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कैदियों की समय पूर्व रिहाई के मामले पर SC में हुई सुनवाई, कोर्ट ने गुजरात सरकार से पूछा सवाल

नई दिल्ली:

सजायफ्ता कैदियों की समय पूर्व रिहाई के मामले पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में सुनवाई हुई. सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार पर सवाल उठाया.  जस्टिस अभय एस ओक और जस्टिस पंकज मित्थल की पीठ ने पूछा कि राज्य में ऐसे कितने कैदियों की अर्जियां लंबित हैं जिन्होंने हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट में अपील डाल रखी है?  कोर्ट ने गुजरात सरकार (Gujarat Government) से ये भी पूछा है कि आखिर किसी भी कैदी की समय पूर्व रिहाई की याचिका के निपटारे में सरकार अमूमन औसतन कितना समय लगता है. 

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कोर्ट ने सरकार को ये भी बताने को कहा है कि किसी सजायाफ्ता कैदी की समय पूर्व रिहाई की अर्जी पर निर्णय लेने के लिए सरकार ने कोई टाइम लाइन भी बना रखी है क्या?  कोर्ट ने गुजरात सरकार से ये जानकारी भी मांगी है कि आखिर कितने कैदी ऐसे हैं जिनकी समय पूर्व रिहाई की अर्जी सरकार ने खारिज कर दी और उनको संवैधानिक न्यायालयों में अपील दाखिल करनी पड़ी हो.

कोर्ट ने इन सवालों के जवाब के लिए अगली सुनवाई 24 नवंबर तय की है. कोर्ट ने कहा है कि हलफनामे में, राज्य को स्थायी छूट देने के मामलों पर विचार करने में लगने वाली सामान्य समय अवधि के बारे में भी बताना होगा. बिलकीस बानो के दोषियों को मिली आजीवन कारावास की सजा पूरी होने से पहले हुई रिहाई के मामले की सुनवाई के बीच अब सुप्रीम कोर्ट की दूसरी बेंच ने रिहाई की पॉलिसी पर सवाल उठाया है. 

 

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