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NASA के लिए क्यों बेहद कठिन था यह मिशन…साइंटिस्ट अमिताभ घोष ने हर बात बताई


नई दिल्ली:

नासा के साइंटिस्ट डॉक्टर अमिताभ घोष ने The Hindkeshariके साथ एक्सक्लूसिव बातचीत में बताया कि किस तरह से नासा का यह मिशन बेहद कठिन था. उन्होंने कहा कि नासा का जो स्पेस शटल था उसका 2010 में रिटायरमेंट हो गया था. इसके बाद सबसे बड़ी चुनौती थी कि इतने कम समय में स्पेस शटल का निर्माण, जिसके लिए 2 कंपनियों को काम पर लगाया गया था. सुनीता विलियम्स से पहले सिर्फ टेस्टिंग के लिए व्हीकल को भेजा गया था. इस तरह से सुनीता विलियम्स का मिशन पहला मिशन था इस नए स्पेस शटल से. ऐसे में स्टारलाइनर के लिए भी यह एक टेस्टिंग थी. अमिताभ घोष ने कहा कि ये अच्छा रहा कि वो सफलता पूर्वक वहां पहुंच गई लेकिन दुर्भाग्य से वापसी के लिए समस्याएं उत्पन्न हो गई. इस कारण यह मिशन बेहद कठिन हो गया. 

नासा के पास SpaceX का कोई विकल्प नहीं
नासा के पास अभी अंतरिक्ष में इंसानों को भेजने के लिए कोई खुद का अंतरिक्ष यान नहीं है. वो अपने मानव मिशन के लिए पूरी तरह से SpaceX और बोइंग, इन दो प्राइवेट कंपनियों पर निर्भर है. लेकिन जिस तरह से बोइंग ने नासा को झटका दिया है, उसके पास अब SpaceX के भरोसे बैठने के अलावा कोई विकल्प ही नहीं है. 

दरअसल सुनीता विलियम्स और बुच विल्मोर, दोनों ही नासा के अंतरिक्ष यात्री हैं और पिछले साल 5 जून को बोइंग के स्टारलाइनर अंतरिक्ष यान से इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन के लिए निकले थे. यह बोइंग के स्पेसक्राफ्ट- स्टारलाइनर की पहली चालक दल परीक्षण उड़ान (क्रू टेस्ट फ्लाइट) थी. यानी टेस्ट किया जा रहा था कि यह अंतरिक्ष यात्रियों को स्पेस स्टेशन तक ले जा सकता है और वापस ला सकता है या नहीं. वैसे तो मिशन केवल 10 दिन का था लेकिन स्टारलाइनर अंतरिक्ष यान में तकनीकी खराबी आने की वजह से दोनों धरती पर वापस नहीं आ सके. स्टारलाइनर अकेले धरती पर लौटा और दोनों 9 महीने के लिए स्पेस स्टेशन पर ही फंस गए.

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9 महीने बाद हुई वापसी
बता दें कि अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स और बुच विलमोर, साथ ही नासा के निक हैग और रूसी अंतरिक्ष यात्री अलेक्जेंडर गोर्बुनोव, 9 महीने के लंबे मिशन के बाद पृथ्वी पर वापस लौट आए हैं. एस्ट्रोनॉट्स को स्पेसएक्स के ड्रैगन अंतरिक्ष यान द्वारा सुरक्षित रूप से फ्लोरिडा के तट पर उतारा गया. मूल रूप से, यह मिशन (जो बोइंग के स्टारलाइनर की पहली चालक दल वाली उड़ान होने वाला था) केवल आठ दिनों तक चलने वाला था, लेकिन तकनीकी खराबी के कारण उन्‍हें लंबे समय तक स्‍पेस सेंटर में फंसे रहना पड़ा. 

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