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रक्षा अधिग्रहण परिषद ने दी 97 तेजस और 156 प्रचंड हेलीकॉप्टरों की खरीद को मंजूरी, कई बड़े फैसले लिए

नई दिल्ली :

रक्षा अधिग्रहण परिषद ने आज बड़ा फैसला लेते हुए 97 तेजस फाइटर जेट की ख़रीद को मंज़ूरी दी है. 156 प्रचंड अटैक हेलीकॉप्टर भी ख़रीदे जाएंगे. दोनों की कीमत 1 लाख 10 हज़ार करोड़ है. दोनों फाइटर विमान स्वदेशी हैं. कुछ और रक्षा सौदों को भी मंज़ूरी दी गई है. तेजस मार्क 1-ए लड़ाकू विमानों को भारतीय वायु सेना के लिए और हेलिकॉप्टरों को वायु सेना और थल सेना के लिए हासिल किया जा रहा है. परिषद ने अतिरिक्त सौदों को भी मंजूरी दे दी है. इनकी कुल अनुमानित कीमत लगभग दो लाख करोड़ रुपये है.

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यदि ऐसा होता है तो यह भारत के इतिहास में स्वदेशी निर्माताओं को मिलने वाला सबसे बड़ा ऑर्डर होगा. हालांकि, अब तक जो मंजूरी दी गई है वह जरूरत को स्वीकृति है. इसके बाद निर्माताओं के साथ नेगोशिएशन के लिए बातचीत होगी. इसमें समय लगेगा, हालांकि यह अवधि विदेशी निर्माताओं के शामिल होने की तुलना में बहुत कम हो सकती है.

एक बार अंतिम कीमत पर बातचीत हो जाने के बाद अंतिम हस्ताक्षर सुरक्षा पर फैसले लेने वाली कैबिनेट समिति द्वारा किए जाएंगे. इन एयरक्राफ्ट को सेना में अंतिम रूप से शामिल होने में कम से कम 10 साल लग सकते हैं.

सुखोई Su-30 MKI विमान के एक बड़े अपग्रेड को भी गुरुवार को स्वीकृति मिलने की आशा है. भारतीय वायुसेना के पास 260 से अधिक Su-30 विमान हैं और इनके भारत में ही अपग्रेड होने की उम्मीद है. इससे इसमें भारत में विकसित रडार, एवियोनिक्स और सबसिस्टम शामिल होंगे.

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तेजस MK-1A हल्का लड़ाकू विमान (LCA) महत्वपूर्ण परिचालन क्षमताओं वाला एक स्वदेशी रूप से डिजाइन और निर्मित चौथी पीढ़ी का लड़ाकू विमान है जिसमें एक सक्रिय इलेक्ट्रॉनिक-स्कैन किए गए एरे रडार, एक इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सूट शामिल है. यह एयर-टू-एयर रिफ्यूलिंग में सक्षम है. इसे हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) ने विकसित किया है.

यह भारत का पहला अपना बनाया हुआ फाइटर जेट है और इसे फरवरी 2019 में पूरी तरह से हथियारबंद फाइटर जेट के रूप में भारतीय वायु सेना में शामिल करने के लिए अंतिम परिचालन मंजूरी मिली थी.

प्रचंड लाइट कॉम्बैट हेलीकॉप्टरों का पहला बैच पिछले साल वायुसेना और थल सेना में शामिल किया गया था. एचएएल द्वारा विकसित 5.8 टन वजनी दो इंजन वाले यह हेलीकॉप्टर करीब 21,000 फीट की ऊंचाई पर भी सेवाएं दे सकता है. इसे मुख्य रूप से सियाचिन, लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश के ऊंचे इलाकों सहित अन्य ऊंचाई वाले क्षेत्रों में तैनाती के लिए डिजाइन किया गया है.

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