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'लव जिहाद' पर और सख्त हुई योगी आदित्यनाथ सरकार, यह अधिकारी देगा धर्मांतरण की इजाजत


नई दिल्ली:

‘लव जिहाद’पर रोकथाम के लिए उत्तर प्रदेश सरकार अपने कानून में संशोधन की तैयारी कर रही है. प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने 2021 में विधानसभा में धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध बिल पास किया था.यह बिल बाद में कानून बन गया था.योगी सरकार इसी कानून में बदलाव के एक बिल लेकर आई है.इस बिल में लव जिहाद का आरोप साबित होने पर उम्र कैद का प्रावधान किया गया है.पहले वाले कानून में यह सजा एक से 10 साल तक की थी. इस कानून के दूसरे अपराधों की सजा में भी बदलाव किया गया है. 

विधानसभा ने पारित किया विधेयक

योगी सरकार ने सोमवार को विधानसभा में यूपी विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध (संशोधन) विधेयक 2024 पेश किया. विधानसभा ने मंगलवार को इस विधेयक को पारित कर दिया.अब इसे विधान परिषद में पेश किया जाएगा. सरकार की कोशिश इसे सत्र के अंतिम दिन दो अगस्त तक इस विधेयक को पारित करा लेने की तैयारी है.उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ की सरकार ने नवंबर 2020 में इसके लिए एक अध्यादेश लेकर आई थी.सरकार ने बाद में फरवरी 2021 में उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अधिनियम-2021 को विधानसभा के दोनों सदनों से पास करवाकर कानून बनवाया था.अभी यह कानून जबरन या धोखे से धर्म परिवर्तन को लेकर प्रदेश में लागू है. 

इस तरह का कानून बनाने वाला उत्तर प्रदेश देश का पहला राज्य नहीं था.देश के 10 राज्यों में इस तरह का कानून लागू है. इनमें उत्तर  प्रदेश के अलावा हरियाणा, उत्तराखंड, झारखंड, मध्य प्रदेश, ओडिशा, छत्तीसगढ़, गुजरात, कर्नाटक और हिमाचल प्रदेश शामिल हैं.धर्मांतरण को लेकर ओडिशा ने सबसे पहले 1967 में कानून बनाया था. महाराष्ट्र में भी धर्मांतरण को लेकर कानून बनाने की तैयारी की जा रही है. इसकी घोषणा राज्य के उपमुख्यमंत्री देंवेंद्र फडणवीस ने पिछले साल की थी.

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योगी आदित्यनाथ सरकार ने क्यों किया कानून में संशोधन

सरकार को पुराने कानून का बहुत अधिक असर नहीं दिख रहा है. इसी वजह से वो उसमें संशोधन कर रही है.इस संशोधन के बाद पहले लव जिहाद का आरोप सही पाए जाने पर होने वाली 10 साल तक की सजा को बढ़ाकर उम्रकैद में बदल दिया गया है.संशोधन के बाद सिर्फ शादी के लिए धर्म बदलने को अवैध माना जाएगा. 

संशोधन के बाद यह व्यवस्था होगी कि धर्मांतरण के मामलों में अब कोई भी व्यक्ति एफआईआर दर्ज करा सकेगा.पहले वाले कानून में एफआईआर दर्ज कराने का अधिकार केवल पीड़ित व्यक्ति, उसके माता-पिता, भाई-बहन के ही पास था. अब कोई भी व्यक्ति  धर्मांतरण की सूचना लिखित तौर पर पुलिस को दे सकता है.संशोधन के बाद इन मामलों की सुनवाई सत्र अदालत से नीचे नहीं होगी.लोक अभियोजक को मौका दिए बिना जमानत याचिका पर विचार नहीं किया जाएगा.अब इस कानून के सभी अपराध गैर जमानती बना दिए गए हैं.

धर्मांतरण की इजाजत कौन देगा

संशोधन के बाद उत्तर प्रदेश में विवाह के लिए धर्म परिवर्तन के लिए जिला मजिस्ट्रेट से मंजूरी लेनी होगी.इसके लिए जिलाधिकारी को दो महीने पहले आवेदन करना होगा.नए कानून में सामूहिक धर्म परिवर्तन पर सख्त कार्रवाई का प्रावधान किया गया है.अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति की महिलाओं और नाबालिगों का जबरन या धोखे से धर्म परिवर्तन कराना साबित होने पर 25 हजार रुपया जुर्माना और तीन से 10 साल तक की सजा का प्रावधान किया गया है.

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