PM मोदी ने कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो से लाओस में मुलाकात की
लाओस:
PM नरेन्द्र मोदी और कनाडा के उनके समकक्ष जस्टिन ट्रूडो ने लाओस में आसियान (दक्षिण पूर्वी एशियाई राष्ट्रों का संगठन) शिखर सम्मेलन से इतर मुलाकात की. दोनों नेताओं के बीच यह मुलाकात, कनाडा में रह रहे एक खालिस्तानी अलगाववादी की मौत में भारत के संलिप्त होने का ट्रूडो द्वारा आरोप लगाये जाने के करीब एक साल बाद हुई है. ‘कनाडियन ब्रॉडकास्टिंग कॉरपोरेशन’ (सीबीसी न्यूज) ने शुक्रवार को कहा कि ट्रूडो ने बताया है कि लाओस के विएंतियान में आसियान शिखर सम्मेलन के इतर बृहस्पतिवार को दोनों नेताओं की मुलाकात के दौरान ‘‘संक्षिप्त बातचीत” हुई.
इस बीच, नयी दिल्ली में सूत्रों ने बताया कि विएंतियान में मोदी और ट्रूडो के बीच कोई ठोस बातचीत नहीं हुई. ‘सीबीसी न्यूज’ ने शुक्रवार को ट्रूडो के हवाले से कहा, ‘‘मैंने इस बात पर जोर दिया कि कुछ ऐसे काम हैं, जो हमें करने की जरूरत है.”
ट्रूडो ने विएंतियान में संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘हमने जो कुछ बातचीत की, मैं उस बारे में विस्तार से चर्चा नहीं करना चाहता लेकिन मैंने कई बार कहा कि कनाडा के लोगों की सुरक्षा और कानून के शासन को बरकरार रखना किसी भी कनाडाई सरकार की मूलभूत जिम्मेदारी है तथा मैं इसी बात पर अपना ध्यान केंद्रित रखूंगा.”
भारत और कनाडा के बीच संबंधों में पिछले साल तनाव आ गया था, जब ट्रूडो ने आरोप लगाया था कि 18 जून 2023 को सरे शहर में एक गुरुद्वारे के बाहर हुई हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारतीय एजेंटों की संभवत: संलिप्तता रही थी.
भारत ने 2020 में निज्जर को आतंकवादी घोषित किया था. नयी दिल्ली ने ट्रूडो के आरोपों को सिरे खारिज करते हुए ‘‘बेतुका” करार दिया था. भारत का कहना है कि दोनों देशों के बीच मुख्य मुद्दा यह है कि कनाडा अपनी धरती से गतिविधियां चला रहे खालिस्तान समर्थक तत्वों पर कोई अंकुश नहीं लगा रहा है.
ट्रूडो ने कहा, ‘‘हम पिछले कुछ महीनों से पूरे देश में भारतीय-कनाडाई लोगों के अधिकारों को प्रभावित करने वाली हिंसा के चिंताजनक पैटर्न देख रहे हैं, और यह एक ऐसा मुद्दा है जिसके बारे में मैं आपको आश्वस्त कर सकता हूं कि हम इस पर बहुत गंभीरता से विचार करना जारी रखेंगे.”
उन्होंने कहा कि वह अपने आरोप पर कायम हैं और राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसियां और कानून लागू करने वाली एजेंसियां ‘‘इस मुद्दे पर गहनता से काम करना जारी रखेंगी.” ट्रूडो का यह बयान कनाडा की विदेश मंत्री मेलानी जोली द्वारा बृहस्पतिवार को विदेशी हस्तक्षेप की सार्वजनिक जांच में गवाही देते हुए भारत के साथ संबंधों को ‘‘तनावपूर्ण” और ‘‘बहुत कठिन” बताए जाने के बाद आया है.
जोली ने कहा था कि वह निज्जर की मौत की कनाडाई पुलिस द्वारा जांच में भारत को शामिल करने के लिए दबाव डाल रही हैं, लेकिन अभी तक ऐसा नहीं हुआ है. मोदी और ट्रूडो की पिछली मुलाकात इस साल जून में इटली में जी-7 शिखर सम्मेलन के दौरान हुई थी. निज्जर की मौत के संबंध में कनाडा द्वारा आरोप लगाए जाने के बाद यह उनकी पहली मुलाकात थी.
इसके बाद, मोदी ने सोशल मीडिया पर दोनों नेताओं (मोदी और ट्रूडो) की एक तस्वीर साझा की थी जिसमें वे हाथ मिलाते दिख रहे थे. साथ ही, उन्होंने पोस्ट में कहा था, ‘‘जी7 शिखर सम्मेलन में कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो से मुलाकात की.”
ट्रूडो ने इसके अगले दिन कहा था कि कुछ ‘‘बहुत महत्वपूर्ण मुद्दों” के हल के लिए भारत के साथ मिलकर काम करने की प्रतिबद्धता है. दिल्ली में सूत्रों ने कहा कि मोदी और ट्रूडो के बीच कोई ठोस चर्चा नहीं हुई, लेकिन उन्होंने साथ ही कहा कि भारत को उम्मीद है कि कनाडा की धरती पर भारत विरोधी खालिस्तानी गतिविधियों की अनुमति नहीं दी जाएगी और ‘‘कनाडाई क्षेत्र से भारत के खिलाफ हिंसा, चरमपंथ और आतंकवाद को समर्थन देने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी, जिसका (कार्रवाई का) अब तक अभाव रहा है.”
सूत्रों ने कहा कि संगठित अपराध, नशीले पदार्थों के कारोबार से जुड़े गिरोह और मानव तस्करी के साथ ऐसी ताकतों की बढ़ती साठगांठ कनाडा के लिए भी चिंता का विषय होनी चाहिए.
उन्होंने कहा कि भारत, कनाडा के साथ संबंध को महत्व देता है लेकिन उसका मानना है कि जब तक कनाडा सरकार भारत विरोधी गतिविधियों में सक्रिय रूप से शामिल लोगों और भारत के साथ-साथ कनाडा में भी नफरत, गलत सूचना, सांप्रदायिक वैमनस्य और हिंसा को बढ़ावा देने की साजिश रह रहे लोगों के खिलाफ सख्त और पुष्टि योग्य कार्रवाई नहीं करती, इसे (संबंध को) दुरूस्त नहीं किया जा सकता.
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