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Explainer: गाजा पट्टी पर सख्त पहरे के बावजूद कैसे हमास को मिल रहे हथियार? जानें- तालिबान कनेक्शन

2005 तक गाजा पट्टी पर इजरायल का कब्जा था, लेकिन इसके बाद इजरायल ने इसपर अपना कब्जा छोड़ दिया. चूंकि ये चारों तरफ से इजरायल से घिरा हुआ है, इसलिए ये बेसिक जरूरतों के लिए पूरी तरह से इजरायल पर निर्भर है. गाजा अभी हमास संगठन के नियंत्रण पर है. गाजा पर हमास का कंट्रोल होने के बाद भी इजरायल इसकी समुद्री, हवाई और जमीनी सीमा से गाजा पट्टी पर निगरानी रखता है. ऐसा हमास को हो रही हथियारों की सप्लाई पर निगरानी के लिए किया जाता है. गाजा में लोगों की आवाजाही पर मिस्र और इजराइल का कड़ा नियंत्रण है. 

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गाजा में हमास को हथियार कैसे मिलते हैं?

गाजा पट्टी दो तरफ से इजरायल से घिरी हुई है. गाजा पट्टी की सीमा मिस्र से भी लगती है. इसका पश्चिमी छोर भूमध्य सागर की ओर है, जहां इजरायली नौसेना सिर्फ 12 समुद्री मील तक लोगों की आवाजाही को प्रतिबंधित करती है. हथियार तस्कर भूमध्य सागर के किनारे हथियार गिरा देते हैं. फिर ये हथियार हमास को सप्लाई किए जाते हैं. इजरायली नौसेना के नियंत्रण के बावजूद आर्म्स सप्लायर हमास को  हथियारों की सप्लाई करने में कामयाब रहते हैं. हथियार तस्कर हथियारों की सप्लाई के लिए ऑप्शनल रूट के तौर पर सुरंगों (टनल) का भी इस्तेमाल करते हैं.

हथियारों की सप्लाई के लिए बनाई गईं कई सुरंगे

चूंकि गाजा की सीमा मिस्र से लगती है. इसलिए इस क्षेत्र में हथियारों की सप्लाई के लिए कई सुरंगें बनाई गई हैं. टनल नेटवर्क का इस्तेमाल ईरान और सीरिया से फज्र-3 (Fajr-3), फज्र-5 (Fajr-5) और M-302 रॉकेट जैसे हथियार भेजने के लिए किया जाता है.

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फज्र-3 ईरान निर्मित सतह से सतह पर मार करने वाला अनगाइडेड आर्टलरी रॉकेट है. फज्र-3 की रेंज 43 किमी है. यह हिजबुल्लाह के हथियारों के भंडार में शामिल है. लेबनान के आतंकी संगठन हिजबुल्लाह का ईरान और सीरिया के साथ भी अच्छे संबंध हैं. फज्र-5 की रेंज 75 किमी है. इसमें 90 किलोग्राम हाई एक्सप्लोसिव है.

M-302 रॉकेट या ख़ैबर-1 भी ईरान ने बनाया 

M-302 रॉकेट या ख़ैबर-1 भी ईरान ने बनाया है. यह लॉन्ग रेंज का अनगाइडेड रॉकेट है. हमास हमले के लिए इसका इस्तेमाल करता है.  हिजबुल्लाह कथित तौर पर हमास को इसकी सप्लाई करता है.

हमलों के पहले दिन हमास ने दागे थे 5000 से ज्यादा रॉकेट 

इजरायल पर हमलों के पहले दिन हमास ने 5000 से ज्यादा रॉकेट दागे थे. इन कुछ सालों में हमास ने अपनी सीमा का विस्तार करने के लिए क्रूड रॉकेट टेक्नोलॉजी विकसित की है. साथ ही कथित तौर पर ईरान की ओर से मुहैया कराए गए हथियारों का इस्तेमाल हमास ने इजरायल की आयरन डोम एयर डिफेंस सिस्टम को तबाह करने के लिए किया गया था.

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ईरान ने हमास के ऑपरेशन अल-अक्सा फ्लड का किया समर्थन

ईरान ने हमास के ऑपरेशन अल-अक्सा फ्लड ( Operation Al-Aqsa Flood) का समर्थन किया है. हालांकि, ईरान ने जंग में किसी भी प्रत्यक्ष भागीदारी से इनकार किया है. उसने इजरायल के दावों को भी खारिज कर दिया है कि वे ऑपरेशन की फंडिंग कर रहे हैं.

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2021 में अमेरिकी विदेश विभाग ने कहा कि हमास को ईरान से ट्रेनिंग, फंडिंग और हथियार मिलते हैं. रिपोर्ट के मुताबिक, हमास को कुल फंडिंग का 70 फीसदी हिस्सा ईरान से ही मिलता है.

तालिबान से कनेक्शन

इस बीच कई रिपोर्टों से पता चला है कि हमास हमलों के लिए अमेरिका के बनाए गए हथियारों का इस्तेमाल भी कर रहा है. अफगानिस्तान से तालिबान इन हथियारों की सप्लाई हमास को कर रहा है. साल 2021 में अमेरिका ने अफगानिस्तान में अपना मिलिट्री ऑपरेशन खत्म कर दिया है. अमेरिकी सैनिकों ने अफगानिस्तान के कई प्रांतों में हथियारों का भंडार छोड़ दिया. तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्जे के बाद इन हथियारों को भी अपने नियंत्रण में ले लिया था.

भूमध्य सागर में US कैरियर बैटल ग्रुप

अमेरिका ने अपने सहयोगी इजरायल के समर्थन में बड़ा कदम उठाते हुए अपने वॉरशिप और एयरक्राफ्ट को इजरायल के करीब ले जाने का आदेश दिया है. यूएसएस गेराल्ड आर फोर्ड के नेतृत्व में एक कैरियर बैटल ग्रुप और उसके साथ आने वाले वॉरशिप पूर्वी भूमध्य सागर की ओर बढ़ रहे हैं.

रिपोर्टों से पता चलता है कि अमेरिकी कैरियर स्ट्राइक ग्रुप इजरायल को हथियारों की सप्लाई रोकने के लिए गाजा के साथ समुद्र तट की रक्षा करने में मदद करेगा.

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