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जानिए क्या है भारत का IMEC प्लान, जो चीन को देगा कड़ी टक्कर


नई दिल्ली:

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 12 और 13 फरवरी को अमेरिका के दौरे पर जा (PM Modi US Visit) रहे है.  राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दूसरे कार्यकाल की शुरुआत के बाद पीएम मोदी का यह पहला अमेरिका दौरा होगा. इस दौरान दोनों नेताओं के बीच अहम मुद्दों पर बातचीत होगी. इस बातचीत में मुख्य फोकस रक्षा सहयोग, व्यापारिक संबंध और चीन के बढ़ते आर्थिक और सैन्य प्रभाव का मुकाबला शामिल है.

एम मोदी और ट्रंप के बीच होने वाली बातचीत के एजेंडे में भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारा काफी अहम है. यह एक मल्टीनेशनल इंफ्रास्ट्र्क्चर इनिशिएटिव है, जिसका मकसद चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव का विकल्प तैयार करना है. इस महत्वाकांक्षी परियोजना में अदाणी ग्रुप अहम भूमिका निभा रहा है. अदाणी ग्रुप ने पोर्ट और पावर प्लांट्स और डिफेंस से लेकर इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर तक तेजी से अपना विस्तार किया है. 

IMEC: चीन की ‘बेल्ट और रोड इनिशिएटिव’ का जवाब 

भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारा (IMEC) एक बड़ी बुनियादी ढांचा परियोजना है, जिसे भारत को मिडिल-ईस्ट के जरिए यूरोप से जोड़ने के लिए डिज़ाइन किया गया है. IMEC को एक बाजार-संचालित, पारदर्शी पहल के रूप में देखा जाता है, जिसका काम यह सुनिश्चित करना है कि इसमें हिस्सा लेने वाले राष्ट्र अपने बुनियादी ढांचे पर नियंत्रण बनाए रखें.

चीन और ईरान की 400 अरब डॉलर की बड़ी रणनीतिक साझेदारी से वैश्विक प्लेयर्स के बीच चिंता बढ़ गई है. इस साझेदारी में एनर्जी, ट्रेड, मिलिट्री डोमेन में बड़ा सहयोग शामिल है. इससे चीन मिडिल-ईस्ट में मजबूत होने की कोशिश कर रहा है.  चीन की इस साझेदारी के बाद भारत के व्यापारिक मार्गों के निर्माण और ऑल्टरनेट सप्लाई चेन की कोशिशों को और तेजी मिली है. आईएमईसी इसमें अहम भूमिका निभा रहा है, 

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क्या है भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारा (IMEC)?

IMEC भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारा है. इसकी खास बात यह है कि यह भारत, संयुक्त अरब अमीरात, सऊदी अरब, इज़रायल और यूरोप को जोड़ने वाला 4,500 किलोमीटर का व्यापार मार्ग हैं. यह गलियारा पारंपरिक समुद्री मार्गों की तुलना में ट्रांजिट टाइम में काफी कटौती करेगा. इससे नए बंदरगाहों, रेल नेटवर्क और ऊर्जा परियोजनाओं से भागीदार देशों को भी फायदा होगा. 

IMEC में अदाणी ग्रुप की भूमिका जानिए

अदाणी ग्रुप की ऊर्जा, बुनियादी ढांचे और लॉजिस्टिक्स में व्यापक रुचि है. ग्रुप का रणनीतिक निवेश भारत की विदेश नीति के उद्देश्यों के साथ करीब से जुड़ा हुआ है. यह चीन के बुनियादी ढांचे के प्रभुत्व को सीधे चुनौती देता है.अदाणी ग्रुप ने इज़रायल के हाइफ़ा पोर्ट में 70 प्रतिशत हिस्सेदारी का अधिग्रहण कर आईएमईसी को मजबूती दी है. इस कदम से न सिर्फ भारत-इज़रायल संबंधों को मजबूती मिली है, बल्कि भारत के भूमध्य सागर में बढ़ते प्रभुत्व के लिए भी मददगार है. 

इज़रायल-भारत रक्षा व्यापार का सालाना कारोबार 10 बिलियन डॉलर से ज्यादा है. निजी क्षेत्र की भागीदारी से ये रिश्ते और ज्य़ादा मजबूत हो रहे हैं. अदाणी ग्रुप इंडो-पैसिफिक में भी रणनीतिक बंदरगाहों का सक्रिय रूप से अधिग्रहण कर रहा है. चीन के स्टेट-कंट्रोल्ड मॉडल के विपरीत, अदाणी ग्रुप एक स्वतंत्र निजी यूनिट के रूप में काम करता है. 



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