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लोकसभा चुनाव परिणाम 2024: कौन हैं I.N.D.I.A के 5 नेता, जिन्होंने लगाया 'पांच का पंच'

राहुल गांधी के कांग्रेस के पुनरुद्धार के प्रयास रंग ला रहे हैं. पिछले चुनाव में कांग्रेस सिर्फ 52 सीटों पर सिमट गई थी. बीजेपी के देश को कांग्रेस मुक्त करने के नारे के बीच इस बार कांग्रेस 100 सीटों का आंकड़ा छू रही है और उसके नेतृत्व वाला इंडिया गठबंधन 231 से आंकड़े पर पहुंच गया है. राहुल गांधी केरल में वायनाड और उत्तर प्रदेश में रायबरेली सीट पर जोरदार बढ़त बनाए हुए हैं. साल 2019 में राहुल गांधी ने यूपी की अमेठी और केरल की वायनाड सीट से चुनाव लड़ा था. अमेठी में उन्हें स्मृति ईरानी से हार का सामना करना पड़ा था. हालांकि वायनाड में उन्हें 706,367 वोट मिले थे. मौजूदा चुनाव के रुझान राहुल गांधी के प्रभाव को बढ़ाने वाले हैं.

जमीनी जननेता के रूप में ममता बनर्जी का व्यक्तित्व फिर उभरा

पश्चिम बंगाल की 42 लोकसभा सीटों में से तृणमूल कांग्रेस 29 सीटों पर, बीजेपी 12 सीटों पर और कांग्रेस एक सीट पर आगे है. सन 2019 के चुनाव में टीएमसी को 22 और बीजेपी को 18 सीटें मिली थीं. इस बार टीएमसी की सीटें बढ़ती और बीजेपी की सीटें घटती हुई दिख रही हैं. चुनाव प्रचार में बीजेपी संदेशखाली केस को लेकर टीएमसी के खिलाफ आक्रामक रही थी. लग रहा था कि टीएमसी को इससे भारी नुकसान होगा, लेकिन स्थिति इससे उलट बनती दिख रही है. इन रुझानों से टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी का जमीनी जननेता का व्यक्तित्व एक बार फिर उभरता हुआ दिख रहा है.  

शरद पवार और उद्धव ठाकरे ने साबित किया नेतृत्व

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महाराष्ट्र में 48 लोकसभा सीटें हैं. इनमें से इंडिया गठबंधन में शिवसेना (यूबीटी) को 10 सीटें, कांग्रेस को 12 सीटें, एनसीपी (शरद पवार) को 7 सीटें मिलती दिख रही हैं. एनडीए में 11 सीटें बीजेपी को, 6 सीटें शिवसेना (एकनाथ शिंदे) को और एक सीट एनसीपी (अजीत पवार) को मिलती हुई दिख रही है. एक सीट निर्दलीय उम्मीदवार को मिलती दिख रही है. इन रुझानों से यह साफ है कि इंडिया गठबंधन के हिस्सा शिवसेना (उद्धव ठाकरे और एनसीपी (शरद पवार) काफी ताकत के साथ वापसी कर रहा है. महाराष्ट्र में यह दोनों पार्टियां टूट गई थीं. उद्धव ठाकरे और शरद पवार को अपनी-अपनी पार्टियां खोनी पड़ी थीं और नई पार्टी के रूप में अलग दलीय पहचान के साथ मैदान में उतरना पड़ा था. इसके बावजूद इस चुनाव में उनका प्रदर्शन शानदार रहा है. इससे एक बार फिर शरद पवार और उद्धव ठाकरे ने अपने नेतृत्व का प्रभाव साबित किया है. 

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अखिलेश यादव एक बार फिर दमदार नेता के रूप में उभरे

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उत्तर प्रदेश में लोकसभा की सबसे अधिक 80 सीटें हैं. माना जाता है कि जो लेकसभा चुनाव में जीत का रास्ता उत्तर प्रदेश से गुजरे बिना तय नहीं किया जा सकता. राज्य की 80 सीटों में से 35 पर समाजवादी पार्टी, 6 पर कांग्रेस, एक पर आजाद समाज पार्टी (कांशीराम), एक पर अपना दल (सोनेलाल), 35 पर बीजेपी और दो पर आरएलडी आगे है. राज्य में बीजेपी को भारी नुकसान होता दिख रहा है. सन 2019 में 62 सीटें जीतने वाली यह पार्टी इस बार घटकर 35 सीटों पर सिमटती दिख रही है. यानी उसको सीधे तौर पर 27 सीटों का नुकसान होता दिख रहा है. इसके विपरीत पिछले चुनाव में सिर्फ 5 सीटें जीतने वाली समाजवादी पार्टी   इस बार 35 सीटें जीतती हुई दिख रही है. सपा के अध्यक्ष अखिलेश यादव इस बार दमदार नेता बनकर उभरते हुए दिख रहे हैं.

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