देश

मशीनों से मोहब्बत का बढ़ा कल्चर, अब AI को बॉयफ्रेंड-गर्लफ्रेंड बना रहे युवा; इंसानों से दूरी कितना खतरनाक?


नई दिल्ली:

आज के बदले हुए दौर में मोहब्बत के लिए किसी मैं और तुम की ज़रूरत नहीं रह गई है. इन दिनों युवा चैट बॉक्स में गर्लफ्रेंड या बॉयफ्रेंड तलाशते नजर आ रहे हैं. अपने देश में भी इसका चलन काफी तेजी से बढ़ रहा है. कई आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कंपनियां ऐसे कंपेनियन ऐप्स बना रही हैं, जिनमें आप अपना पार्टनर खोज सकते हैं. ये ऐप आपको बिल्कुल इमोशनल टच के साथ फ्रेंडशिप मुहैया कराते हैं. कैरेक्टर AI ऐसा ही एक ऐप है. इसे इस साल 1.9 करोड़ बार डाउनलोड किया जा चुका है. पार्टनर खोजने के इस बिजनेस में कैरेक्टर AI, टॉकी AI और रेप्लिका ने मिलाकर 9 करोड़ डॉलर की कमाई कर ली है.

दिलचस्प ये है कि ऐसे ऐप्स में सबसे ज़्यादा दिलचस्पी भारत में दिख रही है. इस साल इस तरफ के ऐप सबसे ज़्यादा करीब 21% भारत में ही डाउनलोड हुए हैं. यानी इन्हें भारत में 46 करोड़ बार डाउनलोड किया गया है. सवाल है कि क्या इमोशनल टॉक्स किसी ऐसी मशीन से की जा सकती है, जिसकी कोई धड़कन नहीं होती. क्या वाकई मशीन के साथ आप अपनी दिल की बाद, हर जज्बात और हम ख्वाहिश शेयर कर सकते हैं? क्या हमारे युवा अकेलेपन के इस कदर शिकार हो रहे हैं, जो मशीनों में मोहब्बत खोजने लगे हैं. AI पार्टनर समाज के लिए कितना बड़ा खतरा हैं?

पहले जान लीजिए क्या है AI?
AI यानी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस. यह दो शब्दों ‘आर्टिफिशियल’ और ‘इंटेलिजेंस’ से बना है. इसका अर्थ है- ‘मानव निर्मित सोच शक्ति.’ इसलिए हम ये कह सकते हैं कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एक ऐसी टेक्नोलॉजी है, जिसका इस्तेमाल करके हम ऐसे बुद्धिमान सिस्टम बना सकते हैं, जो मानव बुद्धिमत्ता को फॉलो कर सके. वहीं, मशीन लर्निंग डेटा से ज्ञान निकालने के बारे में है. इसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के रूप में परिभाषित किया जा सकता है, जो मशीनों को स्पष्ट रूप से प्रोग्राम किए बिना पिछले डेटा या अनुभवों से सीखने में सक्षम बनाता है.

WHO की एक रिपोर्ट के मुताबिक, हर 4 में से एक वयस्क अकेलेपन का शिकार हैं. युवा और किशोर भी इससे अछूते नहीं हैं. कॉम्पिटिशन के दौर में काम का बढ़ता दबाव या प्रोफेशनल और पर्सनल लाइफ में पिछड़ जाने को लेकर असुरक्षा की भावना जैसे कई कारण होते हैं, जो अकेलेपन को बढ़ा सकते हैं. अपना अकेलापन दूर करने के लिए ऐसे युवा मशीनों को अपनी दुनिया बना लेते हैं.

कंपेनियन ऐप्स कैसे करते हैं काम
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) कंपेनियन ऐप्स ऐसे युवाओं को लिए एक पर्सनल असिस्टेंट के रूप में काम करते हैं, जो यूजर्स को उनके डेली लाइफ की मुश्किलों में भी मदद करते हैं.

यह भी पढ़ें :-  नया गरबा लिखा है, नवरात्र के दौरान साझा करूंगा: PM मोदी

1. नेचरल लैंग्वेज प्रोसेसिंग (NLP): AI कंपेनियन ऐप्स नेचरल लैंग्वेज प्रोसेसिंग टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करके यूजर्स की बातचीत को समझते हैं. उसके अनुसार रिस्पॉन्स करते हैं.
2. मशीन लर्निंग: AI कंपेनियन ऐप्स मशीन लर्निंग अल्गोरिदम का इस्तेमाल करके यूजर्स की आदतों और पसंदों को सीखते हैं. उसके अनुसार पर्सनल एडवाइस देते हैं.
3. डेटा एनालिटिक्स: AI कंपेनियन ऐप्स यूजर्स के डेटा का एनालिसिस करके उनकी जरूरतों और पसंदों को समझते हैं. उसके अनुसार सर्विस देते हैं.
4. वॉइस असिस्टेंट: AI कंपेनियन ऐप्स वॉइस असिस्टेंट की सुविधा देते हैं, जो यूजर्स को वॉइस कमांड के जरिए अपने काम को कंट्रोल करने की परमिशन देता है.

