Jannah Theme License is not validated, Go to the theme options page to validate the license, You need a single license for each domain name.
देश

"तब तक विश्वास नहीं, जब तक..": टनल में फंसे मजदूरों के परिवार मिलने का बेसब्री से कर रहे हैं इंतजार

नई दिल्ली:

टीवी कैमरे पिछले 17 दिनों से उत्तराखंड सुरंग के प्रवेश द्वार पर लगे हुए हैं, जहां 12 नवंबर को टनल ढहने के बाद 41 श्रमिक फंस गए थे. मजदूरों के परिवार भी सुरंग में रेस्क्यू ऑपरेशन पूरा होने और अपनों के सुरक्षित बाहर आने का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं. लंबे समय बाद उनकी आशा की जीत होती दिख रही है.

यह भी पढ़ें

उत्तरकाशी सुरंग जहां फंसे मजदूरों को बाहर निकालने की अंतिम तैयारी चल रही है, उससे करीब 800 किलोमीटर दूर एक महिला खुशी से फूली नहीं समा रही है. सुरंग के अंदर फंसे 41 मजदूरों में धनपति का बेटा राम सुंदर भी शामिल है. दो हफ्ते पहले वो दिवाली पर अपने बेटे के घर आने का इंतजार कर रही थी और फिर, अचानक आपदा आ गई.

17 कठिन दिनों और बचाव अभियान में कई असफलताओं के बाद, आखिरकार उत्तर प्रदेश के श्रावस्ती जिले के मोतीपुर स्थित परिवार के घर में खुशियां लौट आईं हैं.

धनपति ने एनडीटीवी को फोन पर बताया कि मैं बहुत खुश हूं. ये पूछे जाने पर कि वो अपने बेटे का स्वागत कैसे करेगी, बहुत खुश मां ने वह सब कुछ गिनाया जो वह घर आने पर उसके लिए बनाएगी. उन्होंने कहा, “मैं उसके लिए खिचड़ी बनाऊंगी. मैं खीर-पूरी बनाऊंगी.” उन्होंने कहा कि पूरा गांव उनके बेटे की वापसी का बेसब्री से इंतजार कर रहा है.

करीब 400 किलोमीटर दूर उत्तर प्रदेश के मिर्ज़ापुर में फंसे मजदूरों के बीच अखिलेश सिंह के घर पर भीड़ जमा हो गई है. थोड़ी घबराहट के साथ खुशी भी है, क्योंकि परिवार के सदस्य अपने बेटे का चेहरा देखने के इंतजार में टीवी सेट से चिपके रहते हैं.

यह भी पढ़ें :-  उत्तराखंड सुरंग बचाव: श्रमिकों का तनाव दूर करने के लिए उन्हें लूडो, ताश भेजी जाएंगी

रांची के अनिल बेदिया के परिवार भी कर रहे हैं इंतजार

झारखंड के रांची के खिराबेरा गांव में, 22 वर्षीय अनिल बेदिया के परिवार के सदस्य भी इंतजार कर रहे हैं. अनिल की मां ने समाचार एजेंसी एएनआई को बताया, “मेरे बेटे को फंसे हुए 17 दिन हो गए हैं. जब मेरा बेटा आएगा, तब मुझे खुशी होगी. जब तक मैं इसे अपनी आंखों से नहीं देख लूंगी, मुझे इस पर विश्वास नहीं होगा.”

देश भी इन फंसे हुए श्रमिकों के सुरक्षित बाहर आने के लिए उत्सुकता से इंतजार कर रहा है. उनके बाहर आते ही उन्हें अस्थायी अस्पताल पहुंचाने के लिए एम्बुलेंस मौके पर मौजूद हैं. इस बात की भी जांच की जाएगी कि इस दर्दनाक अनुभव का उनके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर क्या प्रभाव पड़ा है.

Show More

संबंधित खबरें

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button