ज्ञानवापी सर्वेक्षण की रिपोर्ट पेश करने के लिए ASI को मिला एक और सप्ताह, अगली सुनवाई 18 दिसंबर को
अदालत ने मामले में सुनवाई की अगली तारीख 18 दिसंबर तय की है.
हिंदू पक्ष के वकील मदन मोहन यादव ने कहा कि एएसआई ने अपने आवेदन में अपने अधीक्षण पुरातत्वविद् अविनाश मोहंती के खराब स्वास्थ्य, रक्तचाप में अचानक वृद्धि और अदालत में उपस्थित होने में असमर्थता का हवाला देते हुए सोमवार को रिपोर्ट पेश करने में असमर्थता जताई.
यह छठी बार है जब अदालत ने एएसआई को अपनी सर्वेक्षण रिपोर्ट दाखिल करने के लिए समय दिया है.
इससे पहले अदालत ने एएसआई को छह सितंबर, पांच अक्टूबर, दो नवंबर, 17 नवंबर और 30 नवंबर को समय दिया था.
पिछली बार 30 नवंबर को जिला अदालत ने एएसआई को 11 दिसंबर तक ज्ञानवापी परिसर की सर्वेक्षण रिपोर्ट सौंपने के लिए कहा था.
अपने आवेदन में, एएसआई ने कहा था कि विभिन्न विशेषज्ञों द्वारा दी गई जानकारी को आत्मसात करने के लिए और अधिक समय की आवश्यकता है.
एएसआई ने अपने आवेदन में कहा था कि उसके विशेषज्ञ पुरातत्वविदों, पुरालेखविदों, सर्वेक्षणकर्ताओं, भूभौतिकी विशेषज्ञों आदि द्वारा एकत्र किए गए विभिन्न प्रकार के आंकड़ों को संग्रहित करने की दिशा में काम कर रहे हैं.
एएसआई ने दो नवंबर को अदालत को बताया कि उसने सर्वेक्षण ‘पूरा’ कर लिया है, लेकिन सर्वेक्षण कार्य में उपयोग किए गए उपकरणों के विवरण के साथ रिपोर्ट संकलित करने में कुछ और समय लग सकता है.
इसके बाद अदालत ने दस्तावेज जमा करने के लिए 17 नवंबर तक का अतिरिक्त समय दे दिया.
लेकिन एएसआई के वकील ने तकनीकी रिपोर्ट उपलब्ध न होने के कारण फिर से 15 दिन और मांगे और जिला न्यायाधीश ने उसे 28 नवंबर तक अपनी रिपोर्ट सौंपने को कहा.
एएसआई ने वाराणसी में काशी विश्वनाथ मंदिर के बगल में स्थित ज्ञानवापी परिसर का वैज्ञानिक सर्वेक्षण किया है ताकि यह पता लगाया जा सके कि क्या 17वीं शताब्दी की मस्जिद का निर्माण पहले से मौजूद किसी हिंदू मंदिर की संरचना पर किया गया था.
अदालत ने पांच अक्टूबर को एएसआई को चार हफ्ते का और समय दिया था और कहा था कि सर्वेक्षण की अवधि इससे ज्यादा नहीं बढ़ाई जाएगी. इसने पहले चार अगस्त और छह सितंबर को समय सीमा को बढ़ाया था.
सर्वेक्षण तब शुरू हुआ था जब इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने वाराणसी जिला अदालत के आदेश को बरकरार रखा और फैसला सुनाया कि यह कदम ‘न्याय के हित में आवश्यक’ है और इस विवाद में हिंदू और मुस्लिम दोनों पक्षों को फायदा होगा.
पूर्व की सुनवाई के दौरान, मस्जिद प्रबंधन समिति ने सर्वेक्षण पर आपत्ति जताई थी और आरोप लगाया था कि एएसआई बिना अनुमति के मस्जिद परिसर के तहखाने और अन्य स्थानों पर खुदाई कर रहा है और पश्चिमी दीवार पर मलबा जमा कर रहा है, जिससे संरचना के ढहने का खतरा पैदा हो सकता है.
मस्जिद समिति ने कहा था कि एएसआई टीम मलबा हटाकर परिसर का सर्वेक्षण करने के लिए अधिकृत नहीं थी.
उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ ज्ञानवापी मस्जिद प्रबंधन समिति ने उच्चतम न्यायालय का रुख किया था, लेकिन शीर्ष अदालत ने चार अगस्त को एएसआई सर्वेक्षण पर उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था.
अपने आदेश में प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने, हालांकि, एएसआई से सर्वेक्षण के दौरान कोई ऐसा कार्य नहीं करने को कहा जिससे ढांचे को नुकसान हो.
शीर्ष अदालत ने किसी भी तरह की खुदाई पर भी रोक लगा दी जबकि वाराणसी की अदालत ने कहा था कि यदि आवश्यक हो तो यह की जा सकती है.
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