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Analysis: क्या मिशन-370 के लिए दक्षिण के भरोसे PM मोदी? BJP की कौनसी रणनीति आएगी काम

लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections 2024) को लेकर BJP के नेतृत्व में NDA की तैयारियां जोर-शोर से चल रही हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) इस चुनाव में NDA के लिए 400 पार सीटों और अकेले  BJP के लिए 370 सीटों का टारगेट रखा है. लोकसभा में 543 सीटें हैं. केंद्र में सरकार बनाने के लिए 272 सीटों की जरूरत होती है. BJP को 2014 के चुनाव में 282 सीटें और 2019 के चुनाव में 303 सीटें मिली थी. लोकसभा चुनावों में 370 सीटों के लक्ष्य के साथ BJP ने 2019 में हारी हुई 161 सीटों पर फोकस करने का फैसला किया है. पार्टी नेतृत्व ने कैडर से कहा है कि वह उनमें से 67 सीटें जीतकर पीएम मोदी के दिए टारगेट को पूरा किया जा सकता है. गौर करने वाली बात ये है कि BJP पहले ही उत्तर भारत और पश्चिम भारत में सैचुरेशन पॉइंट पर पहुंच चुकी है. अब 370 सीटों का टारगेट हासिल करने के लिए पार्टी को दक्षिण भारत में अधिकतम सीटें जीतनी होंगी.

BJP की केमिस्ट्री 2014, 2019 में पीएम मोदी के नाम रही. देश की जनता ने पीएम मोदी और पार्टी को जबरदस्त समर्थन दिया. सवाल ये है कि क्या BJP को एक बार फिर वैसा ही समर्थन मिलेगा? क्या BJP ने ये आंकड़ा देश के सामने रखकर अपने विरोधियों पर मनौवैज्ञानिक दबाव बनाया है. टीवी चैनलों में इस बात की चर्चा नहीं हो रही कि BJP चुनाव जीतेगी या नहीं, बल्कि चर्चा इस बात की हो रही है कि BJP 370 का आंकड़ा पार कर पाएगी या नहीं? अगर कर पाएगी तो कैसे? या ये BJP का अपने विरोधियों पर मनोवैज्ञानिक बढ़त पाने के लिए रणनीति का एक हिस्सा है.

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सवाल ये भी है कि पीएम मोदी ने BJP के लिए ये आंकड़ा ही क्यों चुना? इसके पीछे की भी वजह बताई गई है. जनसंघ के जमाने से BJP तक कश्मीर में अनुच्छेद 370 का खात्मा एक भावनात्मक मुद्दा रहा है. इसलिए ही पार्टी ने ये 370 का आंकड़ा जनता के सामने रखा है, क्योंकि 2019 में मोदी सरकार ने कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटा दिया था.

मिशन 370 को कैसे फतह कर पाएगी BJP?

पीएम मोदी ने लोकसभा चुनाव में BJP के लिए टारगेट तो सेट कर दिया, अब चर्चा इस बात की हो रही है कि इस टारगेट को पार्टी कैसे हासिल करेगी. उत्तर भारत और पश्चिम भारत की बात करें, तो वहां BJP सैचुरेशन पॉइंट पर पहुंच चुकी है. गुजरात का ही उदाहरण लें, तो BJP ने पिछले दो लोकसभा चुनावों में यहां की सभी 26 सीटों पर जीत हासिल की. राजस्थान में भी पार्टी ने सभी 25 सीटों पर कब्जा जमाया. हरियाणा की सभी 10 सीटें भी BJP के पास है. 2019 के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने यूपी की 80 में से 62 सीटें जीत ली थीं. BJP की सहयोगी अपना दल (S) ने 2 सीटें जीती. बिहार की 40 में से 39 सीटें भगवा पार्टी ने ही जीतीं. मध्य प्रदेश की 29 में से 28 सीटें पार्टी के खाते में गईं. 

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दक्षिण में बढ़ा NDA का कुनबा, तमिलनाडु में PMK के साथ गठबंधन से BJP को कितना होगा फायदा?

उत्तर भारत और पश्चिम भारत में BJP पहले ही बहुत बड़ा आंकड़ा लेकर चल रही है. ऐसे में साफ है कि 370 का आंकड़ा पूरा करने के लिए अब BJP का पूरा फोकस और पूरा जोर दक्षिण भारत में लगा है. दक्षिण भारत के 5 राज्यों को साधने के लिए पीएम नरेंद्र मोदी ताबड़तोड़ दौरे कर रहे हैं. पीएम बनने के बाद वह 50 से ज्यादा बार दक्षिण भारत के दौरे कर चुके हैं. 

जनवरी से लेकर अब तक 20 बार दक्षिण भारत जा चुके पीएम मोदी

इसी साल की बात करें, तो जनवरी से लेकर अब तक पीएम मोदी 20 से ज्यादा बार दक्षिण भारत का दौरा कर चुके हैं. पीएम मोदी का फोकस कर्नाटक, तमिलनाडु और केरल में है. लेकिन कोशिश ये भी है कि इनके अलावा आंध्र प्रदेश, पुड्डुचेरी, लक्षदीव से भी पार्टी को समर्थन मिले.

