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हमास की विचारधारा से अरब देशों में सहमति नहीं, ईरान को समर्थन मिलने की संभावना कम: विदेश मामलों के जानकार कमर आगा


नई दिल्ली:

ईरान (Iran) ने इजरायल (Israel) पर मंगलवार की शाम मिसाइलों से हमला किया. इस हमले के बाद दोनों देशों के बीच टकराव बढ़ गए हैं.  इस मुद्दे पर विदेश मामलों के जानकार कमर आगा के साथ The Hindkeshariने बात की पढ़िए उन्होंने क्या कहा? 

ईरान इजरायल के बीच युद्ध में मुझे नहीं लगता है कि कोई और देश की एंट्री होगी. खाड़ी देश हमास की विचारधारा से सहमत नहीं हैं. सऊदी अरब और अन्य देश मुस्लिम ब्रदरहुड को अपने लिए खतरा मानते हैं. एक जमाने से इन लोगों के बीच तनाव रहा है. जब सद्दाम हुसैन ने ईरान पर हमला किया था तो अरब देशों ने अपरोक्ष तौर पर इराक को साथ दिया था. पैसे से लेकर हर तरह का सहयोग उस दौर में ईरान के खिलाफ सद्दाम हुसैन को मिला था. साथ ही अरब देश कभी नहीं चाहेंगे कि ईरान जो कि अरब देश नहीं है वो इस क्षेत्र में कोई बड़ी भूमिका निभाए. अब तक अरब  देशों ने जो भी सहायता की है वो सिर्फ मानवीय सहयोग रहा है.

इसके साथ ही जितने भी इस्लामिक मिलिटेंट ग्रुप हैं अलकायदा से लेकर ISIS तक किसी ने कभी भी इजरायल पर हमला नहीं किया है. जो भी धार्मिक ग्रुप रहे हैं जैसे पाकिस्तान और बांग्लादेश में जमात ए इस्लामी है उसने भी कभी भी फलिस्तीन को कोई सपोर्ट नहीं किया. किसी भी अरब देश ने कभी खुलकर फिलिस्तीन की हिमायत नहीं की. 

मुझे नहीं लगता है कि इस हालत में कोई भी देश इस युद्ध में खुलकर सामने आएंगे. इन देशों की कोशिश होगी कि वो किस तरह से इस युद्ध से अपने आपको बचाएंगे. इन देशों को अपने तेल के व्यापार पर भी खतरा दिख रहा है. जंग से हम किसी भी नतीजे पर नहीं पहुंच सकते हैं. अमेरिका और इजरायल के पास बहुत अधिक ताकत है, लेकिन क्या वो मिसाइल हमले को रोक पाए? 

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जंग से समस्या का समाधान संभव नहीं है, बातचीत ही एकमात्र रास्ता है. हालांकि अमेरिका और इजरायल को लेकर भी अरब के लोगों में कोई सहानुभूति नहीं है. डर इस बात की है कि अगर यह जंग बहुत दिनों तक चलती है तो फिलिस्तीन को लेकर अरब की जनता में आक्रोश बढ़ न जाए.



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