मोनिका भाभी… DU की छात्रा ने AI से बना दिया मोना लिसा का इंडियन वर्जन, पूछा इसका नया नाम, यूजर्स ने दिए मज़ेदार जवाब

कितने टाइप के कंपैनियन ऐप्स?
Laura :  लौरा AI ऐप्स पर आप वैसे बात कर सकते हैं, जैसे किसी लड़की या गर्लफ्रेंड से करते हैं. ये आपके सवालों का जवाब दे सकती है. लौरा रूसी, स्पेनिश और फ्रेंच समेत कई भाषाओं में बात कर सकती है. आप गूगल पर Laura AI कीवर्ड के साथ इसे सर्च कर सकते हैं.

Latest and Breaking News on NDTV

My Virtual Manga Girl : इस ऐप में आप अपनी गर्लफ्रेंड के बाल, आंखें, कपड़े और बैकग्राउंड को बदल सकते हैं. इसमें मौजूद वर्चुअल वुमन डांस और सिंगिंग भी कर लेती है. 3डी एनिमेशन से इसे घुमाया भी जा सकता है.

Smart Virtual Girlfriend : यह वर्चुअल गर्लफ्रेंड काफी चालाक है. इससे बात करके लगता है कि आप किसी समझदार लड़की से बात कर रहे हैं.

My Virtual Girlfriend Julie : जूली एक वास्तविक लड़की की तरह गुस्से, प्यार समेत कई भावनाओं को जाहिर कर सकती है. इससे लगता है कि कोई असल लड़की से बातचीत हो रही है.

Replika: यह एक AI चैटबॉट है. कई लोगों ने रेप्लिका के साथ प्यार में पड़ने का दावा किया है. आप रेप्लिका से दोस्त, भाई या पार्टनर अपनी पसंद का रिश्ता बना सकते हैं. रेप्लिका को दुनियाभर में लाखों लोगों ने डाउनलोड किया है.  

My Virtual Boyfriend Free : यह एक मजेदार और फ्लर्टी वर्चुअल बॉयफ्रेंड ऐप है. इस ऐप में लड़कियां अपनी पसंद का बॉयफ्रेंड बना सकती हैं. आप ऐप में अपने वर्चुअल बॉयफ्रेंड से बात कर सकते हैं. उसे गुस्से में चार बातें भी सुना सकते हैं. उसे सरप्राइज भी कर सकते हैं.

Anima : यह एक AI बॉयफ्रेंड है. इससे बात करने पर लगता है कि इसमें इमोशन हैं.

My Virtual Boyfriend Talk : यह ऐप 2023 के सबसे अच्छे वर्चुअल बॉयफ्रेंड ऐप में से एक रही है. इससे आप अपने वर्चुअल बॉयफ्रेंड की तरह बात कर सकते हैं.

Smart Virtual Boyfriend : यह ऐप आपको इंटेलीजेंट वर्चुअल लड़के के साथ चैट करने की परमिशन देती है. यह वर्चुअल बॉयफ्रेंड ऐप है.

यह भी पढ़ें :-  'सनातन समाज कमजोर होगा तो...': हरियाणा के चुनावी रैली में कांग्रेस पर फिर गरजे CM योगी

Talky.AI: यह एक ट्रेंडिंग AI प्लेटफ़ॉर्म है, जहां यूजर्स वर्चुअल कैरेक्टर से बात कर सकते हैं. आप इसमें अपना कस्टाइमस बॉयफ्रेंड या गर्लफ्रेंड भी बना सकते हैं.

कैरेक्टर AI: यह एक चैटबॉट सर्विस है, जिसके ज़रिए आप वास्तविक या काल्पनिक पात्रों से बातचीत कर सकते हैं. 
यह एक AI चैटबॉट वेब ऐप है. इसमें आपको मानव जैसी बातचीत करने का अनुभव मिलता है. इस ऐप में आप अपने कैरेक्टर को कोई नाम दे सकते हैं. कोई चेहरा दे सकते हैं. कैरेक्टर AI को पूर्व-Google AI डेवलपर नोम शेज़ीर और डैनियल डी फ़्रीटास ने डेवलप किया था. इसे सितंबर 2022 में लॉन्च किया गया था. 

AI कंपेनियन ऐप्स के फायदे

1. व्यक्तिगत सिफारिशें
2. कामों का ऑटोमेशन
3. समय की बचत
4. सुविधा और आराम

Explainer : AI कितना खतरनाक? क्या इंसान की बनाई मशीन उसी पर हो सकती हावी

AI कंपेनियन ऐप्स के नुकसान
AI गर्लफ्रेंड और बॉयफ्रेंड के समाज पर कई प्रकार के प्रभाव हो सकते हैं, जिनमें से कुछ खतरनाक भी हो सकते हैं. यहां कुछ संभावित खतरे हैं:

