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महुआ मोइत्रा का मामला पहुंचा एथिक्स कमेटी, जानें- कैसे करती हैं यह काम और TMC सांसद पर क्या हो सकती है कार्रवाई?

वहीं महुआ मोइत्रा ने ऐसे किसी भी आरोप से इनकार किया है और कहा है कि वो किसी भी जांच का सामना करने के लिए तैयार हैं.

लोकसभा स्पीकर ओम बिरला को लिखी चिट्ठी में बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने आरोप लगाया कि महुआ मोइत्रा ने संसद में सवाल पूछने के लिए बिजनेसमैन दर्शन हीरानंदानी से गिफ्ट और घूस लिए. 

निशिकांत दुबे ने स्पीकर और केंद्रीय IT मंत्री अश्विनी वैष्णव को लिखी चिट्ठी

निशिकांत दुबे ने स्पीकर के अलावा एक पत्र केंद्रीय IT मंत्री अश्विनी वैष्णव और राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर को भी लिखा और मांग की कि महुआ मोइत्रा के लॉग इन आइडी और IP ऐड्रैस की जांच की जाए. वहीं मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने भी माना कि जो सवाल महुआ मोइत्रा ने संसद में पूछे थे, और कारोबारी दर्शन हीरानंदानी ने उनको जो खत लिखे थे, उन दोनों की भाषा बिल्कुल मिलती-जुलती है.

अगर एथिक्स कमेटी ने सांसद पर लगे आरोपों को सही पाया, तो महुआ मोइत्रा की संसद सदस्यता तक जा सकती है. 

आइए आपको बताते हैं कि एथिक्स कमेटी में कौन-कौन हैं और ये कैसे काम करती है?

बीजेपी सांसद विनोद सोनकर एथिक्स कमेटी के अध्यक्ष हैं. उनकी अध्यक्षता में ही लोकसभा की ये कमेटी महुआ मोइत्रा के मामले की जांच करेगी. एथिक्स कमेटी का काम नैतिक तौर पर किसी भी सांसद पर लगे आचरण से जुड़े आरोप की जांच करना है. इसके पास सभी तरह की ऐसी शिकायत जो लोकसभा स्पीकर द्वारा भेजी जाती है, उसकी जांच करता है. जैसे आज ओम बिरला ने महुआ मोइत्रा का मामला इस कमेटी के पास भेजा है. अब कमेटी इसकी जांच करेगी और शुरुआती जांच में कुछ ऐसा लगता है, तो ये कमेटी महुआ मोइत्रा से भी पूछताछ कर सकती है. साथ ही आरोप लगाने वाले सांसद निशिकांत दूबे से भी सबूत मांगे. जा सकते हैं.

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इसको लेकर राज्यसभा में तो स्पष्ट नियम बने हुए हैं, लेकिन लोकसभा में कोड ऑफ कंडक्ट का मामला पेंडिंग है. ये अब तक फाइनलाइज्ड नहीं हुआ है, लेकिन कोई भी भारतीय किसी सांसद के जरिए एथिक्स कमेटी से किसी सांसद के नैतिक आचरण की शिकायत कर सकती है.

एथिक्स कमेटी के 15 सदस्य :-

  1. विनोद कुमार सोनकर, बीजेपी, अध्यक्ष 
  2. डॉ सुभाष रामराव भामरे, बीजेपी
  3. सुनीता दुग्गल, बीजेपी
  4. हेमंत तुकाराम गोडसे, शिव सेना
  5. प्रणीत कौर, कांग्रेस
  6. कुंवर दानिश अली, बीएसपी
  7. पी आर नटराजन, सीपीएम
  8. उत्तम कुमार नलमदा रेड्डी, कांग्रेस 
  9. डॉ राजदीप रॉय, कांग्रेस
  10. अपराजिता सारंगी, बीजेपी
  11. सुमेधानंद सरस्वती, बीजेपी
  12. विष्णु दत्त शर्मा, बीजेपी
  13. बालाशौरी वल्लभनेनी, YSR कांग्रेस
  14. वैथिलिंगम वे., कांग्रेस
  15. गिरिधारी यादव, आरजेडी
हालांकि जिस भी सांसद पर ऐसे आरोप लगते हैं उन्हें अपना पक्ष रखने का मौका दिया जाता है. साथ ही प्रारंभिक जांच में अगर आरोप सही लगते हैं कि इसकी गहन जांच की जाती है. कमेटी आरोप लगाने वालों को भी समन देकर पूछताछ के लिए बुला सकती है. कमेटी महुआ मोइत्रा द्वारा पूछे गए सवालों की लिस्ट तैयार कर सकती है और इसकी जांच करेगी कि क्या ये किसी खास के हित में या उसके बिजनेस को लाभ पहुंचाने के लिए पूछे गए हैं. पूरी जांच कर एथिक्स कमेटी अपनी रिपोर्ट लोकसभा अध्यक्ष को देगी. अगर इसमें किसी भी तरह की सजा की सिफारिश की जाती है तो संसद में रिपोर्ट रखे जाने के बाद सहमति के आधार पर उस सांसद के खिलाफ एक्शन लिया जा सकता है. वहीं स्पीकर को भी ये अधिकार है कि वो सेशन नहीं चल रहा हो तो कार्रवाई को लेकर फैसला ले सकते हैं.

महुआ मोइत्रा पर लगे ये आरोप काफी गंभीर है, इसीलिए लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने इस मामले को एथिक्स कमेटी को भेजा है. 2005 में भी 10 लोकसभा सांसद और एक राज्यसभा सांसद पर इस तरह के पैसे लेकर सवाल पूछने के मामले में स्टिंग ऑपरेशन हुए थे, तब पवन कुमार बंसल की अध्यक्षता में एक कमेटी ने जांच में आरोप सही पाए थे और सभी सांसदों की सदस्यता चली गई थी, तो समय-समय ऐसे आरोप की जांच और कार्रवाई हुई है.

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टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा पर गंभीर आरोप

गौरतलब है कि लोकसभा स्पीकर को भेजी एमपी निशिकांत दुबे की चिट्ठी में सांसद महुआ मोइत्रा पर आरोप है कि उन्होंने दर्शन हीरानंदानी के हितों से जुड़े और अदाणी ग्रुप के हितों को नुक़सान पहुंचाने वाले सवाल पूछे. महुआ ने कैश और गिफ़्ट के लिए अपने पदों का दुरुपयोग किया तथा पैसे के लिए पीएम मोदी और अदाणी पर आरोप लगाए.

आरोप है कि टीएमसी सांसद ने 61 में से 50 सवाल हीरानंदानी और अदाणी से जुड़े हुए पूछे. 37 सवाल हीरानंदानी के पक्ष में तो वहीं 9 सवाल अदाणी को निशाना बनाने के लिए पूछे. साथ ही 7 सवाल हीरानंदानी के लिए अदाणी के ख़िलाफ़ पूछे, तो वहीं अपने चुनाव क्षेत्र पर सिर्फ़ 3 सवाल पूछे.

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