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यूक्रेन टु इटली 'मिशन मोदी': पहले 100 दिन में कहां क्यों गए PM मोदी, जानिए जयशंकर ने क्या बताया


नई दिल्‍ली:

भारत का कद वैश्विक मंच पर लगातार बढ़ रहा है. रूस-यूक्रेन युद्ध से लेकर आशियान समिट तक में भारत की महत्‍ता साफ नजर आती है. ये मोदी सरकार की विदेश नीति का ही परिणाम है, जिससे भारत की अहमियत दुनियाभर में बढ़ रही है. मोदी 3.0 के 100 दिन पूरे होने के मौके पर विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने The Hindkeshariके एडिटर इन चीफ संजय पुगलिया से खास बातचीत में बताया क‍ि यूक्रेन टु इटली ‘मिशन मोदी’ के क्‍या मायने हैं. पीएम मोदी बीते 100 दिनों में कहां-कहां और क्‍यों गए. 

विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने The Hindkeshariसे खास बातचीत में कहा, ‘आज तीसरे कार्यकाल के 100 दिन हो चुके हैं. हमारी तैयारी इसकी पहले से थी. हमने बहुत तेज शुरुआत की है. विदेशी नीति की बात करें, तो भारत और प्रगति के टारगेट को विदेश नीति और कूटनीति के जरिए किया है. हमारी जिम्मेदारी भी है कि दुनिया में स्थिरता रहे. यह दुनिया की भी जरूरत है. 100 दिन की बात करें, तो पीएम सिंगापुर गए. वह दौरा सेमिकंडक्टर का विजिट था. मलेशिया के पीएम आए और उन्होंने हमारी स्किल को अपने देश में न्योता दिया. 

भारत की विदेश नीति की एक झलक

भारत, विदेश नीति पर कैसे पॉजिशन कर रहा है? भारत की पाॉजिशनिंग की एक झलक मोदी सरकार के 100 दिन से मिलती है. पीएम मोदी पश्चिम देशों के संगठन G7 में मुलाकात के लिए इटली गए थे. यहां प्रधानमंत्री ने कई देशों के राष्‍ट्राध्‍यक्षों से मुलाकात की और कई समझौतों के रास्‍तों की बाधाओं को दूर करने की कोशिश की.  

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अस्ताना में SCO शिखर सम्मेलन

विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने बताया कि अस्ताना में SCO शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री मोदी जा नहीं पाए थे, क्‍योंकि भारत में संसद सत्र चल रहा था. इसलिए मैं उनके प्रतिनिध के तौर पर वहां गया था. इसमें रूस, चीन, सेंट्रल एशिया ईरान जैसे देश हैं. भारत चीन के रिश्तों पर एस जयशंकर ने कहा कि अगर हम भारत की क्षमता की बात करें, तो जब तक हमारे पास टेक्नोलॉजी नहीं है, हम विकसित नहीं बन सकते. जब तक हमारे पास मैन्‍यूफेक्चरिंग नहीं आएगी, तो टेक्नोलॉजी कैसे आएगी. हमारा दुर्भाग्य है दशकों से कहीं ना कहीं मैन्यूफेक्चरिंग में पीछे रहे. एनवायरमेंट के तर्क पर इस मामले में कुछ लोग बाधाएं डालते हैं. मैन्यूफेक्‍चरिंग बढ़ेगी, तो रोजगार भी बढ़ेगा. मोदी सरकार ने इस पर जोर दिया है. इसके लिए जो स्किल चाहिए तो बजट में इसे भी महत्व दिया.

युद्ध के बीच रूस-यूक्रेन का दौरा 

ऐसे कम ही देशों के प्रधानमंत्री हैं, जो युद्ध के दौरान किन्‍हीं दोनों देशों में गए हों. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इन्‍हीं में से एक हैं. एस जयशंकर ने बताया, ‘भारत के रूस और यूक्रेन दोनों देशों के साथ रिश्ते बना रखे हैं. पीएम मोदी इस स्थिति में हैं कि वह दोनों राष्ट्रपति के साथ खुलकर बैठकर विस्तार से बात कर सकते हैं. प्रधानमंत्री जुलाई में रूस गए थे उसके बाद अगस्त में यूक्रेन गए थे. हमारी बाकी देशों के साथ भी बातचीत हो रही है. 

आशियान भी गए पीएम मोदी

प्रधानमंत्री आसियान भी गए और अगर आप देखें कि हमारे पड़ोस वाले जो ज्यादातर देश जो हैं, वह शपथ ग्रहण के समय में आए भी थे और इसी दौरान में अगस्त के महीने में वॉइस ऑफ ग्लोबल साउथ समिट हुई, जिसमें 100 से ज्यादा विकासशील देशों ने इस समिट में भाग लिया, तो हम जो हैं जैसे मैंने एक बार आपको पहले भी कहा था सबका साथ सबका विकास के नारे को वैश्विक स्‍तर पर भी लेकर चल रहे हैं.

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क्वाड में शामिल होंगे पीएम मोदी 

विदेश मंत्री ने बताया कि कुछ ही दिनों में क्वाड होने वाला है. इसमें भी प्रधानमंत्री मोदी शामिल होंगे. बता दें कि क्वाड अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया और भारत के बीच एक अनौपचारिक रणनीतिक मंच है. इस मंच का उद्देश्य इन देशों के बीच सहयोग बढ़ाना और क्षेत्रीय शांति एवं सुरक्षा को बढ़ावा देना है. इसमें देश नियमित रूप से शिखर सम्मेलन, सूचना आदान-प्रदान और सैन्य अभ्यास करते हैं. क्वाड का महत्व बढ़ता जा रहा है, क्योंकि यह क्षेत्रीय शक्ति संतुलन को बनाए रखने में मदद करता है और चीन के बढ़ते प्रभाव का मुकाबला करने में सहायता करता है.  
    
अगस्त में वॉइस ऑफ ग्लोबल साउथ समिट में शामिल हुए. इसमें 100 से ज्यादा विकाशील देशों ने भाग लिया. भारत मंत्र सबका साथ, सबका विकास दुनिया में भी जारी है.

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