Latest and Breaking News on NDTV

1. सामाजिक अलगाव: AI गर्लफ्रेंड और बॉयफ्रेंड के साथ बातचीत करने से लोग वास्तविक सामाजिक संपर्कों से दूर हो सकते हैं, जिससे सामाजिक अलगाव और अकेलापन बढ़ सकता है.
2. मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव: AI गर्लफ्रेंड और बॉयफ्रेंड के साथ बातचीत करने से लोगों को मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं. जैसे-अवसाद, चिंता और आत्म-सम्मान की कमी.
3. वास्तविक संबंधों पर प्रभाव: AI गर्लफ्रेंड और बॉयफ्रेंड के साथ बातचीत करने से लोगों को वास्तविक संबंधों में समस्याएं हो सकती हैं, जैसे कि संचार की कमी, विश्वास की कमी और भावनात्मक दूरी.
4. नैतिक समस्याएं: AI गर्लफ्रेंड और बॉयफ्रेंड के साथ बातचीत करने से नैतिक समस्याएं हो सकती हैं.
5. सुरक्षा और गोपनीयता समस्याएं: AI गर्लफ्रेंड और बॉयफ्रेंड के साथ बातचीत करने से सुरक्षा और गोपनीयता समस्याएं हो सकती हैं, जैसे कि डेटा की चोरी या AI के साथ बातचीत की रिकॉर्डिंग.

G20 Summit: हाथ मिलाया, लगे गले, फ्यूचर की प्लानिंग को लेकर जानें मोदी-मैक्रों के बीच हुई क्या बात

क्या कहते हैं एक्सपर्ट?
सोशियोलॉजिस्ट डॉ. रानी टोकस कहती हैं, “AI के जरिए हमें क्यों पार्टनर की जरूरत पड़ रही है… ये सीधे तौर पर एक सामाजिक बदलाव की तरफ इशारा करती है. ये बदलाव बहुत पहले से हो रहा है. आए दिन हम मीडिया और दूसरे प्लेटफॉर्म पर युवा से जुड़े ऐसे कई मामले सुनते हैं, जिसे लेकर चिंता बढ़ जाती है. चाहे हो यूथ में गेमिंग को लेकर एडिक्शन हो, या पार्टनर से जुड़ाव को लेकर. सवाल उठता है कि आखिर युवाओं को ऐसी कौन सी कमी महसूस हो रही है, जो वो AI में अपना पार्टनर  तलाश रहे हैं. जवाब है- अकेलापन और दूसरों पर भरोसे की कमी.”

यह भी पढ़ें :-  राजस्थान में ट्रिपल मर्डर, माता-पिता और बहन की कुल्हाड़ी से काटकर की हत्या, फिर सुबह बिस्किट खाते हुए थाने पहुंचा हत्यारा
डॉ. रानी टोकस कहती हैं, “आज के युवा भीड़ में होकर भी खुद को अकेला महसूस करते हैं. बड़े-बड़े शहरों में उनके पास सबक कुछ है. सोशल मीडिया पेज पर ढेर  सारे फॉलोअर और फ्रेंड्स हैं. लेकिन अपना कोई नहीं है. हाल के समय में सोशल इंस्टिट्यूट्स जैसे शादी, रिश्तेदारी सब सिमित हो गए हैं. युवाओं का शादी पर से भरोसा उठने लगा है. वो अकेला रहना पसंद करते हैं या लिव इन में रहना. शादी और परिवार की जिम्मेदारियां वो उठाने से कतराते हैं. सोशल इंस्टीट्यूशन में बिखराव की वजह से युवाओं में अकेलापन बढ़ रहा है.”

रानी टोकस बताती हैं, “अपने अकेलेपन को दूर करने के लिए आईटी लवर युवा टेक्नोलॉजी और AI का सहारा लेते हैं. वो अपने अकेलेपन की दवाई AI ऐप में तलाशते हैं. अगर कोई इमोशनल गैप या ब्रेकडाउन किसी फैमिली में है, तो जाहिर तौर पर वो रिलेशनशिप में दिखेगा ही. इन जटिलताओं से बचने के लिए ऐसे युवा किसी से इमोशनल रिश्ता नहीं बनाते, बल्कि मशीनों पर भरोसा करने लगते हैं. जाहिर तौर पर ये समाज के लिए हमारे सामाजिक स्ट्रक्चर के लिए खतरे की घंटी ही है.”

94% भारतीय फर्म कम से कम एक काम में करती हैं Gen AI का इस्तेमाल : रिपोर्ट

AI के इस्तेमाल में बरतें सावधानियां
-AI कोई इंसान नहीं है. ये एक मशीन है. इसलिए इसके आउटपुट या रिजल्ट पर भरोसा करने से पहले उन्हें खुद भी जांच लें. आप मान लीजिए कि AI गलती कर सकता है.
– AI टूल्स को अपनी निजी जानकारियां जैसे पासवर्ड, बैंक डिटेल्स, प्राइवेट फोटो देने से बचें. सेंसेटिव डेटा लीक होने पर आपको नुकसान पहुंचने की गुंजाइश है.
-AI का इस्तेमाल किसी को नुकसान पहुंचाने या किसी को फ्रॉड करने के लिए न करें.


Show More

संबंधित खबरें

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button