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WWF का रिंग बना मालदीव का संसद! सांसदों के बीच जमकर चले लात-घूंसे

मालदीव की संसद में हंगामा!

मालदीव की संसद में गठबंधन और विपक्षी सांसदों के बीच झड़प हो गई. संसद के प्रवेश द्वार से जो धक्कामुक्की और खींचतान शुरु हुई वो स्पीकर के चेयर तक पहुंच गई. स्पीकर तक पहुंचने की कोशिश कर रहे सांसदों को घेरा कर रोका गया. एक सांसद ने दूसरे सांसद को जमीन पर गिरा दिया. उसके बाद उनके बाल खींचते भी देखे गए.

एक सांसद ने स्पीकर के पास पहुंच कर उनके के कान के पास ऐसा बाजा बजाया कि स्पीकर को अपना कान तक बंद करना पड़ा. ये सब उस नाटकीय वीडियो में देखा जा सकता है जो मालदीव्स की संसद से आयी है. सवाल है कि मारपीट और हंगामे की ये नौबत आयी क्यों?

मालदीव्स में नए बने राष्ट्रपति मोहम्मद मुईज़्ज़ु की ‘प्रोग्रेसिव पार्टी ऑफ़ मालदीव्स’ की ‘पीपुल्स नेशनल कांग्रेस’ के साथ गठबंधन की सरकार है. राष्ट्रपति मुईज़्ज़ु ने 22 सदस्यों वाली नई कैबिनेट बनायी है. इस पर मालदीव की संसद में मुहर लगनी थी और नए बने मंत्रियों को शपथ होनी थी. लेकिन मुख्य विपक्षी पार्टी ‘मालदीवियन डेमोक्रेटिक पार्टी’ ने 18 मंत्रियों के नाम को तो मंज़ूरी दे दी. लेकिन चार प्रमुख मंत्रियों के नाम को मंज़ूरी देने से इंकार कर दिया. एक और विपक्षी पार्टी ‘डेमोक्रेट्स’ ने भी विदेश मंत्री समेत तीन मंत्रियों के नाम को मंज़ूरी देने से मना कर दिया. कुछ 87 सदस्यों वाली संसद में से इन दोनों पार्टी के 56 सांसद हैं. यानि कि इनके पास बहुमत है. इनके बिना मंत्रियों के नाम को संसद में मंजूरी मिलना मुमकिन नहीं है. इनके रूख के देखते हुए सत्तापक्ष के सांसदों ने ही संसद की कार्रवाई को ठप्प करने की कोशिश की.

अब सवाल है कि इन दोनों पार्टियों ने कैबिनेट को मंजूरी में रूकावट क्यों डाला? वो इसलिए, क्योंकि इन दोनों पार्टियों का मानना है कि मुईज़्ज़ु की सरकार भारत विरोधी नीति पर चल रही है. दोनों मुख्य विपक्षी पार्टियों का मानना है कि ये विकास में साझीदार रहे एक अहम देश को अपने से दूर करने जैसा है. मुईज़्ज़ु घोषित तौर पर चीन समर्थक हैं और हाल में उन्होंने चीन का दौरा पर 22 समझौते किए हैं.

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वहीं, दूसरी तरफ राहत बचाव और प्रशिक्षण के लिए मालदीव्स में मौजूद भारतीय सेना को बाहर निकलने का फरमान जारी कर दिया है. भारत के साथ हाइड्रोग्राफ़ी समझौता का नवीनीकरण भी नहीं किया. ये भी जानकारी आयी है कि चीनी अनुसंधान जहाज़ माले पहुंच रहा है. मालदीव्स में चीन के बढ़ते प्रभाव को लेकर यहीं के कई बड़े नेता चिंतित हैं. इसलिए उन्होंने उन मंत्रियों के नामों को मंज़ूरी देने से मना किया जो मालदीव की नीति को पूरी तरह से चीन की तरफ़ ले जाना चाहते हैं.

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