समाप्ति की कगार पर जम्मू-कश्मीर में कश्मीरी पंडितों का अस्तित्व, बचे हैं सिर्फ इतने परिवार!
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जम्मू:
कश्मीर घाटी में कश्मीरी पंडितों का अस्तित्व खतरे में है. यहां गैर-प्रवासी कश्मीरी पंडितों की जनसंख्या में गिरावट लगातार जारी है. अगर ऐसा ही रहा, तो वो दिन दूर नहीं जब कश्मीर घाटी में कोई कश्मीरी पंडित नहीं बचेगा. एक सर्वे के अनुसार, साल 2021 में जहां कश्मीर घाटी में कश्मीरी पंडितों के परिवारों की संख्या 808 थी. वहीं, 2024 तक केवल 728 परिवार ही कश्मीर घाटी में बचे हैं. हालांकि, केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर के लिए कई योजनाएं बनाई हैं, जिन्हें धरातल पर भी उतारा जा रहा है. इनका कुछ असर भी नजर आ रहा है.
अब घाटी से क्यों हो रहा कश्मीरी पंडितों का पलायन?
गैर-प्रवासी कश्मीरी पंडित की नुमाईंदगी करने वाले संगठन ‘कश्मीरी पंडित संघर्ष समिति’ के हाल ही में किए गए सर्वे ने वर्तमान सामाजिक-आर्थिक चुनौतियों पर प्रकाश डाला गया है. इस सर्वे में आर्थिक कठिनाइयों, रोजगार के अवसरों की कमी, सुरक्षा चिंताओं और युवाओं की दिनोंदिन बढ़ती उम्र, कश्मीर में कश्मीरी पंडितों की आबादी में कमी के प्रमुख वजह मानी जा रही है. साल 1990 में कश्मीर से कश्मीरी पंडितों के पलायन ने समुदाय की संख्या को काफी प्रभावित किया, किंतु मौजूदा गिरावट आजकल के चुनौतियों के कारण है.
घाटी में टारगेट किलिंग बड़ी समस्या…
कश्मीरी पंडित संघर्ष समिति के मुताबिक, 2021 और 2024 के बीच 80 परिवारों का पलायन मुख्य रूप से घाटी में टारगेट किलिंग के कारण हुआ है. कश्मीर घाटी में टारगेट किलिंग एक गंभीर समस्या है जो पिछले कुछ वर्षों में बढ़ी है. ये हत्याएं अक्सर नागरिकों, विशेष रूप से अल्पसंख्यकों और बाहरी लोगों को निशाना बनाती हैं. कई ग्राम सरपंचों को भी निशाना बनाया गया है.
केंद्र सरकार ने कश्मीरी पंडितों के पुनर्वास और विकास की योजनाएं
- प्रधानमंत्री विकास पैकेज: इस पैकेज के तहत, कश्मीरी पंडितों के लिए 6,000 नौकरियां तैयार की गई हैं. अगस्त 2024 के आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, उनमें से 5724 कश्मीरी प्रवासियों को नियुक्त किया गया है.
- संपत्ति सुरक्षा का अधिकार: जम्मू और कश्मीर प्रवासी अचल संपत्ति (संरक्षण, सुरक्षा और संकटकालीन बिक्री पर रोक) अधिनियम, 1997 के तहत कश्मीरी पंडितों की संपत्ति की सुरक्षा करता है. सरकार ने अगस्त 2021 में एक ऑनलाइन पोर्टल लॉन्च किया जिससे प्रवासी अतिक्रमण और संकट में बिक्री की रिपोर्ट कर सकते हैं।
- भारत सरकार जम्मू में रह रहे लगभग 18,250 कश्मीरी प्रवासी परिवारों को मुफ्त मासिक राशन सहित 6600 रुपये प्रति परिवार, प्रति माह नकद राहत प्रदान कर रही है.
- जम्मू एवं कश्मीर से विस्थापित होकर राज्य के विभिन्न शहरों में रह रहे कश्मीरी परिवारों को, 1000 रुपये प्रतिमास प्रति सदस्य की दर से अधिकतम 5000 रुपये प्रति परिवार वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है.
नौकरशाही भी पड़ रही भारी!
कश्मीरी पंडित संघर्ष समिति के अनुसार, बहुसंख्यक मुस्लिम समुदाय के समर्थन के बावजूद, कश्मीरी पंडितों को सरकारी लाभ प्राप्त करने में अनेक प्रकार की कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है. एसआरओ 425 के तहत रोजगार और पुनर्वास लाभ प्राप्त करने के उनके दशकों पुराने प्रयास नौकरशाही बाधाओं के कारण विलंबित हैं. समुदाय के सामने सबसे अधिक दबाव वाले मुद्दों में से एक अविवाहित कश्मीरी पंडित युवाओं की बढ़ती संख्या है. हाल ही में जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कश्मीर में कश्मीरी पंडितों की वापसी को प्रोत्साहित करने के लिए विश्वास बहाली की बात की, जबकि कश्मीरी पंडितों का कहना है कि ठोस सरकारी कार्रवाई के बिना कश्मीरी पंडितों की वापसी की संभावना नहीं के बराबर है.