दक्षिण भारत में लोकसभा की 131 सीटें हैं. इनमें से 29 सीटें BJP के पास हैं. लेकिन अगर BJP को 370 सीटों का टारगेट हासिल करना है, तो उसे दक्षिण भारत से बड़ा समर्थन हासिल करना होगा. इसके लेकर BJP ने अपना कैल्कुलेशन भी कर लिया है. पार्टी ने दक्षिण भारत के अलग-अलग राज्यों  में अपने सहयोगी दलों की पहचान कर ली है. कुछ दलों से बातचीत हो चुकी है. कुछ दलों के साथ बातचीत चल रही है. कहीं-कहीं सीटों का बंटवारा भी हो गया है, लेकिन क्रिकेट की तरह चुनाव में स्ट्राइक रेट एक बड़ा फैक्टर होता है.

पिछले 2 चुनावों में ऐसा रहा BJP का स्ट्राइक रेट

सियासत में स्ट्राइक रेट का मतलब यह होता है कि कोई पार्टी कितने उम्मीदवार खड़े करती है. उनमें से कितने उम्मीदवार जीतते हैं. उदाहरण के तौर पर 2014 में BJP ने 428 उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतारे थे, जिनमें से 282 विजयी हुए थे. यानी केवल 31% वोट पाने के बावजूद BJP का स्ट्राइक रेट 65.88% रहा. आसान भाषा में कहें, तो BJP को हर 100 उम्मीदवारों में से 100 उम्मीदवारों ने जीत हासिल की थी.

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2019 में BJP ने 437 उम्मीदवार उतारे. ये BJP के इतिहास में सबसे बड़ी संख्या है. उससे ज्यादा उम्मीदवार BJP ने अब तक नहीं उतारे थे. इनमें से 303 उम्मीदवारों को जीत हासिल हुई. पार्टी को करीब 37 फीसदी वोट मिले और स्ट्राइक रेट करीब 70 फीसदी तक पहुंच गया. इस हिसाब से BJP अगर इस बार 450 उम्मीदवार भी खड़े करती है, तो इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए उसे 82.22% का स्ट्राइक रेट चाहिए. यानी उसके हर 100 में से 82 उम्मीदवार जीतने चाहिए, तभी यह लक्ष्य पूरा हो सकेगा.

अब BJP के सामने क्या है चुनौती?

अगर BJP को 370 सीटों के टारगेट को हासिल करना है, तो उसे अपना स्ट्राइक रेट बढ़ाना होगा. 2019 के चुनाव में BJP का स्ट्राइक रेट 70 फीसदी था. अब उसे 82 फीसदी तक लेकर जाना होगा. यानी हर 100 उम्मीदवारों में से 82 उम्मीदवारों को जीत हासिल करनी होगी. तभी पार्टी 370 सीटों का टारगेट हिट कर पाएगी. इसके लिए उत्तर, पश्चिम, पूर्व, पूर्वोत्तर और मध्य भारत में BJP को अपना प्रदर्शन बरकरार रखना है. साथ ही इसमें कुछ और सुधार भी करने की जरूरत होगी. वहीं, पार्टी को दक्षिण भारत में ताकत दिखानी होगी और ज्यादा से ज्यादा सीटें जीतनी होंगी. 

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तमिलनाडु और पुड्डचेरी को मिलाकर कुल 40 सीटें हैं. BJP ने तमिलनाडु में PMK के साथ गठबंधन किया है और उसे 10 सीटें दे दी हैं. अगर हम 82 फीसदी के स्ट्राइक रेट की बात करें, तो वहां पर इस लिहाज से BJP को 30 सीटें जीतनी ही होंगी. 

राजीव गांधी के नाम है सबसे ज्यादा स्ट्राइक रेट का रिकॉर्ड

सबसे ज्यादा स्ट्राइक रेट का रिकॉर्ड अभी कांग्रेस के पास ही है. 1984 के बाद कांग्रेस ने राजीव गांधी के नेतृत्व में चुनाव लड़ा था. तब कांग्रेस ने 491 उम्मीदवार उतारे थे. इनमें से 404 प्रत्याशियों को जीत हासिल हुई. पार्टी का स्ट्राइक रेट 80 फीसदी से भी ज्यादा हो गया था. 1984 में पंजाब और असम में भी चुनाव हुए थे. वहां भी पार्टी ने सीटें जीती थी. इस तरह कांग्रेस ने 414 सीटों का रिकॉर्ड बनाया था. इस रिकॉर्ड को अब तक कोई पार्टी नहीं तोड़ पाई है. उस चुनाव में BJP ने 224 सीटों पर उम्मीदवार खड़े किए थे और केवल 2 सीटें जीती थीं. यानी उसका स्ट्राइक रेट मात्र  0.89% था.

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हालांकि, 1984 से 2014 तक कोई भी दल अपने बूते बहुमत हासिल नहीं कर पाया था. लेकिन नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में BJP ने 2014 में 284 सीटों के साथ बहुमत हासिल किया. 2019 के चुनाव में भी पार्टी को 303 सीटें मिलीं. अब ये देखना दिलचस्प होगा कि क्या पार्टी इस बार सारे रिकॉर्ड तोड़ पाती है या नहीं.

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