देश

चर्चाओं में रहा है इस्‍तीफा देने वाले चुनाव आयुक्त अरुण गोयल का करियर, जानिए 5 बड़ी बातें

अरुण गोयल का कार्यकाल दिसंबर 2027 तक था.

नई दिल्ली :
चुनाव आयुक्त अरुण गोयल (Arun Goel) ने लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections 2024) से कुछ हफ्ते पहले आज शाम को इस्तीफा दे दिया. सूत्रों ने The Hindkeshariको बताया कि चुनाव आयोग (Election Commission) के दूसरे सबसे बड़े अधिकारी गोयल ने इस्तीफा देते समय अपने पत्र में “व्यक्तिगत कारणों” का हवाला दिया है. उन्होंने कहा कि सरकार ने उन्हें इस्तीफा न देने के लिए मनाने की कोशिश की, लेकिन वह अड़े रहे. उन्होंने कहा कि अन्य चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति की प्रक्रिया जल्द ही शुरू होगी.

अरुण गोयल के बारे में पांच बातें : 

  1. अरुण गोयल सेवानिवृत्त नौकरशाह हैं और पंजाब कैडर के 1985 बैच के आईएएस अधिकारी रह चुके हैं.  61 साल के गोयल का निर्वाचन आयोग में कार्यकाल दिसंबर 2027 तक था. गोयल ने 2022 में चुनाव आयुक्त का पद संभाला था. उन्होंने 18 नवंबर को स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली थी और एक दिन बाद फिर उन्हें चुनाव आयुक्त नियुक्त किया गया था. उन्होंने 21 नवंबर को कार्यभार संभाला था.

  2. मुख्‍य चुनाव आयुक्‍त राजीव कुमार का कार्यकाल फरवरी 2025 में समाप्‍त हो रहा है. ऐसे में गोयल अगले मुख्य चुनाव आयुक्त बनने की कतार में थे. वहीं फरवरी में अनूप पांडे की सेवानिवृत्ति और अब गोयल के इस्तीफे के बाद तीन सदस्यीय चुनाव आयोग पैनल में अब केवल मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार हैं. अरुण गोयल की निर्वाचन आयोग में नियुक्ति को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी.

  3. एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स यानी एडीआर की ओर से दाखिल जनहित याचिका में कहा गया था कि अरुण गोयल की नियुक्ति कानून के मुताबिक सही नहीं है. जनहित याचिका से पहले एडीआर ने निर्वाचन आयुक्तों की मौजूदा नियुक्ति प्रक्रिया की संवैधानिक वैधता को भी सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी.

  4. याचिका के अनुसार, भारत सरकार ने गोयल की नियुक्ति की पुष्टि करते हुए कहा था कि चूंकि वह तैयार किए गए पैनल में चार व्यक्तियों में सबसे कम उम्र के थे, इसलिए चुनाव आयोग में उनका कार्यकाल सबसे लंबा होगा. याचिका में तर्क दिया गया कि उम्र के आधार पर गोयल की नियुक्ति को सही ठहराने के लिए जानबूझकर एक दोषपूर्ण पैनल बनाया गया था. 

  5. हालांकि याचिका को पिछले साल दो न्यायाधीशों की पीठ ने खारिज कर दिया. न्‍यायाधीशों ने कहा था कि एक संविधान पीठ ने इस मुद्दे की जांच की थी. साथ ही गोयल की नियुक्ति रद्द करने से इनकार कर दिया था. 

     

यह भी पढ़ें :-  लोकसभा चुनाव : अमित शाह ने कर्नाटक की सभी सीटें जीतने के लिए दिया 'जीत का मंत्र'
Show More

संबंधित खबरें

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button