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The HindkeshariElection Carnival: PM मोदी की सीट पर क्या है वोटर्स का मिजाज? विकास के मुद्दे पर कांग्रेस-BJP आमने-सामने

वाराणसी सीट पर अब तक 17 बार लोकसभा चुनाव हो चुके हैं. इनमें से 7 बार यहां कांग्रेस को जीत मिली. 7 बार ही बीजेपी ने लोकसभा सीट पर कब्जा जमाया. कुर्मी और ओबीसी जाति बाहुल सीट वाराणसी पर किसी भी दल की जीत में अहम भूमिका इस वर्ग की रहती है. इसके साथ ही ब्राह्मण, भूमिहार, वैश्य और मुस्लिम मतदाताओं की निर्णायक भूमिका में रहते हैं. ये सीट सिर्फ यूपी ही नहीं, बल्कि बिहार की कई सीटों पर असर रखती है.

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पीएम मोदी यहां से तीसरी बार चुनावी मैदान में हैं. ऐसे में बीजेपी बनारस की गलियों में जाकर अपने वोटरों को क्या कह रही है? इसके जवाब में यूपी सरकार में मंत्री रवींद्र जायसवाल ने कहा, “काशी का सौभाग्य है कि पीएम मोदी ने तीसरे बार के निर्वाचन के लिए वाराणसी को चुना. आज पीएम मोदी की विकास योजनाओं के कारण काशी की अर्थव्यवस्था अच्छी हो गई है. हर व्यक्ति की इनकम बढ़ रही है. चाहे वो व्यापारी हो, किसान हो या रिक्शावाले… चाहे टूरिज्म के हो या धर्म से जुडे़ हुए व्यक्ति हो… सभी तक केंद्र की योजनाएं पहुंच रही हैं.”

बीजेपी के इस विजय रथ को रोकने के लिए यूपी में समाजवादी पार्टी और कांग्रेस गठबंधन में है. समझौते के तहत वाराणसी में कांग्रेस ने अजय राय को उतारा है. कांग्रेस के प्रवक्ता संजीव सिंह कहते हैं, “विकास एक सतत प्रक्रिया है. पंडित कमलापति त्रिपाठी यहां के सीएम हुआ करते थे. वो वाराणसी से कांग्रेस के सांसद भी रहे और कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी थे. आप ये विकास देखें. यहां पर ठाकुर रघुनाथ सिंह हुआ करते थे. उनके समय यहां डीरेका (डीजल लोकोमेटिव वर्क्स-अब बीरेका) खुला. ये सब कांग्रेस के समय में हुआ. आज 50 हजार परिवार डीरेका से पलता है. एक भी ऐसा कारखाना मोदी सरकार ने वाराणसी को नहीं दिया.”

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संजीव सिंह कहते हैं, “वाराणसी में आईटी को आईआईटी का दर्जा भी मनमोहन सिंह सरकार ने दिया था. मोदी सरकार ने एक ऐसा इंस्टीट्यूट नहीं दिया, जो बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी के बराबर का हो. जिस ट्रॉमा सेंटर का फीता काटने पीएम आए, उसका भी काम यूपीए सरकार के दौरान हुआ. कांग्रेस ने विकास दिया है.”

इसके जवाब में यूपी सरकार में मंत्री रवींद्र जायसवाल ने कहा, “जब बीजेपी की सरकार नहीं थी, तो गंगा में प्रदूषण ज्यादा था. डुबकी लगाने के लिए भी दिक्कत होती थी. आज अगर लाखों-करोड़ों लोग गंगा में जा रहे हैं, तो विकास हुआ है या नहीं इसका सबूत खुद जनता है.”

समाजवादी पार्टी के महानगर अध्यक्ष दिलीप डे कहते हैं, “काशी में पहले लोग मोक्ष पाने के लिए आते थे. आज ये हालत है कि गंगा में नाले का पानी जाने को लेकर एनजीटी ने पैनाल्टी लगाई है. काशी में कोई काम नहीं हुआ है. विकास के नाम पर बनारस में विनाश हुआ है.”

कार्यक्रम के दौरान मतदाताओं से चुनावी मुद्दों के बारे में पूछा गया. एक मतदाता ने कहा, “इस समय केंद्र सरकार ने श्रम कानूनों में बदलाव किया है. थ्री लेबर लॉ लेकर आ गए. इसके तहत उन्होंने फिक्स्ड टर्म एंप्लॉयमेंट का प्रावधान दिया. केंद्र सरकार से मेरा सवाल है कि सबको काम क्यों नहीं मिल रहा.” इसके जवाब में यूपी सरकार में मंत्री रवींद्र जायसवाल ने कहा, “वाराणसी में न तो काम की कमी है और न ही क्वालिटी की कमी है. जिसके बाद कोई योग्यता नहीं है, वो बेकार है और बेकार रहेगा.”

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एक दूसरे वोटर्स ने शहर में घंटों रुके रहने वाले ट्रैफिक को मुद्दा बताया है. साथ ही कई इलाकों में पानी की समस्या और रोजगार को भी वोटर्स चुनावी मुद्दा मानते हैं.

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बीजेपी के रवींद्र जायसवाल दावा करते हैं कि इसबार भी बनारस के वोटर्स बीजेपी और पीएम मोदी के साथ हैं. जबकि समाजवादी पार्टी के महानगर अध्यक्ष दिलीप डे का कहना है कि हवा का रुख कहता है कि यहां सपा-कांग्रेस के गठबंधन की जीत होगी. कांग्रेस के प्रवक्ता संजय सेठ कहते हैं, “वोटर्स जुमले पंसद नहीं करता. हम उन्हें जुमले नहीं देंगे. विकास देंगे.”

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