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बदला लेने के लिए ईरान पर किस तरह से हमला कर सकता है इजरायल, क्या है दोनों देशों की ताकत


नई दिल्ली:

”ईरान के नेता लेबनान और गाजा की रक्षा की बात करते हैं, लेकिन वो पूरे क्षेत्र को अंधेरे और युद्ध की ओर धकेल रहे हैं.मध्य पूर्व में ऐसी कोई जगह नहीं है, जहां हम पहुंच नहीं सकते हैं और अपने लोगों की रक्षा नहीं कर सकते हैं. ईरानी और यहूदी दुनिया की दो बेहतरीन कौमें हैं. ईरान जल्द ही आजाद होगा. इसके बाद ईरान में शांति और समृद्धि आएगी.” यह कहना है इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू का. उन्होंने 30 सितंबर को ईरानी लोगों के नाम एक संबोधन में यह बात कही थी.इसके ठीक एक दिन बाद 1 अक्तूबर को ईरान ने इसराइल पर मिसाइलों की बौछार कर दी.इस हमले के बाद नेतन्याहू ने कहा कि ईरान ने एक बड़ी गलती कर दी है, उसे इसकी कीमत  चुकानी होगी.इसके बाद इस बात के कयास लगाए जाने लगे हैं कि इजरायल का अगला कदम क्या होगा और वह इस हमले की जवाब किस तरह से देगा. 

इजरायल और ईरान की चेतावनियां

इन हमलों के बाद ईरान पीछे हटने को तैयार नहीं है.ईरानी राष्ट्रपति मसूद पेजेशकियन ने इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू को संबोधित करते हुए एक्स पर लिखा कि इजरायल के प्रधानमंत्री को ये जानना चाहिए कि ईरान युद्ध का पक्षधर नहीं है लेकिन किसी भी खतरे के खिलाफ मजबूती से खड़ा रहेगा.उन्होंने मंगलवार के हमले को ईरान की क्षमताओं की एक झलक बताया. इसके साथ ही उन्होंने इजरायल को चेतावनी दी कि ईरान के साथ संघर्ष में शामिल न हों.

इस पर बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा है कि इजरायल अपने दुश्मनों से बदला लेने के लिए प्रतिबद्ध है. इस बात को ईरान नहीं समझता.लेकिन अब वो इसे समझेंगे.हमने जो नियम बनाए हैं, हम उस पर डटे रहेंगे, जो भी हम पर हमला करेगा, हम उस पर हमला करेंगे.वहीं इसराइली सेना के प्रवक्ता डेनियल हगारी ने जानकारी दी है कि इसराइली वायु सेना आज रात मध्य पूर्व में मजबूती से हमला करेगी.उन्होंने कहा है कि इस हमले के गंभीर परिणाम होंगे.हमारे पास योजना है और हम तय समय और जगह पर इसे अंजाम देंगे.

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वहीं ईरान के इस्लामिक रेवोल्यूशनरी गार्ड कोर (आईआरजीसी) ने कहा है कि अगर इजरायल जवाबी कार्रवाई करता है तो ईरान की प्रतिक्रिया विनाशकारी होगी.

ईरान और इजरायल का छद्दम युद्ध

इस साल यह दूसरी बार है, जब इजरायल और ईरान सीधे तौर पर आमने-सामने आए हैं. इससे पहले अप्रैल में सीरिया में ईरानी दूतावास पर हुए हमले के बाद दोनों देशों में एक-दूसरे को निशाना बनाया था. हालांकि यह पता नहीं चल पाया था कि किस पक्ष को नुकसान कितना हुआ है.यह तनाव बहुत दिन तक नहीं चला था. अब ठीक पांच महीने बाद दोनों देश एक बार फिर आमने-सामने हैं.

