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नीली जींस, सफेद कुर्ता और माथे पर तिलक… शपथ लेकर जब चिराग ने PM मोदी को झुककर किया नमस्कार

अठारहवीं लोकसभा के पहले सत्र की पहली बैठक में भी लोजपा (रामविलास) के अध्यक्ष चिराग पासवान का एक अलग ही अंदाज नजर आया. चिराग पासवान सदन के सदस्‍य की शपथ लेने के लिए सफेद कुर्ता और नीली जींस पहनकर पहुंचे थे. साथ ही उनके माथे पर तिलक था. इस अलग अंदाज से चिराग पासवान ने कई लोगों का ध्‍यान अपनी ओर आकर्षित किया. इससे पहले वह राष्‍ट्रपति भवन में मंत्री पद की शपथ ग्रहण करने अनोखे अंदाज में पहुंचे थे. तब भी चिराग पासवान ने माथे पर तिलक लगाया हुआ था.        

खुद को पीएम मोदी का हनुमान कहने वाले चिराग पासवान को कैबिनेट मिनिस्‍टर बनाया गया है. अठारहवीं लोकसभा के पहले सत्र की पहली बैठक सोमवार को शुरू हुई, जिसमें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सदन के नेता के नाते सबसे पहले, सदस्य के रूप में शपथ ली. इस दौरान भाजपा के सदस्य ‘मोदी-मोदी’ के नारे लगा रहे थे. इसके बाद कैबिनेट के अन्‍य सदस्‍यों ने शपथ ली. चिराग पासवान भी कैबिनेट मंत्री बनाए गए हैं. चिराग पासवान ने शपथ लेने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को झुककर नमस्‍कार किया. चिराग पासवान की इस सौम्‍यता पर पीएम मोदी भी मुस्‍कुरा उठे.  

चिराग पासवान का जन्‍म 31 अक्टूबर 1982 हो हुआ, उन्‍होंने कंप्यूटर साइंस की पढ़ाई की है और अभिनय की दुनिया में भी हाथ आजमाया, लेकिन फिल्मी दुनिया में कोई खास सफलता नहीं मिलने पर बाद में वह पूरी तरह से राजनीति में उतर आये. चिराग अपने गृह प्रदेश बिहार में एक तबके के बीच खासे लोकप्रिय हैं. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की नीतियों के खिलाफ आवाज उठाते हुए उन्होंने ‘बिहार फर्स्ट, बिहारी फर्स्ट’ की बात की. इसके तहत उन्होंने रोजगार व पढ़ाई आदि के लिए बिहार से लोगों के पलायन को भी मुद्दा बनाया.

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पिता के मार्गदर्शन में चिराग ने अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत की थी, उन्हें राजनीति में प्रवेश करने में मुश्किलों का सामना नहीं करना पड़ा. चिराग का राजनीति में प्रवेश 2012 में हुआ, जब उन्हें लोजपा में संसदीय बोर्ड का राष्ट्रीय अध्यक्ष नियुक्त किया गया. वह पहली बार 2014 में बिहार के जमुई लोकसभा सीट से चुने गए. 2019 में भी वह इसी सीट से चुने गए.‘बिहार फर्स्ट, बिहारी फर्स्ट’ के मिशन को लेकर आगे बढ़ रहे लोजपा (आरवी) अध्यक्ष चिराग को 2020 में अपने पिता के निधन के बाद पारिवारिक एवं राजनीतिक दोनों स्तर पर मुश्किलों का सामना करना पड़ा. पार्टी के छह में से पांच सांसदों ने अलग गुट बना लिया जिसका नेतृत्व उनके चाचा पशुपति पारस ने किया, लेकिन चिराग ने संयम के साथ परिपक्वता का भी प्रदर्शन किया और उसका फल उन्हें 2024 के संसदीय चुनाव में मिला जब भारतीय जनता पार्टी नीत गठबंधन राजग के तहत उन्हें बिहार में कुल पांच सीट मिलीं.
(भाषा इनपुट के साथ…)

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