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"किसानों से बातचीत बेनतीजा नहीं, सरकार पर विश्वास रखें": The Hindkeshariसे बोले अर्जुन मुंडा

खास बातें

  • दिल्ली बॉर्डर पर लगा ट्रैफिक जाम
  • दिल्ली में 12 मार्च तक धारा 144 लागू
  • किसान आंदोलन के चलते दिल्ली के सभी बॉर्डर सील

नई दिल्ली:

केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा (Union Minister Arjun Munda) ने किसान आंदोलन पर बात करते हुए आज कहा कि दो बार की किसानों से बातचीत बेनतीजा नहीं रही है. समाधान के लिए और चर्चा जरूरी है. The Hindkeshariसे बात करते हुए केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा कि बातचीत से समाधान मुमकिन है. रास्ता निकालने को तैयार हैं. किसान ध्यान रखें कि कुछ तत्व इसका लाभ लेने की कोशिश न करें. बहुत सारी शक्तियां हैं उनके बीच जो किसानों को बदनाम करने की कोशिश कर रही हैं. ऐसे लोगों से बचें.  सरकार पर विश्वास रखें. सरकार किसानों के हितों के लिए प्रतिबद्ध.

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केंद्रीय कृषि मंत्री अर्जुन मुंडा उस सरकारी प्रतिनिधिमंडल में शामिल थे जिसने कल चंडीगढ़ में किसान नेताओं से मुलाकात की थी और उन्हें दिल्ली  मार्च समाप्त करने के लिए कहा था.

“सरकार मांग पर गंभीर नहीं: मजदूर संघर्ष समिति महासचिव

सोमवार देर रात को केंद्र सरकार के साथ पांच घंटे से अधिक समय तक चली दूसरे चरण की बैठक के बाद किसान मजदूर संघर्ष समिति के महासचिव सरवन सिंह पंधेर ने कहा था, “हमें नहीं लगता कि सरकार हमारी किसी भी मांग पर गंभीर है. हमें नहीं लगता कि वे हमारी मांगों को पूरा करना चाहते हैं… हम कल सुबह 10 बजे दिल्ली की ओर मार्च करेंगे.”

फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी देने समेत अन्य मांगों को लेकर दो केंद्रीय नेताओं के साथ बैठक बेनतीजा रहने के बाद पंजाब से किसानों ने दिल्ली में कूच किया है. फेतहगढ़ साहेब से शंभू बॉर्डर पर जमा हुई किसानों की भीड़ पर पुलिस ने सख्ती दिखाते आंसू गैस के गोले दागे है. जिसके बाद वहां अफरातफरी मच गई.

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दिल्ली के सभी बॉर्डर सील

बता दें कि किसानों के प्रदर्शन को देखते हुए पहले से ही दिल्ली के बॉर्डर पर सुरक्षा के जबरदस्त इंतजाम किए गए हैं. दिल्ली आने वाले सभी बॉर्डर को सील कर दिया गया है. सिंघु बॉर्डर, टीकरी बॉर्डर और गाजीपुर बॉर्डर पर बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात है. दिल्ली की सीमाओं पर बहुस्तरीय अवरोधक, कंक्रीट के अवरोधक, लोहे की कीलों और कंटेनर की दीवारें लगाकर सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं.

संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा ने घोषणा की है कि किसान फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी के वास्ते कानून बनाने सहित अपनी मांगों को लेकर केंद्र पर दबाव बनाने के लिए ये आंदोलन कर रही है.

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