क्या अखिलेश यादव का साथ छोड़ देंगे जयंत चौधरी? डिंपल यादव का आया रिएक्शन
यूपी में बीजेपी को टक्कर देने की कोशिश में जुटे I.N.D.I.A और अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) को एक और झटका लगता दिखाई दे रहा है. सूत्रों के मुताबिक- लोकसभा चुनाव से पहले जयंत चौधरी एक बार फिर पाला बदल सकते हैं. उनकी पार्टी RLD के बीजेपी के साथ जाने की चर्चा हो रही है. इन खबरों पर प्रतिक्रिया देते हुए अखिलेश यादव ने कहा कि जयंत चौधरी बहुत सुलझे हुए हैं. वह पढ़े-लिखे और राजनीति को समझने वाले इंसान हैं. मुझे नहीं लगता कि वो किसानों की लड़ाई को कमज़ोर होने देंगे. उन्होंने ये भी बताया कि वह कांग्रेस के राहुल गांधी के साथ न्याय यात्रा में शामिल होंगे. इसके लिए उन्होंने खत भी लिखा है. राम मंदिर को लेकर एक बार फिर अखिलेश यादव ने कहा कि जब भगवान श्रीराम का बुलावा आएगा तो मैं अपने परिवार के साथ जरूर दर्शन के लिए जाऊंगा.
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किसानों के खिलाफ कोई कदम नहीं उठाएंगे जयंत चौधरी- डिंपल यादव
सपा नेता शिवपाल यादव (ShivPal Yadav) ने कहा कि “मैं जयंत (चौधरी) को अच्छी तरह से जानता हूं. वे धर्मनिरपेक्ष हैं. बीजेपी केवल मीडिया का इस्तेमाल कर गुमराह कर रही है. आरएलडी INDIA गठबंधन में रहेगी और बीजेपी को हराएगी. वहीं सपा सांसद डिंपल यादव (Dimple Yadav) ने कहा कि जयंत चौधरी ऐसा कोई कदम नहीं उठाएंगे जिससे किसानों को क्षति पहुंचे.ये सब अफवाहें फैलाई जा रही है. आरएलडी ने हमेशा संसद और संसद के बाहर किसानों की आवाज उठाई है. जयंत सिंह ऐसा कोई कदम नहीं उठाएंगे जो किसानों के खिलाफ हो, क्योंकि वो खुद भी राज्यसभा मैंबर हैं.
आरएलडी कर रही है बीजेपी से ये मांग
सूत्रों के मुताबिक- बीजेपी ने आरएलडी को दो लोकसभा और 1 राज्यसभा सीट के साथ यूपी सरकार में दो मंत्री पद का ऑफर दिया है जबकि आरएलडी सूत्रों के मुताबिक -उनकी तरफ से कम से कम 5 लोकसभा सीट, एक राज्यसभा सीट, केंद्र में एक मंत्री पद, राज्य में दो मंत्री पद के साथ चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न दिए जाने की मांग है.आपको बता दें कि वर्तमान में आरएलडी और सपा के बीच गठंबंधन है. और सपा ने पहले ही आरएलडी को 7 लोकसभा सीट देने का ऐलान किया हुआ है. सूत्रों के मुताबिक- यूपी से बीएसपी के एक सांसद भी आरएलडी के सम्पर्क में हैं. अगर बीजेपी-आरएलडी की बात बन जाती है तो पश्चिमी यूपी के बीएसपी सांसद आरएलडी में शामिल होकर लोकसभा चुनाव लड़ सकते हैं.
आरएलडी का 2014 और 2019 का अनुभव कुछ अच्छा नहीं रहा
पश्चिमी यूपी में 2014 में आरएलडी 8 सीटों में से एक भी सीट पर जीत हासिल नहीं कर पाई थी. वहीं 2019 के लोकसभा चुनाव में 27 सीटों में से बीजेपी ने 19 सीटों और बीएसपी और समाजवादी पार्टी ने 4-4 सीटें यानी कुल आठ सीटों पर जीत हासिल की थी. 2019 में सपा और बसपा के साथ गठबंधन में 3 सीटों पर चुनाव लड़ने वाली आरएलडी को एक भी सीट पर जीत नहीं मिली थी. वहीं जयंत चौधरी अपनी पारंपरिक सीट बागपत से चुनाव लड़े थे, लेकिन बीजेपी के सतपाल मलिक से कुछ हजार वोटों से हार गए थे. उधर, मथुरा से चुनाव लड़ने वाली हेमा मालिनी के सामने कुंवर नरेंद्र सिंह चुनाव हार गए थे. मुजफ्फरनगर सीट पर अजित सिंह पहली बार चुनाव लड़े लेकिन वह भी बीजेपी के संजीव बालियान से हार गए. फिलहाल जयंत चौधरी को अयोध्या में बने राम मंदिर की लहर का अंदेशा है. जाट समुदाय भी राम के रंग में रंगा दिख रहा है. पिछले अनुभव और आगे के चुनावी गणित को देखते हुए संभावना जताई जा रही है कि वे बीजेपी में आ सकते हैं, जो कि सपा के साथ-साथ INDIA गठबंधन के लिए भी धक्का ही होगा.