मोदी 3.0 : सरकारी कामकाज में सुधर और गुड गवर्नेंस को ग्रासरूट तक ले जाने की कवायद
नई दिल्ली:
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने 2047 तक “विकसित भारत” के बड़े लक्ष्य के साथ आने वाले दिनों में सरकारी नीति-निर्माण की प्रक्रियाओं में बड़े सुधार की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने का फैसला किया है. दरअसल, पिछले 10 साल और 100 दिन प्रधानमंत्री रहते नरेंद्र मोदी ने सरकारी मशीनरी को अधिक कुशल, जवाबदेह और उत्तरदायी बनाने के साथ ही प्रो पीपल और गुड गवर्नेंस की व्यवस्था को आगे बढ़ाने की कवायद जारी रखी है. इन 10 वर्षों और 100 दिनों में पीएम मोदी ने केंद्र सरकार के काम करने, नीतियां बनाने और केंद्रीय योजनाओं के कार्यान्वयन को अधिक प्रभावी बनाने के लिए अहम सुधार लागू किये हैं. पहले 100 दिनों में मोदी सरकार ने 15 लाख करोड़ से ज्यादा की योजनाओं को मंजूरी दी है. अब इन योजनाओं को लागू करने की प्रक्रिया को तेजी से आगे बढ़ाने पर जोर है.
मोदी 3.0 के 100 दिन पूरे होने पर प्रधानमंत्री मंगलवार सुबह भुवनेश्वर पहुंचे और प्रधानमंत्री आवास योजना – शहरी के लाभार्थियों के साथ सीधे संवाद किया. दरअसल, मई 2024 में पहली बार प्रधानमंत्री बनने के बाद पीएम मोदी ने सरकारी कामकाज के तरीके में बड़े सुधर और गुड गवर्नेंस को ग्रासरूट तक ले जाने की कवायद शुरू की थी. सरकारी योजनाओं की रूपरेखा तय करने, योजनाएं के कार्यान्वयन की प्रक्रिया के डिजिटाइजेशन के साथ-साथ उसकी मॉनिटरिंग और अफसरशाही की जवाबदेही तय करने के लिए नए मानक तय किए गए.
19 मई 2024 को The Hindkeshariको दिए एक एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में प्रधानमंत्री ने ब्यूरोक्रेसी में बदलाव को जरूरी बताते हुए प्रशासनिक व्यवस्था में सुधार के बड़े संकेत दिए थे.
अब मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल में तैयारी इस पहल को और आगे बढ़ाने की है. केंद्रीय मंत्री एसपी सिंह बघेल पिछले 100 दिनों में 26 दिन अपने मंत्रालय के अलग-अलग विभागों के कामकाज की समीक्षा के लिए 11 राज्यों का दौरा कर चुके हैं. बघेल कहते हैं कि गवर्नेंस को ग्रासरूट तक ले जाने की प्रक्रिया शुरू हो गई है.
ग्राउंड जीरो पर जाकर जनता से बातचीत कर रहे : बघेल
एसपी सिंह बघेल ने The Hindkeshariसे कहा, “मोदी 3.0 सरकार में सत्ता परिवर्तन के साथ-साथ मंत्रालयों में व्यवस्था परिवर्तन भी दिखाई पड़ रहा है. प्रधानमंत्री मोदी का एजेंडा है : गवर्नेंस को ग्रासरूट पर ले जाने का और यह निर्देश मंत्रियों को दिया गया है. अब मंत्री शास्त्री भवन, कृषि भवन या निर्माण भवन में सिर्फ काम नहीं करते वह ग्राउंड जीरो पर जा कर भी काम करते हैं… हम ग्राउंड जीरो पर जा रहे हैं और जनता से सीधे बातचीत कर रहे हैं जो लोकतंत्र में बेहद जरूरी है. सरकार जनता के लिए ही चुनी जाती है”.
अब सरकारी योजनाएं लैब से लेकर लैंड तक सही तरीके से पहुंचे, इसके लिए लैंड रिकॉर्ड से लेकर सरकारी कामकाज के डिजिटाइजेशन पर फोकस और बढ़ाने की तैयारी है. बघेल कहते हैं, “अब लाभार्थियों के बैंक खातों में सीधे पैसे पहुंचते हैं, पहले राजीव गांधी ने कहा था कि सिर्फ एक रुपये में 15 पैसा ही लाभार्थियों तक पहुंच रहा है. 85% तक सरकारी फंड्स अधिकारियों और प्रशासन में बंट जाते थे. प्रधानमंत्री मोदी ने सरकारी योजनाओं के कार्यान्वयन में भ्रष्टाचार को रोकने का काम किया है. अब एक बटन दबाते ही करोड़ों लाभार्थियों के बैंक खातों में सरकारी योजनाओं का पैसा सीधे पहुंच रहा है”.
सरकारी प्रोजेक्ट्स को तेजी से पूरा करने पर फोकस
फोकस इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर में सरकारी प्रोजेक्ट्स को तेजी से पूरा करने पर भी है. नेशनल इंडस्ट्रियल कॉरिडोर डवलपमेंट कॉर्पोरेशन यानी NICDC को 12 नए स्मार्ट इंडस्ट्रियल शहर बनाने की जिम्मेदारी दी गई है.
NICDC के सीईओ रजत कुमार सैनी कहते हैं कि इसे इम्प्लीमेंट करने का रोड मैप तैयार करना शुरू कर दिया गया है. सैनी ने The Hindkeshariसे कहा, “हमने 12 नए स्मार्ट इंडस्ट्रियल शहरों के निर्माण के लिए मौजूदा वित्तीय साल में ही टेंडर जारी करने का फैसला किया है, जिससे इसी साल इन नए स्मार्ट इंडस्ट्रियल सिटीज के कंस्ट्रक्शन का काम शुरू हो सके. इस प्रोजेक्ट के लिए 26,000 करोड रुपए के फंड्स को मंजूरी दी गई है… हमने अभी तक करीब 28,000 एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया है”
अब देखना अहम होगा कि मोदी सरकार इन योजनाओं को किस तरह तेजी से आगे बढ़ाती है.