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"नकली दवाई पकड़ने की खबरें इसलिए आ रही हैं क्योंकि हम एक्टिव": The Hindkeshariसे बोले फार्मा सचिव

गुणवत्ता और कीमत से एतराज पर लोग शिकायत कर सकते हैं: फार्मास्यूटिकल्स विभाग सचिव

नई दिल्ली:

फार्मास्यूटिकल्स विभाग के सचिव अरुणीश चावला ने The Hindkeshariसे खास बातचीत की. सचिव अरुणीश चावला ने कहा कि सालभर के भीतर मध्यम और छोटे तमाम ड्रग मैनफक्चरिंग यूनिट अपग्रेड होंगी . क्वालिटी से कोई कॉम्प्रोमाइज नहीं होगा. डॉक्टर लिखें और लोग बेहिचक होकर गुणवत्ता में खरी जेनेरिक मेडिसिन खरीदें. अगर लोगों को प्राइस और क्वालिटी से कोई एतराज हो, तो वो हमें लिख सकते हैं.

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उन्होंने कहा 50 ग्रीन फील्ड प्लांट का उद्घाटन हुआ है. जहां ड्रग्स और मेडिकल डिवाइसेज जो हमेशा से आयात होते थे. वो ग्रीन फील्ड प्लांट में देश में बनाए जाएंगे. अफोर्डेबिलिटी और अवेलेबिलिटी के लिए भारत सरकार के इनिशिएटिव लिए गए हैं. जन औषधि योजना जिसमें 2014 में 80 केंद्र थे. आज 10 हज़ार से ज़्यादा हैं और पीएम का लक्ष्य है कि इसको अगले दो तीन साल में 25 हजार तक ले जायेंगे. 

अरुणीश चावला ने नकली दवाइयों पर कहा लोग बिलकुल परेशान न हों.  नकली दवाइयों की खबरें इसलिए आ रही हैं कि हमलोग एक्टिव हैं. हमारा रिस्क फ्रेम वर्क है. जिसके ज़रिए पूरी मार्केट की समीक्षा करते हैं. रेगुलेटर और राष्ट्रीय औषधि मूल्य निर्धारण प्राधिकरण (National Pharmaceutical Pricing Authority) दोनों एक्टिव हैं. जहां-जहां से सूचनाएं मिलती हैं, हम वहां से सैंपल भी लेते हैं. राज्य और केंद्र के रेगुलेटर एक्टिव हैं. रैंडम चेकिंग भी कर रहे हैं. रेड भी कर रहे हैं.  सख्त कारवाई में बढ़ोतरी भी हुई है और अच्छा काम हो रहा है.

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क्वालिटी कंट्रोल पर अरुणीश चावला ने कहा कि जो क्वालिटी के प्रति सजग हैं. सुधार चाहते हैं. उनको लेकर योजना भी लेकर आ रहे हैं. स्वीकृति मिल गई है. इसके तहत मध्यम और छोटे ड्रग मैन्युफैक्चरिंग यूनिट हैं जो क्वालिटी अपग्रेड करना चाहते हैं. उनको साल भर की प्लांट अपग्रेड करने की मोहलत है.  ये विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की GMP ( गुड मैन्युफैक्चरिंग प्रैक्टिस) के अंतरराष्ट्रीय स्टैंडर्ड के होंगे. अपग्रेड करने पर प्लांट के खर्च का 10 – 20 % सब्सिडी के तौर पर सरकार देगी.

कीमत और गुणवत्ता को लेकर लोग क्या शिकायत कर सकते हैं? इस सवाल पर अरुणीश चावला ने कहा फार्मास्यूटिकल अथॉरिटी में मैकेनिज्म है, गुणवत्ता और कीमत से एतराज पर लोग शिकायत कर सकते हैं.

नकली दवाइयों पर छापेमारी की टिप क्या आम लोगों से भी मिली? इस सवाल पर अरुणीश चावला ने कहा कि कोई चीज़ अचानक नहीं है. स्टेट सीक्रेट है. ऑपरेशनल डिटेल तो नहीं साझा कर सकते पर लोगों ने भी जानकारी दी. सिस्टम अपना काम कर रहा है.डॉक्टर से अपील वो जेनेरिक मेडिसिन लिखें और लोगों को कहना है कि जन औषधि की दवाईयां 50 – 80% बाकी दवाइयों से सस्ती होती है और गुणवत्ता में खरी.

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