उत्तराखंड हादसा: रैट माइनर्स ने शुरू की टनल की खुदाई, मौसम में बदलाव से रेस्क्यू में आ सकती है दिक्कत
उत्तरकाशी:
उत्तराखंड के उत्तरकाशी के निर्माणाधीन सिल्क्यारा टनल में 12 नवंबर से फंसे 41 मजदूरों को निकालने की कोशिश जारी है. मजदूरों तक पहुंचने के लिए 86 मीटर की वर्टिकल ड्रिलिंग होनी है. अब तक 36 मीटर खुदाई हो चुकी है. इस बीच सोमवार से रैट माइनर्स ने मैनुअली ड्रिलिंग भी शुरू कर दी है. पतले से पैसेज में अंदर जाकर ड्रिल करने वाले मजदूरों को रैट माइनर्स कहते हैं. ये रैट माइनर्स 800mm के पाइप में घुसकर ड्रिल करेंगे. उधर, अधिकारियों के मुताबिक मौसम में बदलाव से रेस्क्यू में दिक्कत आ सकती है.
उत्तरकाशी टनल में फंसे मजदूरों के रेस्क्यू ऑपरेशन की 10 बातें
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टनल में फंसे मजदूरों तक पहुंचने के लिए सिल्क्यारा छोर से अमेरिकन ऑगर मशीन के जरिए खुदाई करके रेस्क्यू पाइप डाले जा रहे थे. 24 नवंबर को मजदूरों की लोकेशन से महज 12 मीटर पहले मशीन की ब्लेड्स टूट गई थीं. इस वजह से रेस्क्यू रोकना पड़ा. आज मशीन का हेड निकाला गया.
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उत्तराखंड शासन के सचिव डॉ. नीरज खैरवाल ने बताया कि पाइप में फंसे ऑगर मशीन की ब्लेड और साफ्ट को काटने का काम पूरा कर लिया गया है. ऑगर मशीन के हेड को भी निकाल लिया गया है. पहले 1.9 मीटर पाइप काटा गया था. मैन्युअली काम करते हुए पाइप को 0.9 मीटर आगे पुश भी किया गया है.
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मौसम विभाग ने उत्तराखंड में अगले 24 घंटे के दौरान बारिश और ओलावृष्टि की आशंका जताई है. वैज्ञानिकों का कहना है कि मौसम में बदलाव से रेस्क्यू ऑपरेशन में परेशानियां आ सकती हैं.
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अपर सचिव सड़क परिवहन राजमार्ग मंत्रालय महमूद अहमद ने बताया कि वर्टिकल ड्रिलिंग का काम भी तेजी से चल रहा है. अब तक 36 मीटर वर्टिकल ड्रिलिंग कर ली गई है.
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टनल में रेस्क्यू ऑपरेशन का जायजा लेने पीएम नरेंद्र मोदी के विशेष सचिव पीके मिश्रा, गृह सचिव अजय के भल्ला और उत्तराखंड के मुख्य सचिव एसएस संधू भी पहुंचे.
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साइट पर 24 घंटे 2 साइकियाट्रिस्ट समेत 5 डॉक्टरों की एक टीम तैनात की गई है, जो फंसे हुए मजदूरों से दो शिफ्ट में बात कर रही है. सुबह 9 बजे से 11 बजे तक और शाम 5 बजे से 8 बजे तक मजदूर अपने मन की स्थिति डॉक्टरों के साथ शेयर कर रहे हैं. बात करने के लिए मजदूरों को पाइप के जरिए एक माइक भेजा गया है.
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टनल में फंसे हुए मजदूरों के परिवार के सदस्यों को उनसे जब चाहें बात करने की परमिशन दी गई है. प्रशासन ने मजदूरों के परिवारों के लिए टनल के बाहर कैंप लगाया है.
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नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी की सदस्य लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) सैयद अता हसनैन ने कहा कि टनल में फंसे मनोवैज्ञानिक स्वास्थ्य का भी ध्यान रखा जा रहा और परिवार से उनकी बात करवाई जा रही है. वहीं अब टनल के पास स्थानीय लोगों के द्वारा हवन किया जा रहा है. केन्द्रीय मंत्री जनरल वीके सिंह भी हवन में शामिल होने के लिए पंहुचे हैं.
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नोडल अधिकारी नीरज खैरवाल ने बताया कि टनल के पास पानी का रिसाव हुआ है. हालांकि, पानी बड़ा खतरा नहीं है, वर्टिकल ड्रिलिंग के वक्त जो पानी आया था वो निकाल लिया गया है. नीचे कोई Aquifers नहीं है.
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सिलक्यारा टनल हादसा 12 नवंबर की सुबह 4 बजे हुआ था. टनल के एंट्री पॉइंट से 200 मीटर अंदर 60 मीटर तक मिट्टी धंसी. इसमें 41 मजदूर अंदर फंस गए. टनल के अंदर फंसे मजदूर बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के हैं.