देश

केसी त्यागी ने माना महागठबंधन सरकार गिरने की कगार पर, चिराग पासवान ने अमित शाह से मांगा यह आश्नासन

भाजपा के फिर से कुमार के साथ समझौता करने के लिए तैयार होने के संकेतों के बीच पार्टी को अपने अन्य सहयोगियों जैसे चिराग पासवान और उपेन्द्र कुशवाहा को भी साथ लाने की चुनौती का सामना करना पड़ रहा है. पासवान और कुशवाहा दोनों नीतीश के कट्टर आलोचक हैं.

गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा अध्यक्ष जे.पी. नड्डा के साथ बैठक में लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के नेता चिराग पासवान ने कुछ चिंताएं जताईं और समझा जाता है कि उन्होंने आश्वासन मांगा कि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) में कुमार के आने बाद उनकी (चिराग की) पार्टी को लोकसभा में अपनी सीटों के साथ समझौता नहीं करना पड़ेगा.

बाद में पासवान ने संवाददाताओं से कहा कि उन्हें उनके कई मुद्दों पर आश्वासन मिला है. उन्होंने हालांकि कहा कि स्थिति स्पष्ट होने के बाद वह बिहार के घटनाक्रम पर अपनी पार्टी के रुख को अंतिम रूप देंगे. उन्होंने कहा कि यह अभी तक स्पष्ट नहीं है कि कुमार क्या भाजपा से हाथ मिला रहे हैं, और कब.

रविवार को कुमार के इस्तीफा देने और फिर पूर्व सहयोगी के साथ गठबंधन की घोषणा करने की संभावना के बीच तीनों मुख्य दलों-भाजपा, राष्ट्रीय जनता दल (राजद) और जद(यू) के नेताओं ने पटना में बैठकें कीं. कुमार के करीबी सहयोगी त्यागी ने स्पष्ट रूप से संकेत दिया कि उनकी पार्टी विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ से नाता खत्म करने के लिए पूरी तरह तैयार है. त्यागी ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘विपक्षी गठबंधन ‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इंक्लूसिव अलायंस’ (इंडिया) टूटने के कगार पर है. पंजाब, पश्चिम बंगाल और बिहार में ‘इंडिया’ में शामिल दलों का गठबंधन लगभग खत्म हो चुका है.”

यह भी पढ़ें :-  Andhra Pradesh Assembly Election Result 2024: आंध्र में YSRCP का सूपड़ा साफ, रुझानों में TDP गठबंधन को 90% सीटें

त्यागी ने कहा कि जिस लक्ष्य और इरादे के साथ जद(यू) अध्यक्ष कुमार गैर-कांग्रेसी दलों को कांग्रेस के साथ लाने में सफल हुए, वे (उद्देश्य) विफल हो गए हैं और कहा कि उनके नेता को ‘‘गलत समझा गया.” उन्होंने कहा कि कुमार को कभी भी गठबंधन में पद की लालसा नहीं रही लेकिन कांग्रेस नेतृत्व के एक धड़े ने बार-बार उनका अपमान किया. त्यागी ने कहा कि वह समझ नहीं पा रहे हैं कि ‘इंडिया’ गठबंधन में शामिल दल ‘‘काफी सशक्त” भाजपा से कैसे लड़ सकते हैं.

जद(यू) नेता ने कहा कि बिहार के मुख्यमंत्री कुमार पटना में कई दलों को एक साथ लाने में सफल रहे, लेकिन लोकसभा चुनाव नजदीक होने के बावजूद पूरी प्रक्रिया इतनी धीमी हो गई कि इंडिया गठबंधन कोई संयुक्त नेतृत्व और एजेंडा लेकर नहीं आ पाया.

राज्य के मौजूदा सहयोगियों, विशेषकर पासवान से संपर्क का भाजपा के शीर्ष नेतृत्व का निर्णय, 2020 के विधानसभा चुनावों की पुनरावृत्ति से बचने के उनके प्रयास को रेखांकित करता है जब लोजपा नेता जद(यू) के खिलाफ चुनाव लड़ने के लिए गठबंधन से बाहर हो गए थे. इससे कुमार की पार्टी के प्रदर्शन में गिरावट आई थी.

मुख्यमंत्री ने इसके लिए भाजपा को दोषी ठहराया था और 2022 में राजद-कांग्रेस-वाम गठबंधन से हाथ मिलाने के लिए उससे अपना नाता तोड़ लिया. सूत्रों ने कहा कि पासवान यह भी चाहते हैं कि राज्य में कुमार के नेतृत्व वाली राजग की नयी सरकार का एजेंडा सभी सहयोगियों के दृष्टिकोण से तैयार होना चाहिए. हालांकि, उन्होंने यह नहीं बताया कि शाह और नड्डा ने उन्हें राज्य के राजनीतिक घटनाक्रम के बारे में क्या बताया.

यह भी पढ़ें :-  चंडीगढ़ में भारी बारिश के बीच गिरे ओले, दिल्ली में फिर बदलेगा मौसम का मिज़ाज; IMD का लेटेस्ट अपडेट

पासवान ने कहा, ‘‘बिहार के मौजूदा राजनीतिक घटनाक्रम को लेकर हमारी चिंताएं हैं. हालांकि, बिहार के घटनाक्रम को लेकर कोई अधिकृत जानकारी नहीं है. मैंने बैठक में अपनी चिंताओं को दृढ़ता से उठाया और कई मुद्दों पर आश्वासन प्राप्त किया.” उन्होंने कहा कि वह भाजपा नेताओं के संपर्क में थे और उन्हें पता चला कि इन सुगबुगाहटों में कुछ “सच्चाई” है. उनका संदर्भ बिहार में राजनीतिक गठजोड़ की खबरों को लेकर था.

उधर, झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) ने शनिवार को दावा किया कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भरोसेमंद नहीं हैं और जनता दल (यूनाइटेड) प्रमुख ‘‘खुद नहीं जानते कि वह किस पार्टी से हैं.” झामुमो महासचिव और प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने बिहार में राजनीतिक उथल-पुथल पर ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा कि विपक्षी समूह द्वारा कुमार के बारे में विश्वास की कमी के कारण उनको ‘इंडिया’ गठबंधन का संयोजक नहीं बनाया गया.

बिहार के मुख्यमंत्री और जद(यू) प्रमुख कुमार के फिर से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) में लौटने के कयासों पर भट्टाचार्य ने कहा, ‘‘नीतीश कुमार को खुद नहीं पता कि वह किस पार्टी से जुड़े हैं. वह न तो अपनी पार्टी के हैं और न ही किसी अन्य के.”

भट्टाचार्य ने यह भी कहा कि बिहार के लोग ‘‘राजनीतिक रूप से जागरूक” हैं और उनमें ‘‘गुस्सा” है. उन्होंने कहा, ‘‘वे हर बार (पाला बदलने की) ऐसे हथकंडे को बर्दाश्त नहीं करेंगे.”

 

Show More

संबंधित खबरें

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button