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चिराग पासवान फिर बने लोजपा (आर) के राष्ट्रीय अध्यक्ष, झारखंड में क्या करने जा रहे नया प्रयोग?

Chirag Paswan national president of LJP (R) : लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) की रांची में राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक हुई. बैठक के बाद चिराग पासवान ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बैठक के अंदर लिए गए फैसलों की जानकारी दी. उन्होंने बताया कि बैठक में उन्हें एक बार फिर से राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना गया है. एनडीए के तहत या अकेले हम लोग जहां मजबूत हैं, वहां चुनाव लड़ेंगे. एनडीए का हम लोग हिस्सा हैं. झारखंड में गठबंधन के तहत चुनाव लड़ेंगे. चिराग ने इशारा दिया कि वह अकेले भी चुनाव लड़ सकते हैं. उन्होंने बताया कि देश के कई ज्वलंत मुद्दों को लेकर कार्यकारिणी की बैठक में चर्चा हुई. एससी-एसटी आरक्षण को लेकर भी चर्चा हुई. सबका साथ सबका विकास को लेकर हम लोग आगे बढ़ रहे हैं.

कितनी सीटों पर लड़ेंगे?

चिराग पासवान ने प्रधानमंत्री के प्रति आभार व्यक्त किया और कहा कि लोजपा झारखंड में कई कार्यक्रम आयोजित करेगी. मैनिफेस्टो को लेकर लोजपा ने काम करना शुरू कर दिया है. झारखंड में NDA की सरकार बनेगी. वर्तमान हेमंत सरकार को लेकर लोगों में नाराजगी है. झारखंड में लोग बदलाव चाहते हैं. NDA के नेतृत्व में विकसित झारखंड बनेगा. कार्यक्रमों का सिलसिला तैयार हो रहा है. अलग-अलग जिलों में अलग-अलग कार्यक्रम तैयार किए गए हैं. पार्टी को मजबूत करना लक्ष्य है. हालांकि, लोजपा कितनी सीटों पर चुनाव लड़ेगी, इसका खुलासा उन्होंने नहीं किया.

कांग्रेस पर कही बड़ी बात

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि जहां हम लोग मजबूत हैं, वहां मिल बैठकर बात कर लेंगे. हमारी स्टेट यूनिट ने बेहतर काम किया है. युवा-महिलाओं पर फोकस है.  चिराग पासवान ने बांग्लादेशी घुसपैठियों को लेकर भी अपनी बात रखी. JK में कांग्रेस और NC के गठबंधन को लेकर कहा 370 देश विरोधी ताकत को हटाने के लिए हटाया गया था और उसी का समर्थन कांग्रेस कर रही है. हम इसका विरोध करते हैं. केंद्र सरकार के साथ हम भी खड़े हैं.

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दोबारा अध्यक्ष बनने के फायदे

 चिराग पासवान को एक बार फिर लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाए जाने के कई राजनीतिक मायने निकलकर सामने आ रहे हैं. यह फैसला कहीं न कहीं पार्टी में एकता और स्थिरता की ओर इशारा कर रहा है. चिराग पासवान के नेतृत्व में पार्टी को मजबूती मिलेगी. इस फैसले से बिहार ही नहीं देशभर में पार्टी का विस्तार संभव है. इसके अलावा चिराग पासवान की राजनीतिक स्थिति मजबूत होगी और पार्टी में मतभेदों को खत्म करने में मदद मिलेगी. यह फैसला न सिर्फ चिराग पासवान की राष्ट्रीय स्तर पर पहचान बढ़ाएगी. बल्कि, इस फैसले से पार्टी एक नए अध्याय की शुरुआत कर सकता है. पार्टी के लोगों का जिस तरह का भरोसा पार्टी प्रमुख स्वर्गीय राम विलास पासवान पर था, वैसा ही भरोसा चिराग पासवान को लेकर भी पार्टी के नेताओं के बीच बनेगा.

चाचा से बढ़ा था टकराव 

आपको बताते चलें कि चिराग पासवान के पिता रामविलास पासवान के निधन के बाद उनकी पार्टी में कलह हो गई थी. उनके चाचा पशुपति कुमार पारस और चिराग पासवान के बीच कलह खुलकर सामने आई थी. पशुपति कुमार पारस पर पार्टी को तोड़ने का आरोप भी चिराग पासवान ने लगाया था. इसके बाद चिराग ने पार्टी को फिर से मजबूत किया और हाल में हुए लोकसभा चुनाव में उनके गुट को 5 सीट मिली और उन्होंने सभी सीटों पर जीत दर्ज की. दूसरी तरफ, उनके चाचा पशुपति पारस को एक भी सीट नहीं दी गई थी.



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