकि 35% ने इससे इनकार किया.
सर्वे पोल के लिए फील्डवर्क मर्करी एनालिटिक्स (Mercury Analytics)की ओर से किया गया.