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सुप्रीम कोर्ट अब तिलक मार्ग तक सीमित नहीं"… CJI ने बताया कैसे बदला SC का वर्किंग स्टाइल

सीजेआई चंद्रचूड़ का एक्सक्लूसिव इंटरव्यू.

नई दिल्ली:

भारत के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ (CJI DY Chandrachud) ने न्यायपालिका में सुधरों समेत कई मुद्दों पर अपनी बेबाक राय रखी. The Hindkeshariने देश के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ के साथ एक्सक्लूसिव बातचीत की. इस दौरान उन्होंने भारतीय न्याय सिस्टम में डिस्ट्रिक्ट कोर्ट की समस्याओं तक पर बातचीत की और उसमें सुधार के लिए कि जा रहे उपायों पर भी खुलकर अपनी राय रखी. CJI ने अपनी जिंदगी का सबसे बड़ा मिशन हर आम आदमी की न्यायपालिका तक पहुंच को बताया. इस दौरान सीजेआई ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट का काम करने का तरीका आज के समय में कैसे बदल गया है. 

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सीजेआई ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट अब सिर्फ तिलक मार्ग तक ही सीमित नहीं रह गया है. उनका मानना है कि वास्तव में सुप्रीम कोर्ट देश का प्रतिनिधित्व करता है.आज देशभर से ही नहीं, बल्कि देश के दूर-दराज के इलाकों से भी एक वकील, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से सुनवाई के लिंक के जरिए एक सिंपल से सेल फोन पर सर्वोच्च अदालत से जुड़ सकता है. उन्होंने कहा कि जिन वादियों के मामले सुप्रीम कोर्ट में हों या न हों, वे भी सर्वोच्च अदालत के कामकाज को देख सकते हैं.

“जनता को अदालत के कामकाज जानने का हक”

CJI ने कहा कि वह व्यक्तिगत रूप से महसूस करते हैं कि सुप्रीम कोर्ट की तरफ से किए जाने वाले कामकाज को समझने में नागरिक भी भूमिका निभाते हैं. सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि जनता का पैसा खर्च होता है, तो अदालत में क्या हो रहा है, ये जानने का उनको हक है. उन्होंने कहा कि अदालतों में किए जा रहे कामों को जानने से आम जनता में विश्वास और विश्वास की भावना पैदा होती है. 

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“अदालत के लिए हर केस अपने आप में स्पेशल”

सीजेआई ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट सभी मामलों को बहुत गंभीरता से लेता है. किसी अन्य के लिए कोई मुद्दा छोटा या बड़ा हो सकता है, लेकिन अदालत के लिए हर केस अपने आप में स्पेशल होता है. किसी के पेंशन का मामला, तनाव का केस, किसी के सर्विस टर्मिनेशन से जुड़ी एफआईआर, गलतफहमी का मामला, अगर कोई व्यक्ति बिना पेरोल के सालों से जेल में बंद है, मामला बिना जमानत के सालों से विचाराधीन है, हम इस तरह के मुद्दे को अदालत बहुत ही गंभीरता से लेती है.

“सुविधाओं के अभाव में कोई भी न्याय से वंचित न रहे”

सीजेआई ने कहा कि आम लोगों तक न्‍यायालयों को पहुंचाने के लिए कई तरीके अपनाए जा रहे हैं . उन्होंने कहा कि हर नागरिक के पास लेपटॉप और स्‍मार्ट फोन नहीं होता है. न्यायपालिका का कर्तव्य है कि सुविधाओं के अभाव में कोई भी व्यक्ति न्‍याय से वंचित न रहे. यही वजह है कि देशभर में करीब 18000 ई-सेवा केंद्र जिला अदालतों के परिसरों में खोले हैं. यह ई-सेवा केंद्र अभी पायलट बेसिस पर हैं. अब आम लोगों को मामलों की इंटरनेट फाइल, ई-फाइलें, कोर्ट में जाने के लिए पास आदि की सुविधाएं भी डिजिटल तरीके से मिल रही हैं.

 

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