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इंफोसिस के मालिक नारायण मूर्ति ने 4 महीने के पोते को दिया ऐसा गिफ्ट, रातोंरात बना 240 करोड़ का मालिक

नारायण मूर्ति ने इंफोसिस को 25 साल देने के बाद दिसंबर 2021 में रिटायरमेंट ले लिया था.

नई दिल्ली:

इंफोसिस (Infosys) के को-फाउंडर एनआर नारायण मूर्ति (NR Narayana Murthy)अक्सर अपनी बातों और फैसलों को लेकर चर्चा में बने रहते हैं. इस बार वह अपने पोते को दिए एक गिफ्ट को लेकर चर्चा में हैं. नारायण मूर्ति ने ऑफ-मार्केट लेनदेन में अपने 4 महीने के पोते को इंफोसिस के शेयर (Infosys Shares) गिफ्ट किए हैं. रेगुलेटरी फाइलिंग के मुताबिक, गिफ्ट किए गए इन शेयरों की कीमत 240 करोड़ रुपये से ज्यादा की है. ऐसे में नारायण मूर्ति के पोते एकाग्र रोहन मूर्ति (Ekagrah Rohan Murty) को इंफोसिस में 15 लाख शेयर यानी 0.04 फीसदी की हिस्सेदारी मिली है. इसके साथ ही एकाग्र रोहन मूर्ति शायद भारत का सबसे कम उम्र का अरबपति बन गया है.  

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पोते को इतना महंगा गिफ्ट देने के बाद टेक कंपनी में नारायण मूर्ति की हिस्सेदारी 0.36 प्रतिशत या 1.51 करोड़ से अधिक शेयरों तक रह गई है. नारायण मूर्ति ने इंफोसिस को 25 साल देने के बाद दिसंबर 2021 में रिटायरमेंट ले लिया. 

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नवंबर 2023 में हुआ एकाग्र का जन्म

एकाग्र मूर्ति का जन्म नवंबर 2023 में रोहन मूर्ति और अपर्णा कृष्णन के घर हुआ था. वहीं, नारायण और सुधा मूर्ति ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक और उनकी पत्नी अक्षता मूर्ति के नाना-नानी भी हैं. एकाग्र का नाम कथित तौर पर महाभारत में अर्जुन के चरित्र से प्रेरित है. ये है संस्कृत शब्द है, जिसका अर्थ होता है- अटूट ध्यान और दृढ़ संकल्प.

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1981 में 10 हजार के निवेश से हुई थी इंफोसिस की शुरुआत

इंफोसिस की शुरुआत 1981 में महज 10,000 के मामूली निवेश से हुई थी. ये पैसे सुधा मूर्ति ने अपने पति को दिए थे. आज यह भारत की दूसरी सबसे बड़ी टेक कंपनी बन गई है.

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सादगी और सरल स्वभाव के लिए जाना जाता है मूर्ति परिवार

मूर्ति परिवार अपनी सादगी और सरल स्वभाव को लेकर चर्चा में रहते हैं. सुधा मूर्ति जानी-मानी लेखिका होने के साथ-साथ सोशल वर्क करती हैं. उनका परिवार फाउंडेशन के माध्यम से धर्मार्थ प्रयासों से जुड़ा है. हाल ही में सुधा मूर्ति को राज्यसभा में संसद सदस्य के रूप में चयनित किया गया है.  

पिछले साल, नारायण मूर्ति ने युवाओं से हफ्ते में 70 घंटे काम करने की अपील करके एक तीखी बहस छेड़ दी थी. एक पॉडकास्ट के दौरान उन्होंने कहा कि देश की शिक्षित आबादी कम भाग्यशाली लोगों के कारण ‘बेहद कड़ी मेहनत’ करती है. विवाद होने पर अपने बयान का बचाव करते हुए मूर्ति ने दलील दी कि बहुत सारे ‘अच्छे लोग’ और ‘NRI’ उनके बयान से सहमत हैं.

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