लोकसभा चुनाव : कांग्रेस चीफ खरगे के लिए कर्नाटक में एक साल के भीतर प्रतिष्ठा की दूसरी लड़ाई
बेंगलुरु:
स्वयं को कर्नाटक का ‘भूमि पुत्र’ कहने वाले कांग्रेस अध्यक्ष एम मल्लिकार्जुन खरगे के लिए राज्य में आगामी लोकसभा चुनाव एक साल से भी कम समय के अंदर प्रतिष्ठा की एक और लड़ाई के रूप में सामने हैं. पिछले लोकसभा चुनाव (2019) में कांग्रेस को कर्नाटक में केवल एक सीट पर सफलता मिली थी और इस लिहाज से खरगे के सामने बड़ा लक्ष्य है.
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पिछले साल मई में राज्य विधानसभा चुनाव से कुछ दिन पहले खरगे ने मतदाताओं से भावनात्मक तार जोड़ते हुए आह्वान किया था कि कर्नाटक के ‘भूमि पुत्र’ के रूप में उनके कांग्रेस अध्यक्ष बनने पर लोगों को गर्व होना चाहिए.
कांग्रेस ने राज्य विधानसभा चुनाव में भारी जीत हासिल की. उसे 224 सदस्यीय विधानसभा में 135 सीटें मिलीं और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सत्ता से बाहर हो गई. इससे राष्ट्रीय स्तर पर खरगे को काफी मजबूती मिली.
राज्य में कांग्रेस मतदाताओं को लुभाने के लिए मुख्य रूप से पांच गारंटी लागू करने की बात कर रही है. इसके अलावा पार्टी जनाधार बढ़ाने, खासतौर पर दलितों तथा वंचित वर्गों से संपर्क साधने के लिए ‘खरगे फैक्टर’ को भुनाने का प्रयास करेगी.
इस बार उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष के नाते और ‘इंडिया’ गठबंधन के सहयोगी दलों के साथ समन्वय की जिम्मेदारियों के चलते चुनाव नहीं लड़ने का फैसला किया और पार्टी ने उनके दामाद राधाकृष्ण डोड्डामणि को आगामी चुनाव में गुलबर्गा से उम्मीदवार बनाया है.
कांग्रेस के सूत्रों के अनुसार खरगे इस बार कर्नाटक में विधानसभा चुनाव की तरह चुनाव प्रचार नहीं कर पा रहे हैं क्योंकि उन्हें देशभर में पार्टी उम्मीदवारों के लिए प्रचार करना होगा और लंबी यात्राएं करनी होंगी. इसके अलावा उन्हें विपक्षी गठबंधन के साथी दलों के साथ संयुक्त रैलियों को भी संबोधित करना होगा.
राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष खरगे कर्नाटक से कांग्रेस के दूसरे अध्यक्ष हैं. इससे पहले पार्टी प्रमुख एस निजालिंगप्पा भी इसी राज्य से थे. खरगे पार्टी अध्यक्ष के रूप में जगजीवन राम के बाद दलित समुदाय के दूसरे नेता हैं.
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