देश की जीडीपी का 7 प्रतिशत तक हो सकता है गृहणियों के श्रम का आर्थिक मूल्य
नई दिल्ली :
घरों में करोड़ों गृहणियां (Housewives) जो अवैतनिक श्रम करती हैं, उनके श्रम का आर्थिक मूल्य जीडीपी का 7 प्रतिशत तक हो सकता है. उद्योग संघ फिक्की लेडीस आर्गनाइजेशन (FICCI Ladies Organization) की अध्यक्ष सुधा शिवकुमार ने The Hindkeshariसे बातचीत में यह अहम बात कही. फिलहाल घरों में गृहणियों द्वारा किए गए काम को औपचारिक तौर पर श्रम के रूप में नहीं पहचाना जाता है. इसे GDP के आकलन में भी शामिल नहीं किया जाता है.
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गृहिणी के रूप में करोड़ों घरों में महिलाओं द्वारा किया जाने वाला अवैतनिक श्रम बेहद महत्वपूर्ण है, और देश की जीडीपी के आकलन में इसके आर्थिक मूल्य को भी शामिल किया जाना चाहिए. उद्योग संघ फिक्की लेडीस आर्गनाइजेशन की ताजा रिपोर्ट में यह बात कही गई है.
The Hindkeshariसे बातचीत में आर्गनाइजेशन की अध्यक्ष सुधा शिवकुमार ने कहा, गृहणियों के अवैतनिक श्रम को महत्व देना बेहद जरूरी है, क्योंकि इसका आर्थिक मूल्य देश की जीडीपी का 7 फीसदी तक हो सकता है.
सुधा शिवकुमार ने कहा, “इंटरनेशनल लेबर आर्गनाइजेशन, संयुक्त राष्ट्र और टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (TISS) ने गृहिणियों द्वारा किए गए अवैतनिक कार्यों के आर्थिक मूल्यांकन पर कई अध्ययन किए हैं. एक सामान्य गणना के अनुसार गृहिणियों द्वारा किए गए अवैतनिक कार्यों का आर्थिक मूल्य सकल घरेलू उत्पाद के 7% तक हो सकता है.”
भारतीय वाणिज्य एवं उद्योग महासंघ (FICCI) का आकलन है कि भारतीय अर्थव्यवस्था में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए अगर जीडीपी का 2% पब्लिक इन्वेस्टमेंट किया जाता है तो इससे एक करोड़ 10 लाख नौकरियां पैदा होंगी, जिनमें करीब 77 लाख तक महिलाओं को रोज़गार मिल सकेगा.
सुधा शिवकुमार ने कहा, “पेड केयर सेक्टर (Paid Care sector) को नियमित और व्यवस्थित करने की आवश्यकता है. इंटरनेशनल लेबर आर्गनाइजेशन (ILO) ने अनुमान लगाया है कि वैश्विक स्तर पर यह 7 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की अर्थव्यवस्था हो सकती है…जीडीपी के 2% के बराबर प्रत्यक्ष सार्वजनिक निवेश से 11 मिलियन तक नौकरियां पैदा हो सकती हैं, जिनमें से लगभग 70% महिलाओं को मिलेंगी.”
जाहिर है, अगर गृहणियों के अवैतनिक श्रम के आर्थिक मूल्य को जीडीपी में शामिल किया जाता है तो इससे GDP का दायरा भी बढ़ेगा और घरों में गृहणियों के काम के प्रति सम्मान भी.