The HindkeshariExclusive: कैसे हमास ने "गैल्वनाइज्ड" फ़िलिस्तीनी मुद्दे को उठाया, लेकिन समर्थन खो दिया
नई दिल्ली :
इज़रायली सेना द्वारा जमीनी आक्रमण की चेतावनी देने के बाद हजारों फिलिस्तीनियों ने दक्षिणी गाजा में शरण मांगी है. अगले कुछ दिनों में क्या होगा, कुछ कहा नहीं जा सकता है. पिछले हफ्ते फिलिस्तीनी समूह हमास द्वारा किए गए हमले, जिसमें 1,300 से अधिक लोग मारे गए, इसके बाद इज़रायल ने हमास को जड़ से खत्म करने की ठान ली है. जैसे-जैसे समय बढ़ रहा है, हालात और खराब होते जा रहे हैं. The Hindkeshariने युद्ध की यथास्थिति को समझने और गाज़ा पट्टी के भविष्य को लेकर लैंकेस्टर विश्वविद्यालय में अंतरराष्ट्रीय राजनीति के प्रोफेसर और मध्य पूर्व पर कई पुस्तकें लिख चुके साइमन मैबॉन से बात की…
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क्या इसे “इजरायल-फिलिस्तीन युद्ध” कहना स्थिति का सही अनुमान लगाना होगा?
साइमन: यह एक संघर्ष है, जो विभाजन से घिरे समाजों के संदर्भ में चलता है. इजरायली समाज में दक्षिणपंथी आंदोलनों और उनके राजनीतिक सहयोगियों जैसे बेंजामिन नेतन्याहू और इतामार बेन-गविर का वर्चस्व बढ़ रहा है. ये इज़रायली समाज को अपने दृष्टिकोण के अनुसार आकार देना चाहते हैं. वे हमास के नेतृत्व वाले फ़िलिस्तीनी समाज के एक समूह का हिंसक रूप से विरोध करते हैं, लेकिन जो प्रतिरोध संघर्ष को प्रेरित करने के व्यापक प्रयास में कई और लोगों को शामिल करता है.
ऐसा कहा जा रहा है कि कई फिलिस्तीनी, हमास का समर्थन नहीं करते हैं. वे नागरिकों के ख़िलाफ़ हिंसा की निंदा करते हैं. वे हमास की बढ़ती लोकप्रियता के बारे में चिंता व्यक्त करते हैं, क्योंकि वेस्ट बैंक के भीतर इसकी बहुत अधिक राजनीतिक वैधता नहीं है, और फिर इसने भी खुद को प्रतिरोध में सबसे आगे रखकर समर्थन हासिल कर लिया है.
इसके परिणामस्वरूप, यह संघर्ष फ़िलिस्तीनी और इज़रायली समाज के सभी हिस्सों को लील रहा है, भले ही यह इज़रायल और फ़िलिस्तीन के बीच युद्ध न हो. यह एक जटिल और बहुआयामी संघर्ष है. यह नियंत्रण पर युद्ध है, आतंकवाद के खिलाफ युद्ध है, कब्जे पर संघर्ष है, और बी’सेलेम जैसे इजरायली मानवाधिकार संगठनों द्वारा “रंगभेद प्रणाली” के रूप में वर्णित प्रणाली के खिलाफ लड़ाई है.