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दुनिया

इजरायल पर हमला करना ईरान को पड़ सकता है भारी! नए प्रतिबंध लगाने की तैयारी में अमेरिका

इजराइल पर ईरान के हमले के मद्देनजर अमेरिका ने ईरान पर नए प्रतिबंध लगाने की बात कही है. व्हाइट हाउस की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि राष्ट्रपति जो बाइडन ईरान के मिसाइल और ड्रोन कार्यक्रमों पर कड़े प्रतिबंध लगाने जा रहे हैं. ईरान ने इजराइल पर हमले में अलग अलग तरह के मिसाइल और ड्रोन का इस्तेमाल किया था. करीब 330 से अधिक प्रोजेक्टाइल्स दागे थे, जिनमें से 99 फीसदी को हवा में ही नष्ट करने का दावा इजराइल ने किया. लेकिन कुछ मिसाइल और ड्रोन इजराइल की जमीन तक पहुंच गए.

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मिसाइल और ड्रोन क्षमता पर रोक लगाने की कोशिश

नेवातिम एयरपोर्ट को नुकसान पहुंचा. बेशक, इजराइल ने इसे मामूली नुकसान बताया है. लेकिन जवाबी कार्रवाई और बड़े हमले करने की चेतावनी दी है. लिहाजा इजराइल पर अमेरिका की कोशिश होगी कि ईरान के मिसाइल और ड्रोन क्षमता पर लगाम लगाए. इजराइल जहां हवाई हमलों के जरिए इसे कमजोर करना चाहता है. वहीं, अमेरिका प्रतिबंधों के जरिए मिसाइल और ड्रोन कार्यक्रमों को रोकने की कोशिश करेगा. अमेरिका राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवान इस बाबत बयान भी दिया है. 

ईरान से तेल आयात पर भी भारी प्रतिबंध!

ईरान के विवादित न्यूक्लियर कार्यक्रम के चलते उस पर पहले से ही बहुत से प्रतिबंध हैं. अमेरिका ने ईरान के साथ तमाम व्यापार को रोक रखा है. ईरान सरकार की अमेरिका में तमाम संपत्तियों को जब्त कर रखा है. ईरान को किसी भी तरह की अमेरिकी विदेशी मदद या हथियारों की बिक्री पर भी रोक है. अमेरिका ने पहले से जो प्रतिबंध लगा रखे हैं, उसकी जद में ईरान के हजारों लोग हैं. जिन कंपनियों पर बंदिश लगाई हुई, उनमें ईरान के साथ साथ वो विदेशी कंपनियां शामिल हैं, जिन्होंने प्रतिबंध के बावजूद कभी ईरान के साथ कोई व्यापार या सहयोग किया. ईरान से तेल आयात पर भी भारी प्रतिबंध है. नेशनल ईरान ऑयल कंपनी, पेट्रोलियम मंत्रालय आदि पर प्रतिबंध के जरिए ईरान को, जो कि उर्जा का एक बड़ा उप्तादक देश हैं.

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आतंकी संगठन घोषित करने की मांग

ईरान के न्यूक्लियर कार्यक्रम को रोकने के लिए अमेरिका ने ईरान के ऑटोमिक एनर्जी ऑर्गेनाइजेशन और कई दूसरी कंपनियों और ईरान के सेंट्रल बैंक समेत कई बैंकों पर प्रतिबंध लगाया हुआ है. मकसद ईरान को परमाणु बम बनाने की क्षमता हासिल करने से रोकना है. अमेरिका ने ईरान रिवोल्यूशनरी गार्ड कोर यानी IRGC और दूसरे देशों में काम करने वाले इसके कुड्स फ़ोर्स को विदेशी आतंकवादी संगठन घोषित कर रखा है. हालांकि, यूके जैसे देश ने ऐसा नहीं किया है. अब इजराइल यूएन से भी इसे आतंकी संगठन घोषित करने की मांग कर रहा है.

ईरान पर और क्या प्रतिबंध लगा सकता है अमेरिका?

सवाल है कि इतने प्रतिबंधों के बावजूद अमेरिका ईरान पर और क्या प्रतिबंध लगा सकता है, जो जानकारी निकल कर सामने आ रही है, उसके मुताबिक अमेरिका ईरान के तेल निर्यात की क्षमता को कम करने की दिशा में नए प्रतिबंध लगा सकता है. इससे तेल की कीमतों में और इजाफा होने की आशंका है. यूक्रेन-रूस युद्ध के चलते रूस के तेल निर्यात पर प्रतिबंध के चलते तेल बाजार पहले से ही उथल पुथल के दौर से गुजर रहा है. लाल सागर से गुजरने वाले जहाजो पर ईरान समर्थिक हूती विद्रोहियों के हमले ने भी तेल की कीमतों में आग लगाने का काम किया है. तेल की कीमत बढ़ती है तो अमेरिकी जनता पर भी असर होगा और राष्ट्रपति चुनाव के मुद्देनजर जो बाइडन की चुनौती बढ़ेगी.

इज़राइल पर ईरान के हमले के तुरंत बाद अमेरिका में हाउस रिपब्लिकन्स लीडर्स ने राष्ट्रपति जो बाइडन पर आरोप लगाया कि वे ईरान पर प्रतिबंधों को कड़ाई से लागू करने में नाकाम रहे हैं. हाउस रिपब्लिकंस ऐसे कई बिल लाने की तैयारी में हैं जो ईरान पर प्रतिबंध को और कठोर करेंगे.

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2015 में यूरोपीय यूनियन, P5+1 देशों और ईरान के बीच हुए न्यूक्लियर डील के बाद ईरान से बहुत से प्रतिबंध हटा लिए थे. ईरान ने अपने परमाणु कार्यक्रम को रोकने का भरोसा दिया था. ज्वाइंट कॉम्प्रिहेंसिव प्लान ऑफ़ एक्शन यानी कि JCPOA के तहत ईरान के न्यूक्लियर प्लांटों की IAEA द्वारा निगरानी तय हुई थी. ईरान ने अगले 13 सालों में अपने गैस सेट्रिफ्यूज को दो तिहाई घटाने और संवर्धित यूरेनियम का 98फ़ीसदी भंडार ख़त्म करने को राज़ी हुआ था. इस दौरान अपने हेवी वाटर फैसिलिटी को नहीं बढ़ाने का भी भरोसा दिया. IAEA द्वारा ये कहे जाने के बाद भी कि ईरान डील के मुताबिक़ काम कर रहे है. अमेरिका और इज़राइल ने ईरान पर आरोप लगाया कि वो अपने गुप्त परमाणु हथियार कार्यक्रम का ख़ुलासा नहीं किया है. इसके बाद ईरान को प्रतिबंधों में जो ढ़ील दी गई थी उसे 2018 में राष्ट्रपति रहते डॉनाल्ड ट्रंप ने हटा दिया था. JCPOA से ख़ुद को अलग कर लिया. भारत, चीन, ग्रीस, तुर्की, साउध कोरिया और ताइवान जैसे देशों ईरान से तेल आयात पर जो छूट थी उसे ख़त्म कर दिया गया. लेकिन यूरोपीय यूनियन ने अपनी कंपनियों के हितों की ख़ातिर ईरान के साथ वैध व्यापार जारी रखने का फ़ैसला किया. ईरान पर यूएन का प्रतिबंध पिछले साल अक्टूबर में ही एक्सपायर हो चुका है. अब राष्ट्रपति जो बाइडन ईरान पर प्रतिबंधों को कड़ा करने के लिए EU और जी7 समेत तमाम सहयोगी देशों के साथ तालमेल में जुटे हैं.

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