मंगलवार के हमले के बाद से इजरायल ने ईरान को सबक सिखाने की कसम खाई है. आशंका है कि इजरायल अगले कुछ दिनों में ईरान को निशाना बना सकता है. लेकिन यह शायद वैसा न हो, जैसा वह गाजा और लेबनान में कर रहा है. इन दोनों की सीमाएं इजरायल से लगती हैं. इसलिए वहां जमीनी कार्रवाई कर पाना इजरायल के लिए आसान है.लेकिन ईरान के साथ ऐसा नहीं है.ईरान और इजरायल के बीच की दूरी दो हजार किमी से अधिक है. इन दोनों देशों के बीच में कई और देश आते हैं. अगर इजरायल ईरान में हवाई कार्रवाई का फैसला करता है, तो उसे इन देशों से उनके हवाई सीमा के इस्तेमाल की इजाजत लेनी होगी.इस बात की संभावना बहुत कम है कि ये देश उसे ऐसा करने की इजाजत दें. ईरान हवाई हमले के लिए अरब में मौजूद अमेरिकी सैन्य ठिकानों का भी इस्तेमाल कर सकता है. लेकिन इसकी इजाजत अमेरिका देगा, ऐसा लगता नहीं है.ऐसे में ईरान के पास एक बड़ा विकल्प जो बचता है, वह है मिसाइल हमला. मिसाइलों से ही वह ईरान के अहम ठिकानों को निशाना बना सकता है.  

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दुश्मन को कैसे नुकसान पहुंचाता है इजरायल

इजरायल की कोशिश हमेशा से अपने दुश्मन को नुकसान से अधिक दर्द देने की होती है, इसलिए वह अपने लक्ष्यों में विरोधी नेताओं और अधिकारियों को रखता है. इसे हाल में हमास की राजनीतिक शाखा के प्रमुख इस्माइल हानिया और हिज्बुल्लाह नेता नसरूल्लाह की हत्या के रूप में देख सकते हैं. वो ईरान के भी कई बड़े अधिकारियों को निशाना बना चुका है, इमनें ईरान के परमाणु कार्यक्रम से जुड़े वैज्ञानिक भी शामिल हैं. इस तरह के हमले करने में इजरायल को महारत हासिल है. इस बार भी वह अपनी इस युद्ध नीति पर काम करने की कोशिश कर सकता है.  इसमें उसके गाइडेड हथियार मददगार बेंनेगे.इजरायल ईरान में जमीनी लड़ाई में नहीं फंसना चाहेगा. 

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ईरान के हमलों से एक बात यह साबित हुई है कि इजरायल अपनी सुरक्षा करने में अकेले के दम सक्षम नहीं है. ईरानी मिसाइलों को इंटरसेप्ट कर उन्हें गिराने में अमेरिका और ब्रिटेन की सेनाएं भी सक्रिय रही हैं.  इस तथ्य के बाद भी इजरायल ईरान पर हमले करेगा, क्योंकि इससे उसे यह दिखाने में मदद मिलेगी कि ईरान एक कमजोर देश है. यह बात इजरायल के पक्ष में जाएगी. लेकिन ईरान इतना कमजोर राष्ट्र भी नहीं है. उसका मिसाइल सिस्टम मध्य-पूर्व के देशों का सबसे उन्नत मिसाइल सिस्टम है. अपने पाले हुए मिलिशिया को हथियार की सप्लाई ईरान से ही होती है. 

साइबर हमलों ने ईरान और इजरायल की ताकत

ईरान को एक और क्षेत्र में महारत हासिल है, वह है साइबर हमला. यह बात हाल के दिनों में तब सच साबित हुई जब अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में उम्मीदवार डॉनल्ड ट्रंप ने आरोप लगाया कि उनकी टीम पर साइबर हमला हुआ है. उन्होंने इस हमले के लिए ईरानी साइबर अपराधियों को जिम्मेदार ठहराया है. ईरान का इजरायल पर साइबर हमला सात अक्तूबर के हमास के हमले के बाद से और तेज हुए हैं. अनुमान के मुताबिक ईरान ने इजरायल पर करीब चार हजार साइबर हमले किए हैं. अगर ईरान ने इजरायल पर साइबर हमले तेज किए तो उसे काफी नुकसान उठाना पड़ सकता है. इस तरह के हमलों में इजरायल भी पीछे नहीं है, उसने पिछले साल ईरान के पेट्रोल पंपों के नेटवर्क को साइबर हमलों से निशाना बनाया था. 

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ईरान और इजरायल अब तक आमने-सामने के युद्ध में नहीं भिड़े हैं. दोनों परोक्ष रूप से ही एक दूसरे को निशाना बनाते रहे हैं. उम्मीद है कि इस बार भी ऐसा ही हो.

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