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असद की जेल में लाश को पापड़ बना देने वाली 'आयरन प्रेस', 'नरक लोक' का खौफनाक सच


दमिश्‍क:

‘शव कुचलने वाली ‘प्रेस’, खून के निशान, लाशों की गठरियां और अंडरग्राउंड जेल में नरकीय हालात में जीते हजारों लोग…’, ऐसा था सीरिया के पूर्व राष्‍ट्रपति बशर-अल-असद का नरक लोक. असद अब सीरिया छोड़कर भाग गए हैं, लेकिन उन्‍होंने लाखों लोगों को जो यातनाएं दीं, मौत के घाट उतार, उसके निशान आज भी सीरिया की जेलों में मौजूद हैं. विद्रोहियों ने रविवार को सीरिया की राजधानी दमिश्‍क पर कब्‍जा कर लिया. इससे पहले असद, देश छोड़कर भाग चुके थे. विद्रोहियों ने दमिश्‍क पर कब्‍जा करने के बाद यहां की जेलों में सालों से यातनाएं झेल रहे लोगों को निकालना शुरू किया. इस दौरान जेलों के हालात देखकर लोगों के रोंगटे खड़े हो गए. सबसे बुरे हालात सीरिया की खौफनाक सिडनाया सैनिक जेल में थे, जहां ‘शव कुचलने वाली ‘प्रेस’ भी मौजूद है.

 सीरिया का खौफनाक सिडनाया जेल का मंजर

सिडनाया जेल के वीडियो कई स्‍थानीय चैनलों पर चल रहे हैं, यहां का मंजर देख लोगों के चेहरों पर खौफ साफ दिखाई दे रहा है. इस जेल के हालात देखकर लग रहा है कि नरक लोक कुछ ऐसा ही होता होगा. विद्रोहियों ने बताया कि इस जेल में सबसे ज्‍यादा लोगों को फांसी दी जाती थी. यहां विद्रोहियों और युद्ध बंदियों को लाया जाता था और उन्‍हें असहनीय यातनाएं दी जाती थीं. फांसी दिये जाने से पहले लोगों को अंडरग्राउंड कोठरियों में रखा जाता था. यहां, न लोगों को साफ पानी दिया जाता था और न ही ढंग का खाना. फांसी देने के बाद भी असद की हैवानियत कम नहीं होती थी. वह एक मशीन में शवों को डालता था, जहां उन्‍हें कुचल दिया जाता था. 

‘शव कुचलने वाली ‘प्रेस’ का खौफनाक सच

‘शव कुचलने वाली ‘प्रेस’ को देखकर लोगों के रोंगटे खड़े हो गए. असद के नरक लोक के इस हथियार को देख लोग खौफजदा दिखे. इस डरावनी ‘आयरन प्रेस’ का इस्तेमाल पीड़ितों को फाँसी देने के बाद उन्हें कुचलने के लिए किया जाता था. कुछ लोगों का ये भी कहना है कि इस प्रेस में जिंदा लोगों को भी रख दिया जाता था. सोचिए, जब कभी कपड़े आयरन करते समय हम प्रेस को गलती से छू लेते हैं, तो कितना दर्द होता है. अब उस दर्द को महसूस करने की कोशिश कीजिए, जब किसी शख्‍स को 2 प्रेस के बीच में रख दिया जाता होगा. ये शख्‍स मरने से पहले कितना तड़पता होगा.    

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तहखानों में अभी तक फंसे हैं कैदी!

सिडनाया जेल के अंदर सैकड़ों छिपे हुए कमरे हैं, जहां हजारों लोग फंसे हुए थे. सीरियाई नागरिक सुरक्षा समूह, व्हाइट हेलमेट्स के सदस्‍य जेल के अंदर तहखानों में फंसे कैदियों का पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं. बता दें कि असद के शासन के पतन के बाद वीकेंड में हजारों मुक्त हुए कैदी दमिश्क की सड़कों पर लौट आए, लेकिन बताया जा रहा है कि कई अभी भी तहखानों के अंदर अपने जीवन के लिए लड़ रहे हैं. असद सरकार को उखाड़ फेंकने के बाद सबसे बड़े विद्रोही अभियानों में से एक ने शहर की खौफनाक सिडनाया जेल से हजारों कैदियों को आज़ाद कराया.

सीरिया की खौफनाक सिडनाया सैनिक जेल

सीरिया की खौफनाक सिडनाया सैनिक जेल

असद के ‘लाल वार्ड’ का काला सच

सीरिया में पिछले कुछ दशकों में जेल असद के अत्याचार के शासन का पर्याय बन गया था. विद्रोही सेना के जवान अब जेलों की दीवारों और फर्श को तोड़कर कैदियों को बाहर निकालने की कोशिश कर रहे हैं. इस दौरान विद्रोहियों को एक ऐसा कमरा मिला, जिसमें सामूहिक फाँसी के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले दर्जनों लाल रस्सी के फंदे भी मिले. विद्रोहियों का कहना है कि कई दीवारों के पीछे इलेक्ट्रॉनिक भूमिगत दरवाजे हैं, जिसके कारण कैदियों से भरे अंधेरे बंकर बन गए हैं. यहां से मुक्त कराए गए लोगों ने बताया कि छिपी हुए बंकरों को ‘लाल वार्ड’ कहा जाता था.

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इलेक्ट्रॉनिक दरवाजों को तोड़ने में जुटे विद्रोही

दमिश्क कंट्रीसाइड गवर्नरेट के अनुसार, वे कई इलेक्ट्रॉनिक दरवाजों को तोड़ने के लिए भी संघर्ष कर रहे हैं जिनमें गुप्त पासकोड हैं. सीरियाई नागरिक सुरक्षा समूह, व्हाइट हेलमेट्स, अब जीवित बचे लोगों के दावों की जांच कर रहे हैं और बंकरों का पता लगाने के लिए कई मशीनों का इस्‍तेमाल कर रहे हैं. मानवाधिकार समूहों का मानना ​​है कि कैदियों को फाँसी देने के लिए ले जाने से पहले इन छिपे हुए कमरों का इस्तेमाल किया जाता था. जेल की क्रूरता हमेशा मानवाधिकार समूहों के लिए चर्चा का विषय रही है, लेकिन रविवार को कैदियों को रिहा किए जाने के बाद से और अधिक आरोप सामने आए हैं.

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असद ने लाखों लोगों को उतारा मौत के घाट

एक रिपोर्ट के मुताबिक, असद ने लगभग 110,000 विरोधियों को कैद किया और मार डाला. असद सरकार का जब तख्‍तापलट हुआ, तो हजारों लोग अपने प्रियजनों की खबर के लिए जेलों के बाहर पहुंचे. कई लोग इस बात से निराश थे कि हजारों ‘गायब’ लोगों का अभी तक कोई पता नहीं चल पाया है. हालांकि, कुछ लोगों को रिहाई मिल गई, इनमें 33 साल बाद आज़ादी का स्वाद चखने वाले सुहैल अल-हमवी भी हैं. राजधानी दमिश्क के बाहरी इलाके में जेल से रिहा होने के बाद 61 वर्षीय व्यक्ति ने अपने पोते-पोतियों को गले लगाया. 

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